तिंदवारी नगर पंचायत में भ्रष्टाचार का खुलासा - बुन्देलखण्ड के लुटेरे

तिंदवारी नगर पंचायत में भ्रष्टाचार का खुलासा - बुन्देलखण्ड के लुटेरे

देवेन्द्र नाथ मिश्रा @ बाँदा

जनपद के प्रवेश द्वार के लिए जाने जाना वाला मुख्यालय से उत्तर दिशा में स्थित तिंदवारी कस्बा जो आसपास के गांवों का स्थानीय बाजार है, पुलिस थाना व ब्लाक मुख्यालय भी है। स्थापित नगर पंचायत क्षेत्र भी है। हम आज उदाहरणार्थ तिंदवारी नगर पंचायत का लेते हैं। निर्माण कार्यों की स्थिति में अकल्पनीय भ्रष्टाचार में लिपटी हुई है, शासन की योजनाओं में खुली लूट हो रही है।

मामला यह है कि प्रधानमंत्री आवास योजना नगरी में सत्यवीर काछी पुत्र राम सिया काछी निवासी संतोषी नगर तिंदवारी जिला बांदा द्वारा अपने आप को प्रधानमंत्री आवास प्राप्ति हेतु अपने कूट रचित प्रयासों से किसी दूसरे की किराए की संपत्ति को अपना बता कर पात्रता हासिल करता है। उस संपत्ति का वर्तमान में टाइटल निर्धारण का मुकदमा है। जो जनपदीय अदालत में विचाराधीन है। जिस पर पात्रता की जांच कार्यकर्ताओं से सांठगांठ कर डूडा विभाग से अनुदानित धनराशि की स्वीकृकृति प्राप्त कर ली जाती है। परंतु बुद्ध विकास पुत्र बलवीर सिंह पटेल निवासी संतोषी नगर तिन्दवारी इस संदर्भ में लिखित आवेदन के माध्यम से ई. ओ. अमर बहादुर सिंह को अवगत कराया जाता है कि उक्त व्यक्ति पात्र नहीं है परंतु भ्रष्टाचार द्वारा रची गई कूट रचना इतनी गहरी होती है कि अमर बहादुर सिंह द्वारा डूडा विभाग 23दिसम्बर 2019 को पत्र लिखकर कार्यवाही करने की अपेक्षा की जाती है, खाना पूरी करते हुए इधर अपात्र व्यक्ति को धनराशि अवमुक्त कर दिया जाता है। इस संदर्भ में जब बुद्धि विकास द्वारा तिंदवारी नगर पंचायत ई.ओ अमर बहादुर सिंह को मोबाइल फोन करके पहुंचने का प्रयास किया जाता है। तो अधिशासी अधिकारी द्वारा टका सा जवाब देते हुए कहा जाता है कि इस संदर्भ में हम तुम्हें कोई सूचना नहीं देंगे। अपने इस कार्यवाही को नियमानुसार बताते हुए इस पर भ्रमित करने का प्रयास किया जाता है की धनराशि के खर्च व वितरण करना नगर पालिका नगर पंचायत की जिम्मेदारी है नियम में है ही नहीं। इतना ही नहीं बुद्धि विकास द्वारा जब कहा जाता है कि आपके पास मेरे द्वारा दी गई सूचना होते हुए भी उक्त अनुदानित धनराशि को आपके या आपके अधिनस्थ किसी नगर पंचायत के कर्मचारी द्वारा प्रति हस्ताक्षरित विड्राल बैंक द्वारा भुगतानित है।

उस पर इ. ओ. साहब का कहना है कि नगर पंचायत में कोई किसी भी तरह धनराशि हस्ताक्षरित कर वितरित कर दे तो मैं क्या कर सकता हूं। अथवा मेरी जिम्मेदारी नहीं है, इतना ही नहीं अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत तिंदवारी द्वारा स्पष्ट कहा जाता है कि इस संबंध संदर्भित अनियमितताओं में अगर कोई दोषी है तो राजस्व विभाग दोषी है। जिसके द्वारा पात्रता की जांच कर चयनित नाम तैयार किए जाते हैं, यह बात तथ्यहीन क्योंकि अधिशासी अधिकारी यह भूल रहे हैं कि संपत्ति के मालिकाना हक संबंधित संपूर्ण दस्तावेज नगर पंचायत में उपलब्ध होते हैं और नगर पंचायत उसी आधार पर गृहकर का निर्धारण करता है। वह वसूली करता है। अकेले राजस्व विभाग की रिपोर्ट पर यदि डूडा विभाग द्वारा अनुदानित धनराशि बेनिफिषियल को आवंटित करता होता तो अनुरक्षण का दायित्व नगर पालिका या नगर पंचायत को क्यों दिया जाताहै।

 परंतु ब्यूरो द्वारा जब अधिशासी अधिकारी से वार्ता की गई तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी लेने से इनकार करते हुए कहा कि इस संदर्भ में राजस्व विभाग के अधिकारी को ही जिम्मेदार ठहरा दिया गया है।

इतना ही नहीं धमकी भरे अंदाज में तमाम नियम कानून का हवाला भी दिया गया। यहां गौरतलब है कि अधिशासी अधिकारी अमर बहादुर सिंह का यह कथन कितना सत्य है।  जबकि नगर पंचायत में रहने वाले हर व्यक्ति का रिहायशी रिकार्ड उपलब्ध होता है। नगर पंचायत क्षेत्र में पूर्व से लेकर वर्तमान में निर्मित प्रत्येक मकान का हाउस टैक्स के रूप में पैसा वसूल करता है।

तहसीलदार तहसील बांदा सदर अवधेश कुमार निगम उप जिला अधिकारी सुरजीत सिंह का उपरोक्त कथन है कि राजस्व विभाग से केवल पात्रता की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है। उपरोक्त प्रकरण में अधिकारी नगर पंचायतों में स्वयं अभिलेख होते हैं तथा नगर पंचायत की निगरानी इकाई है।

उसके द्वारा ही प्रस्तुत किया जाता है। इतना ही नहीं डूडा विभाग द्वारा प्रधानमंत्री आवास में अनुदानित राशि शत-प्रतिशत निर्गत करना विभागीय कर्मचारी जो नगर पंचायत में या नगरपालिका में नियुक्त होता है उसके निरीक्षण के उपरांत होती है कुछ भी हो वर्तमान समय में भ्रष्टाचार के वायरस से ग्रसित है। नगर पंचायत को भ्रष्टाचार से मुक्त करने हेतु की आवश्यकता है जिससे इस वायरस से ग्रसित रोगियों का इलाज किया जा सके।

ईओ से फोन पर हुई बात आप भी सुनिए -

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