सिर्फ कुत्ता ही नहीं, बिल्ली, जंगली चूहा, बंदर के काटने से भी होता है रैबीज
जिला अस्पताल में एंटी रैबीज क्लीनिक की स्थापना के निर्देश, 24 घंटे रहेगा क्रियाशील..
जिला अस्पताल में एंटी रैबीज क्लीनिक की स्थापना के निर्देश, 24 घंटे रहेगा क्रियाशील
जूनोटिक रोग उन बीमारियों या संक्रमणों को कहा जाता है जो किसी जानवर या कीट से मनुष्यों में प्रेषित होते हैं। उन्हें ज़ूनोसिस भी कहा जाता है। जानवर बैक्टीरिया, कवक, वायरस और परजीवी जैसे हानिकारक रोगजनकों को ले जाते हैं। ये रोगजनक जब मनुष्यों के संपर्क में आते हैं, तो जूनोटिक रोग पैदा करते हैं।
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उक्त उद्गार जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने विकास भवन सभागार में आयोजित जूनोटिक समिति की बैठक में अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।
जिलाधिकारी ने जूनोटिक कमेटी की बैठक में उपस्थित सीएमओ एवं सीएमएस को जिला अस्पताल में एक मॉडल एंटी रैबीज क्लीनिक की स्थापना करने के निर्देश दिए। क्लीनिक 24 घंटे क्रियाशील रहेगा, जहां कुत्ते काटने की बचाव के लिए इंजेक्शन उपलब्ध रहें।
उन्होंने जानवर के काटने से हुए घाव का प्रबंधन एवं लैब डायग्नोसिस के संबंध में भी विस्तृत दिशा निर्देश दिए। पब्लिक हैल्थ विशेषज्ञ डा. उत्सव ने बताया कि विकासखंड मऊरानीपुर में अत्याधिक कुत्ता काटने के केस रिपोर्ट आ रहे हैं, जिसके लिए अधिशासी अधिकारी व मुख्य पशु चिकित्साधिकारी स्तर से कुत्ते को वेक्सीनेशन और नसबंदी कराने का अनुरोध किया गया।
कुत्ते के साथ ही बिल्ली, जंगली चूहा, बंदर व अन्य जानवर के काटने से भी होता है रैबीज
उन्होंने बताया कि आम जनमानस में धारणा है कि सिर्फ कुत्ते के काटने से भी रैबीज होता है, जबकि बिल्ली, जंगली चूहा, बंदर अन्य जंगली जानवर के काटने से भी रैबीज हो सकता है। डॉ. उत्सव ने रैबीज रोग, जानवर के काटने से हुए घाव का प्रबन्धन एवं लैब डायग्नोसिस आदि के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जानवर के काटने पर तुरन्त बहते पानी से घाव को 15 से 20 मिनट तक धोएं, इससे रैबीज वायरस की मात्रा कम हो जाती है।
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डा. अनुराधा राजपूत इपिडिमियोलॉजिस्ट ने रैबीज टीकाकरण के बारे मे बताया कि कुत्ते आदि जानवर के काटने पर 24 घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचकर टीकाकरण करवाने से रैबीज की संभावना कम हो जाती है। निर्धारित मात्रा में पूर्ण टीकाकरण कराने पर जानवर के काटने के पश्चात रैबीज नहीं होता है। बताया कि वार्ड नम्बर 40 मसीहा गंज में अत्याधिक कबूतर के कारण मसीह गंज निवासियों द्वारा शिकायत की गई है। पंछियों से फंगल इनफेक्शन होने का ख़तरा होता है, क्षेत्र में नियमानुसार कार्यवाही किए जाने के लिए बैठक में निर्देशित किया गया।
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