आधुनिकता की रफ्तार में खोती जा रही बैलगाड़ी की परंपरा — अब यादों और कहानियों तक सिमटता ‘बैलगाड़ी युग’

विकास खंड क्षेत्र में ग्रामीण जीवन की पहचान रही बैलगाड़ी अब इतिहास के पन्नों में दर्ज होती जा रही है। कभी गांव-गांव की...

Nov 11, 2025 - 17:04
Nov 11, 2025 - 17:11
 0  22
आधुनिकता की रफ्तार में खोती जा रही बैलगाड़ी की परंपरा — अब यादों और कहानियों तक सिमटता ‘बैलगाड़ी युग’

हमीरपुर जिले के कुरारा क्षेत्र में बैलगाड़ी का चलन लगभग समाप्त, आधुनिक वाहनों ने छीनी ग्रामीण परिवहन की पहचान

कुरारा (हमीरपुर)। विकास खंड क्षेत्र में ग्रामीण जीवन की पहचान रही बैलगाड़ी अब इतिहास के पन्नों में दर्ज होती जा रही है। कभी गांव-गांव की सड़कों पर घंटों की आवाज और बैलों की थकान के साथ चलने वाली गाड़ियां आज आधुनिक वाहनों की रफ्तार में गुम होती जा रही हैं।

कुरारा क्षेत्र के बीहड़ और ग्रामीण इलाकों में अब ई-रिक्शा और ट्रैक्टरों ने अपनी जगह बना ली है। पहले जहां हर घर में बैल और गाड़ी देखी जाती थी, वहीं अब यह नजारा केवल कभी-कभी ही दिखता है। ग्रामीण बताते हैं कि आज से चार दशक पहले लोग इन्हीं बैलगाड़ियों से दूर-दराज की यात्राएं करते थे और खेतों में हल चलाने से लेकर अनाज ढोने तक का सारा कार्य इन्हीं बैलों के भरोसे होता था।

अब समय के साथ खेती और परिवहन दोनों ही क्षेत्रों में मशीनों का बोलबाला है। ट्रैक्टरों और आधुनिक कृषि यंत्रों ने न केवल खेती को आसान बना दिया, बल्कि बैलों के महत्व को भी कम कर दिया।

कस्बे में आज एक महिला को अपने परिजनों के साथ बैलगाड़ी से बाजार आते देखा गया — यह दृश्य देखकर कई लोगों की पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे दृश्य अब बहुत कम देखने को मिलते हैं।

बुजुर्गों के अनुसार, आने वाली पीढ़ियाँ बैलगाड़ी की सवारी को केवल उनकी बातों और कहानियों से ही जान पाएंगी। आधुनिकता और मशीनों के इस युग में बैलगाड़ी अब एक बीते दौर की विरासत बनकर रह गई है, जिसे कुछ ग्रामीण अब भी सहेजकर रखे हुए हैं।

रिपोर्ट : अखिलेश सिंह गौर, हमीरपुर

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0