कथा के तीसरे दिन आचार्य ने खोले संस्कारों के रहस्य
सोमवार की पावन संध्या को पुरानी बाजार स्थित स्वर्गीय राजेंद्र पांडेय जी के आवास में श्रीमद्भागवत कथा महापुराण का तीसरा दिन भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा...
चित्रकूट। सोमवार की पावन संध्या को पुरानी बाजार स्थित स्वर्गीय राजेंद्र पांडेय जी के आवास में श्रीमद्भागवत कथा महापुराण का तीसरा दिन भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर रहा। नयागांव के प्रख्यात आचार्य रवि शास्त्री जी ने ध्रुव चरित्र, प्रह्लाद चरित्र और भगवान नरसिंह अवतार का ऐसा रोमांचकारी वर्णन किया कि पूरा पांडाल भावविभोर हो उठा। आचार्य जी ने कहा कि प्रह्लाद जैसा पुत्र गर्भ में ही ईश्वर की भक्ति का संस्कार सीख लेता है, पर जन्म लेते ही संसार की माया उसे बांध लेती है। बच्चों को बचपन से ही भगवान के नाम जप और माला के संस्कार देने चाहिए ताकि उनमें दिव्यता और सद्गुण विकसित हों। कथा में जब शिव-सती चरित्र का प्रसंग आया तो श्रोताओं की आंखें श्रद्धा से भर उठीं। आचार्य जी ने बताया कि दक्ष द्वारा शिवजी को दामाद होते हुए भी सम्मान न देना ही नहीं, बल्कि उन्हें अपमानित करने की भावना से यज्ञ आयोजित करना- उस काल का सबसे दुखद प्रसंग था। यज्ञ में सभी देवताओं को बुलाया गया, लेकिन सती और शिव को निमंत्रण तक न भेजा गया। आचार्य जी ने संदेश दिया कि कथा भगवान की होती है, यहां किसी निमंत्रण की जरूरत नहीं- कथा में कोई भेद नहीं, कोई दूरी नहीं। इस आध्यात्मिक आयोजन में अवधेश, रंजन, निरंजन, चितरंजन, साहित्य, परी सहित स्व. राजेंद्र पांडेय जी का संपूर्ण परिवार श्रद्धापूर्वक उपस्थित रहा।
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