बुंदेलखंड की मिट्टी से फूटी कविता की आवाज़ – “कविता कुछ कहती है – एक काव्य यात्रा” का भव्य आयोजन
बुंदेलखंड न्यूज़ ‘कविता कुछ कहती है – एक काव्य यात्रा’ कार्यक्रम का आधिकारिक मीडिया पार्टनर रहा।

शब्द, संवेदना और सृजनशीलता के साथ बच्चों ने रचा साहित्य का नया पृष्ठ
बाँदा। रविवार को भागवत प्रसाद मेमोरियल अकादमी में केदार स्मृति न्यास एवं महादेवी कुशवाहा फाउंडेशन फॉर आर्ट एंड कल्चर के संयुक्त तत्वावधान में साहित्यिक कार्यक्रम “कविता कुछ कहती है – एक काव्य यात्रा” का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य था – बच्चों में रचनात्मक चेतना, भाषा के प्रति प्रेम और साहित्य से गहरे जुड़ाव को प्रेरित करना।
कार्यक्रम की शुरुआत बाबू केदारनाथ अग्रवाल, महादेवी कुशवाहा एवं भागवत प्रसाद जी के चित्र पर दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्पण से की गई। मंच पर प्रमुख रूप से उपस्थित अतिथियों में मिथलेश शरण चौबे (सागर), विवेक चतुर्वेदी (जबलपुर), प्रिया वर्मा (लखनऊ), दीपक जायसवाल (दिल्ली) एवं अल्पना वर्मा (भोपाल) जैसे प्रतिष्ठित रचनाकार शामिल रहे।
यह भी पढ़े : बाँदा : सूने घर में युवक की नुकीले सामान से गोदकर हत्या
प्राकृतिक संवेदनाओं की प्रस्तुति में जीवंतता
कार्यक्रम में बाबू केदारनाथ अग्रवाल की प्रकृति से जुड़ी कविताओं को श्रद्धांजलि स्वरूप श्रद्धा निगम की नृत्य कला गृह की नृत्यांगनाओं ने "वह चिड़िया जो चोंच मारकर जुंडी के दाने खा लेती है..." पर आकर्षक प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
यह भी पढ़े : बाँदा : चित्रकूट धाम मंडल आयुक्त ने स्वास्थ्य सेवाओं में और सुधार के दिये निर्देश
बाल लेखन कार्यशाला बनी सृजन का संगम
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में बच्चों के लिए विशेष कविता लेखन कार्यशाला का आयोजन किया गया। मार्गदर्शन देने पहुंचे देश के वरिष्ठ साहित्यकारों ने विद्यार्थियों को बताया कि कविता केवल शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि सोचने और महसूस करने की एक प्रक्रिया है।
बाल प्रतिभाओं को मिला मंच और सम्मान
लगभग 100 छात्र-छात्राओं ने इस आयोजन में हिस्सा लिया। इनमें से 13 नवोदित कवियों को सर्वश्रेष्ठ रचना हेतु साहित्यिक पुस्तकों द्वारा सम्मानित किया गया, जबकि सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र देकर प्रोत्साहित किया गया।
वक्ताओं के विचारों में झलका साहित्य का भाव
-
मिथलेश शरण चौबे ने कहा,
“यह आवश्यक है कि हम बच्चों को सोशल मीडिया से इतर एक सृजनशील दुनिया दें – जहाँ वे सोच सकें, महसूस कर सकें और व्यक्त कर सकें।”
-
विवेक चतुर्वेदी बोले,
“कविता एक सतत प्रक्रिया है, जो समय के साथ परिपक्व होती है। अधूरी कविता निराशा नहीं, संभावनाओं की शुरुआत है।”
-
अल्पना वर्मा ने कहा,
“कविता हमारे आसपास हर चीज़ में मौजूद है – लोरी, प्रभाती, फूलों की मुस्कान या बारिश की टपकती बूँदें – बस दृष्टि चाहिए उन्हें देखने की।”
-
अंकित कुशवाहा (उपाध्यक्ष, केदार स्मृति न्यास) ने बताया,
“यह कार्यशाला केवल कार्यक्रम नहीं, बल्कि कविता का एक बीज है, जो आने वाले समय में साहित्यिक वृक्ष बनेगा।”
यह भी पढ़े : बाँदा : अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर KCNIT ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन्स में हुआ सामूहिक योग अभ्यास
बाल कवियों की झलक
बाल प्रतिभाओं की रचनाओं के शीर्षक:
➤ भागवत प्रसाद मेमोरियल अकादमी
-
आस्था कुशवाहा – खेतों की याद
-
आनंद दीपा – जंग – एक दौर
-
सुमित कुमार सिंह – युद्ध
-
मान्या तिवारी – नदी की सुंदरता
➤ भागवत प्रसाद मेमोरियल इंटर कॉलेज
5. ऋतु राज सिंह – प्रकृति की सुंदरता
6. अभिषेक कुमार प्रजापति – नदी
7. वर्षा चक्रवर्ती – कलम से युद्ध विराम
➤ जी.जी.आई.सी. (राजकीय कन्या इंटर कॉलेज)
8. दिव्यांशी – किसान एवं उनकी कृषि
➤ विद्यावती निगम मेमोरियल पब्लिक स्कूल
9. अनुष्का गुप्ता – नदी की सीख
➤ एच.एल. इंटर कॉलेज
10. शुभी राजपूत – चाहती हूं
11. कोमल सिंह – मेरी दोस्त प्रकृति
➤ इंटरनेशनल एमिटी स्कूल
12. शुभिता मिश्रा – बारिश में खेत
➤ सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज
13. रिया – प्रकृति का जीवन
साहित्यिक स्टॉल्स और सांस्कृतिक रंग
चंपक प्रकाशन द्वारा लगाए गए साहित्यिक स्टॉल्स ने बच्चों की जिज्ञासा को और अधिक विस्तार दिया। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकारों, शिक्षकों, प्राचार्यों, अभिभावकों और विद्यार्थियों की उत्साहजनक भागीदारी रही।
आभार ज्ञापन
डॉ. शबाना रफ़ीक (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, केदार स्मृति न्यास) ने लक्ष्मी द्विवेदी, एकता निगम सहित आयोजन समिति को सफल आयोजन हेतु धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन एकता निगम, लक्ष्मी द्विवेदी एवं शशिभूषण मिश्र द्वारा प्रभावी ढंग से किया गया।
What's Your Reaction?






