‘निकाय चुनाव’ की बुनियाद पर खड़ी होगी 2024 में भाजपा की इमारत

यूपी नगर निकाय चुनाव को वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी सबसे बड़ा मुकाबला....

‘निकाय चुनाव’ की बुनियाद पर खड़ी होगी 2024 में भाजपा की इमारत

यूपी नगर निकाय चुनाव को वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी सबसे बड़ा मुकाबला माना गया। इसको लेकर तमाम राजनीतिक दल जोर-आजमाइश करते दिखे। भाजपा ने भी अपनी साख को दांव पर लगाया। उत्तर प्रदेश ‘नगर निकाय चुनाव-2023’ के बीच से राज्य में लोकसभा चुनाव 2024 की राह निकलती दिख रही है। लोकसभा चुनाव में समीकरण को साधने और नए समीकरण को गढ़ने का प्रयास किया गया।

सबसे अधिक प्रयोग भारतीय जनता पार्टी की ओर किए गए। भाजपा ने यूपी नगर निकाय चुनाव में अपनी रणनीति में बदलाव किया है। वर्ष 2014 के बाद से भाजपा ने यूपी में होने वाले चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान से उतारने से बचती रही है। लेकिन, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे के साथ आगे बढ़ती भाजपा ने अब इस वर्ग में अपना विश्वास जताया है। नगर निकाय चुनाव में विभिन्न पदों पर 391 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है।

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दो चरणों में सम्पन्न हुए नगर निकाय चुनाव के घोषित परिणामों में भाजपा ने सभी 17 नगर निगमों की मेयर सीट एकतरफा हासिल कर के विपछ का सूपड़ा साफ कर दिया, वहीं नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में भी विपक्षी दलों को काफ़ी पीछे छोड़ दिया है। इस निकाय चुनाव में विपक्षी दलों के समक्ष भाजपा के तेवर अपनी तैयारियों से लेकर परिणाम तक बिजली के समान दिखाई पड़े।

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भाजपा के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह  ने निकाय चुनाव में कई चुनावी प्रयोग किए, जिसका परिणाम अंततः सफलता में परिवर्तित भी हुआ। वोटरों के घर पर्ची पहुँचाने की मुहिम, बूथ स्तर पर की गयी तैयारियों के साथ-साथ चुनाव प्रबंधन प्रमुख बनाए जाने का प्रयोग भी संगठन महामंत्री द्वारा किया गया। इसके तहत इनको मतदाता टोलियों की निगरानी, पर्ची घरों तक पहुँचाने और मतदाताओं को जागरूक कर घरों से बाहर निकलवाने की ज़िम्मेदारी भी दी गई।

पार्टी के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी व संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के लिए यह इम्तिहान पार्टी की बड़ी आशाओं के साथ थोड़ा मुश्किल था, किन्तु दोनों राजनीतिक धुरंधरों के आपसी सामजस्य व कुशल रणनीति के तहत सफ़ल हुआ।

इस निकाय चुनाव में ‘पन्ना प्रमुख’ और ‘पन्ना समिति’ दोनों का ही प्रयोग एकदम नया था। इन टोलियों को भी पूर्वकथित कार्यों में ही लगाया गया था। पार्टी ने कार्यक्रमों व अभियानों के जरिए भी खुद को अव्वल रखने में कसर नहीं छोड़ी और हर नगर-निगम क्षेत्र में ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ करवाकर सामाजिक संपर्क अभियान के तहत पार्टी विभिन्न जाति-वर्ग के मतदाताओं के बीच पहुंची।

भाजपा ने सबसे बड़ी जीत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चारों निकाय सहारनपुर, गाजियाबाद, मेरठ व मुरदबाद में हासिल की। यहाँ तक की भाजपा ने अखिलेश यादव को उनके गढ़ में ही पटखनी दी। इस जीत की रणनीति का श्रेय सीधे-सीधे दोनों शीर्ष राजनेताओं, भूपेन्द्र चौधरी व धर्मपाल सिंह को जाता है।

मोदी-योगी की सरकार के प्रति अटूट भरोसे से मिली जीत - धर्मपाल सिंह

नगरीय निकाय चुनाव-2023 में भाजपा की इस प्रचण्ड जीत का श्रेय प्रदेश की देवतुल्य जनता व पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं को देते हुए कहा कि यह मोदी-योगी की डबल इंजन की सरकार के प्रति अटूट विश्वास का नतीजा है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुशासन की जीत बताई।

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