झांसी : गर्भावस्था कोई बीमारी नहीं, फिर भी खतरों से बचाव की करें पूरी तैयारी : एसीएमओ
गर्भावस्था कोई बीमारी नहीं है, फिर भी इसके प्रति सबसे ज्यादा सचेत होने की आवश्यकता है...
- मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए गर्भावस्था के खतरों का प्रबंधन जरूरी
गर्भावस्था को हल्के में लेना मातृ और शिशु की जान जोखिम में डाल सकता है। इस जोखिम को कम करने में प्रसव पूर्व जांच बहुत अहम भूमिका निभाती है। गर्भवती और उसके परिजनों को प्रसवपूर्व सभी जांचों के महत्व को समझना चाहिए। इससे प्रसव के समय होने वाले खतरों के बारें में पता चलता ही है, साथ ही समय रहते चिकित्सकों व परिवार के सदस्यों के द्वारा इन खतरों का निराकरण किया जा सकता है। यह जानकारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एनके जैन ने दी।
यह भी पढ़ें - हमीरपुर : एसएनसीयू में 700 ग्राम की बच्ची को मिला नया जीवन
उन्होंने बताया कि गर्भवती को गर्भावस्था के दौरान तीन बार सम्पूर्ण जांच कराना अनिवार्य है और इस समय कोविड की जांच भी जरूरी है। जटिलता की स्थिति में अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श जरूरी है। ऐसे में चिकित्सक के सुझाव को पूरी तरह से अमल में लाकर, अस्पताल में ही प्रसव कराने से सुरक्षित प्रसव कराया जा सकता है। जिससे शिशु और मातृ मृत्युदर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें - झांसी : कोरोना टेस्टिंग टीम के साथ अभद्रता करने पर होगी ये कार्यवाही
स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. गरिमा पुरोहित ने बताया कि प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) के महत्व को गर्भवती और उसके परिजनों को समझना जरूरी है। महिला गर्भवती होने की पुष्टि के बाद अपना संबन्धित केंद्र पर रजिस्ट्रेशन कराकर पहली एएनसी जरूर कराये और इस समय उसका पहला टीटी का टीका भी लगता है। वही 4-5 माह में दूसरी सम्पूर्ण जांच जरूर कराये और प्रसव के पहले 7-8 माह में तीसरी सम्पूर्ण जांच जरूर कराये। इन जांचों के जरिये गर्भावस्था के खतरे जैसे खून की कमी होना, मधुमेह की शिकायत, बच्चे की स्थिति के बारें में पता चलता है। जिसका समय रहते निस्तारण करना जरूरी है। वही तीसरी जांच में पता चल जाता है कि बच्चा सामान्य होगा या ऑपरेशन से, जिससे कि परिवार वाले पहले से ही प्रसव केंद्र चयनित कर ले, ताकि प्रसव के समय किसी प्रकार की समस्या न हो।
यह भी पढ़ें - राज्यसभा चुनाव : मायावती को झटका, पांच बसपा विधायकों ने प्रस्ताव वापसी के लिए किया आवेदन
शुरू हो गया है पीएमएसएमए दिवस, करा सकते है जांच
सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक और गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल सुनिश्चित कराने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत प्रत्येक माह की निश्चित नवीं तारीख को गर्भवती महिलाओं की पूर्ण जांच की जाती है। लॉकडाउन के दौरान यह बंद कर दिया गया था। लेकिन अब फिर से इसकी शुरुआत हो गयी है।
यह भी पढ़ें - नीट टॉपर आकांक्षा को मुख्यमंत्री योगी ने दिया ये सम्मान
इन केन्द्रों पर कराया जा रहा है प्रसव
शहरी क्षेत्र में जिला महिला अस्पताल सहित, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पुलिया नंबर 9, तालपुरा, नगरा में प्रसव कराये जा रहे है। वही ग्रामीण क्षेत्र में बड़ागांव को छोडकर सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव की सुविधा है।
यह भी पढ़ें - कांग्रेस ने सिंधिया को लेकर कसा तंज, भाजपा के संकल्प पत्र को बताया झूठ का पुलिंदा
सरकारी केन्द्रों पर पिछले 7 माह में 11 हजार से अधिक हुए प्रसव
अपर शोध अधिकारी राजबृजेन्द्र ने बताया कि अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2020 तक सरकारी केन्द्रों पर 11923 प्रसव हुए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार