जिनके नाम पर पाया सम्मान उनकी जन्मभूमि का भूले नाम, पूर्व शिक्षामंत्री का ये कैसा कारनामा
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयन्ती पर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया..
झांसी,
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयन्ती पर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। और इसमें बतौर मुख्य अतिथि पधारे भारत सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान पाने के बाद अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से आभार व्यक्त करते हुए जब ‘झांसी’ को कुछ और लिख दिया तो ये देखते ही देखते चर्चा का विषय बन गया।
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यह समारोह शाम 6 बजे से प्रारंभ होना था परन्तु जैसा कि अक्सर देखने को मिलता है कि हमारे यहां परम्परा ही बन गयी है देर से आने की। लिहाजा ये भी कार्यक्रम उसी देरी की परम्परा का निर्वाह करता हुआ लगभग डेढ़ घंटे की देरी से शुरू हुआ। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के प्रपौत्र डॉ. विवेक गुप्त व अन्य लोगों ने पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को उनके साहित्य प्रेम एवं साहित्य में निभाई गई उनकी भूमिका के लिए उन्हें ”राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान“ के लिए चिन्हित किया गया था और फिर उन्हें इस समारोह में सम्मानित भी किया गया।
हालांकि कवि सम्मेलन के नाम पर झांसी और आसपास के कविता प्रेमी श्रोताओं की उपस्थिति अच्छी संख्या में रही परन्तु अतिथि सम्मेलन सुनकर हुई देरी के कारण घर जाने पर उन्हें भी मजबूर होना पड़ा। पूरा कार्यक्रम समाप्त होने के पश्चात राष्ट्रकवि से बचपन से प्रभावित रहे पूर्वमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जो बतौर मुख्य अतिथि पधारे थे, जब उनके आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से समारोह में सम्मिलित व सम्मानित होने का आभार जताने वाली पोस्ट पब्लिश हुई तो ये चर्चा का विषय बन गयी।
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निशंक ने राष्ट्रकवि की जन्मस्थली ‘झांसी’ को ‘रांची’ लिख डाला। पोस्ट होने के बाद उनके फॉलोवर्स ने उन्हें अपनी गलती का भान कराया। ट्विटर पर सैकड़ों कमेंट इसी बात को लेकर लिखे गये कि उनके द्वारा लिखा गया ‘रांची’ दरअसल ‘झांसी’ है। और ये ट्वीट इसी प्रकार गलती को सहेजे कई घंटे तक बना रहा। बाद में अच्छी खासी किरकिरी होने पर जब उन्होंने संज्ञान लिया तब जाकर उसे सही किया गया।
आपको बता दें कि ‘झांसी’ सिर्फ राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की ही जन्मस्थली नहीं है बल्कि ये झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के कारण भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इतने विश्वविख्यात नगर को जब भूलकर ‘रांची’ कर दिया जाये तो झांसी के लोगों का आहत होना लाजिमी ही था। इसीलिए लोग लगातार कमेंट करके उन्हें अपनी भूल का अहसास करा रहे थे। क्योंकि एक आम आदमी गलती करे तो चलता है पर एक पूर्व शिक्षामंत्री जोकि अपने को राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त से प्रभावित मानते हैं, अपने को उनका बहुत बड़ा प्रशंसक मानते हैं। यदि उनके द्वारा उनकी जन्मस्थली का गलत नाम लिखा जाता है तो खबर तो बनती है।
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