नई शिक्षा नीति 2020 पर केंद्रित अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में रोजगार सृजन और शैक्षिक नवाचार पर चर्चा

रघुराज पीपल मैन फाउंडेशन, हमीरपुर और विद्यासागर कॉलेज ऑफ एजुकेशन, दार्जिलिंग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित...

नई शिक्षा नीति 2020 पर केंद्रित अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में रोजगार सृजन और शैक्षिक नवाचार पर चर्चा

रघुराज पीपल मैन फाउंडेशन, हमीरपुर और विद्यासागर कॉलेज ऑफ एजुकेशन, दार्जिलिंग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित द्विदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार का समापन 11 सितम्बर 2024 को हुआ। इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से रोजगार सृजन और शैक्षिक नवाचार पर चर्चा करना था।

बदलती वैश्विक शिक्षा व्यवस्था और भारत की नई शिक्षा नीति के संदर्भ में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित इस सेमिनार में शिक्षकों और शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। सेमिनार में भाग लेने वाले प्रमुख वक्ताओं ने नई शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा को रोजगार उन्मुख और व्यक्तित्व विकास का माध्यम बनाने पर जोर दिया।

रघुराज पीपल मैन फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ डॉ. रघुराज प्रताप सिंह ने बताया कि फाउंडेशन का उद्देश्य नई शिक्षा नीति 2020 को आम जनता तक पहुँचाना और इसे प्रभावी रूप से लागू करना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति तक सीमित न रहकर रोजगार सृजन और व्यक्तित्व निर्माण का माध्यम होनी चाहिए, जिससे समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान दिया जा सके।

इस सेमिनार में कुवैत से डॉ. सुमंत मिश्रा, अमेरिका से रितिका शाह, मोरक्को से गाली जमाल, और साउथ अफ्रीका से वेजिटी मक्का ने अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण से अपने विचार साझा किए। भारत से पद्मश्री डॉ. विजय कुमार शाह ने शिक्षा को सिर्फ रोजगार का साधन न मानते हुए व्यक्तित्व निर्माण का महत्वपूर्ण घटक बताया।

इसके अलावा, पद्मश्री भारत भूषण त्यागी ने शिक्षा और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया, जबकि जल योद्धा पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय ने शिक्षा के महत्व और राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका पर प्रकाश डाला।

सेमिनार का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से रोजगार के अवसर सृजित किए जाएंगे और शैक्षिक नवाचार के माध्यम से छात्रों के कौशल विकास पर जोर दिया जाएगा। आयोजक और अतिथियों ने इस प्रयास को 2047 तक के विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

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