सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाती संघ की संस्कारशाला

न कोई छोटा, न कोई बड़ा, न कोई गरीब, न कोई अमीर और न ही जाति धर्म का भेदभाव। कुछ इन्हीं मान्यताओं के साथ ....

सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाती संघ की संस्कारशाला

झांसी, न कोई छोटा, न कोई बड़ा, न कोई गरीब, न कोई अमीर और न ही जाति धर्म का भेदभाव। कुछ इन्हीं मान्यताओं के साथ सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाते हुए वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की धरा पर संघ शिक्षा वर्ग संस्कारों की पाठशाला लगाए हुए है। संस्कारों की इस 21 दिनों की पाठशाला में एक ओर जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रशिक्षणार्थियों को राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत करते हुए राष्ट्रीयता के लिए तैयार कर रहा है। तो दूसरी ओर सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाते हुए लोगों में इसका भाव जगाने का भी कार्य कर रहा है। इन 21 दिनों में प्रत्येक दिन किसी न किसी बस्ती के घरों से रोटियां मंगा कर प्रशिक्षार्थियों के भोजन की चिंता की जा रही है। इसके माध्यम से उन्हें सिखाया जा रहा है कि राष्ट्रीय हित के लिए ऊंच-नीच या जाति पाति का भेदभाव नहीं बल्कि एकजुटता ही सर्वोपरि है।


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22 मई 2023 से 12 जून तक महानगर के भानी देवी गोयल विद्या मंदिर में संघ शिक्षा वर्ग का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ग में कानपुर प्रांत के 21 जिलों के कुल 282 प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण ले रहे हैं। इन 282 प्रशिक्षणार्थियों को करीब 200 से अधिक शिक्षक व व्यवस्थापक 21 दिनों तक कर्म की आग में तपा कर कुंदन बनाने का कार्य कर रहे हैं। इन 21 दिनों में इन प्रशिक्षणार्थियों में राष्ट्रप्रेम से लेकर राष्ट्र के प्रति हर तरह का समर्पण सिखाया जा रहा है। चिलचिलाती धूप में 45 डिग्री सेल्शियस तापमान में जब व्यक्ति अपने घरों में दुबक कर एसी व कूलर की हवा खाकर स्वयं को सुरक्षित रखने की बात करता है। वहीं एक स्वयंसेवक सुबह जागने से लेकर और रात्रि के शयन करने तक अपने सारे कार्य के साथ-साथ पर राष्ट्र हित की चिंता करने का तरीका सिखाया जाता है। तब कहीं वह खरे सोने की तरह दमकने का कार्य करते हैं। 21 दिनों तक चलने वाले इस महा आयोजन में स्वयंसेवकों को समरसता का पाठ पढ़ाने के लिए दोनों समय के भोजन की व्यवस्था बस्तियों के घरों से की जाती है। झांसी महानगर में कुल 11 नगर व एक खंड समेत कुल 82 बस्तियां है। 21 दिनों में दोनों समय का भोजन मंगाने के लिए 42 बस्तियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रत्येक घर से केवल 10 रोटियां ही अपेक्षित है और इस तरह संघ 1 दिन में कुल 600 घरों से जुड़कर उनमें राष्ट्रप्रेम की अलख जगा रहा है। कुल मिलाकर 21 दिनों में 12 हजार 600 घरों तक पहुंचने का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा किया जाएगा। इतने घरों में रोटियां मांगना और उस परिवार से जुड़ कर संघ व राष्ट्र के प्रति जागरूक करने का दायित्व महानगर के स्वयंसेवकों को सौंपा गया है।

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हिस

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