जन हाहाकार सुन सांसद ने लिखा पत्र
 
                                    जनता हाहाकार कर रही हो और जिम्मेदार कर्मी गैरजिम्मेदाराना रवैया निभा रहे हों तो ऐसे मे ही जनप्रतिनिधि की आवश्यकता को बल मिलने लगता है। जनप्रतिनिधि वही जो निरंकुश अफसरशाही पर लगाम लगा सके लेकिन हो क्या रहा है ? बिजली विभाग महामारी के समय जनता को मुफ्त मे जीवन से मुक्ति देने का काम कर रहा है। वह भला हो सांसद आरेके पटेल का जिनके हृदय को जन हाहाकार ने चीर दिया परंतु बिजली विभाग का हृदय बादल की तरह का फटा क्या ?
बड़े गर्व के साथ कहा जाता है धर्म नगरी पर क्या अफसरों का धर्म है ? यहाँ कोई जिम्मेदार अधिकारी धर्म का पालन करते हुए काम कर रहा है ? क्या ऊर्जा के क्षेत्र ( बिजली विभाग ) से घूसखोरी की खबरें नहीं आतीं ? जनता का बच्चा - बच्चा भी गुहार लगाकर बताता है कि एक विभाग से घूसखोरी की सुर्खियों जुबानों से बारिश की बूंदों की तरह टपकती रहती हैं। किन्तु खुद के विभाग ने खुद पर कार्रवाई कब की ? यह अलग बात है कि बिजली चोरी के नाम पर जन उत्पीड़न खूब हुआ है।
इधर संपूर्ण चित्रकूट जनपद से किसान और किसान का बच्चा हाहाकार मचाए है। युवा कहते हैं कि महामारी के दौर मे भी बिजली नहीं मिल पा रही। विकराल गर्मी की वजह से घरों के अंदर रहना मुश्किल हो रहा , बिन बिजली के ! किसान की पीड़ा से भरी आवाज गूंज रही है कि मेरी फसल का क्या होगा ?
वही किसान है जिसने चंद दिनों पहले भूसा दान किया था। जिलाधिकारी चित्रकूट ने आग्रह की झोली फैलाई और किसानों ने जिलाधिकारी की झोली भूसे से भर दी पर दानी किसान को बिजली कब मिलेगी ? बड़ा सवाल है जनपद के प्रशासन से कि महामारी के दौर मे जीवन को कब और कैसे बचाएंगे ?
मासूम बच्चों का रात - दिन मे कभी भी नींद लेना मुहाल हो गया। हर घर मे इनवर्टर नहीं होता और ना हर घर मे कूलर और एसी होता है। साहब लोगों को गरीब की हाय को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। मध्यमवर्गीय परिवार की पीड़ा को महसूस करना चाहिए। युवाओं के भविष्य को बनाने से ही राष्ट्र निर्माण होगा परंतु जनपद के साहब और साहब की मानसिकता के जिम्मेदार लोग भी भीषण समस्याओं से पल्ला झाड़कर स्वागत-सत्कार का ड्राइ फ्रूट्स एसी मे खाते हैं।
यह अच्छा हुआ कि बांदा लोकसभा के सांसद श्री पटेल को जनता का दर्द महसूस हुआ। उन्होंने अपने ही शासन से शिकायत दर्ज कराई। समस्याओं को बिंदुवार लिखा और ऊर्जा मंत्री की चेतना मे प्रेषित कर दिया।
सबसे बड़ा काम यह हुआ कि असहाय जनता ने जब सांसद की दहाड़ सुनी तो उसके हृदय मे प्रकाश व्याप्त हो गया। उस जनता को लगा कि अरे हाँ जिला मुख्यालय में हमारा जनप्रतिनिधि रहता है और वह हमारी ताकत है। अन्यथा यह सच है कि निरंकुश अफसरशाही से जनता डरने लगी है और यह क्रूरतम सच है कि जनपद चित्रकूट की अफसरशाही में लगाम लगाने वाला घुडसवार संभवतः आइसोलेट हो गया है। कहीं कुछ तो गडबड हो चुकी है।
सांसद बांदा ने जन समस्या को सोशल मीडिया के माध्यम से भी शासन - प्रशासन के सामने रखा है। जनता भी सांसद बांदा से आशा रखती है कि बिजली व्यवस्था को दुरूस्त कराकर जीवन बचा लिया जाए और जनता का मानसिक उत्पीड़न समाप्त हो। यह सच है कि अपने जनप्रतिनिधि की आवाज अपने लिए सुनकर जनता को ताकत महसूस होने लगती है। एक ऐसी ही ताकत जनता ने महसूस की है।
हकीकत मे अफसरों को धर्म नगरी में जनता के प्रति धर्म को निभाना चाहिए। संवैधानिक कर्तव्य को निभाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होगा तो गीता का वह कथन चरितार्थ होगा कि कर्म करो फल की इच्छा मत करो अर्थात अधर्म का फल अधर्म मिलेगा और धर्म का फल धर्म मिलेगा। और जब जनप्रतिनिधि जनता की आवाज बनता है तो उसमे जनता की आवाज की ताकत होती है जो ईवीएम की एक - एक बीप की आवाज से मिलकर ब्रह्मास्त्र हो जाती है। इसलिए जनता सांसद श्री पटेल के पत्र को पढ़कर ही महसूस करने लगी की अब शीघ्र ही इस समस्या का अंत होगा।
 लेखक: सौरभ द्विवेदी, समाचार विश्लेषक
लेखक: सौरभ द्विवेदी, समाचार विश्लेषक                        
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