यूपी की 7479 सहकारी समितियां होंगी डिजिटल
केंद्र सरकार की पहल पर सूबे के सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए राज्य में सक्रिय 7479 प्रारंभिक कृषि सहकारी ऋण समिति..
- सूबे की 7479 प्राथमिक समितियों में माइक्रो एटीएम भी लगेंगे
केंद्र सरकार की पहल पर सूबे के सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए राज्य में सक्रिय 7479 प्रारंभिक कृषि सहकारी ऋण समिति (पैक्स) के ढांचे में व्यापक बदलाव लाया जाएगा। इसके तहत राज्य सरकार सभी 7479 सहकारी समितियों का डिजिटल करेगी। इसके साथ ही हर पैक्स में माइक्रो एटीएम लगाए जायंगे।
केंद्र सरकार तथा नाबार्ड से मिलने वाली आर्थिक मदद से यूपी में सक्रिय पैक्स का कायाकल्प किया जाएगा। सरकार का मत है कि सूबे की सभी पैक्स काे डिजिटल किए जाने तथा उनमे माइक्रो एटीएम लगाए जाने से पैक्स से जुड़े एक करोड़ से अधिक किसानों का भला होगा। स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। किसानों को पैक्स के जरिए खाद, बीज और फसली ऋण आसानी से मिल सकेगा, उन्हें भटकना नहीं पड़ेगा।
यह भी पढ़ें - योगी बोले, हमने किया रिफॉर्म, टीम ने किया परफॉर्म और आज हर फील्ड में उप्र आगे
गौरतलब है कि केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने देश भर में फैली 97 हजार से अधिक प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के लिए एक नई केंद्रीय योजना तैयार की है। इसके तहत देश के सभी पैक्स के डिजिटलीकरण के लिए अगले पांच वर्षों में लगभग दो-तीन हजार करोड़ रुपये के बजट खर्च किए जाना तय हुआ है।
देश में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसी) को आमतौर पर कृषि सहकारी ऋण समितियों (पैक्स) के रूप में जाना जाता है। ये सहकारी सिद्धांतों पर आधारित गांव-स्तरीय ऋण देने वाली संस्थाएं हैं। प्रदेश में सक्रिय 7479 पैक्स भी ग्रामीणों को ऋण मुहैया कराने और कृषि उपज को खरीदने का कार्य करती हैं।
इसके अलावा भी यूपी की कई पैक्स कृषि उपज को सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज और फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के साथ ही गैस एजेंसी एवं ट्रांसपोर्ट का कार्य कर रही हैं। इसके साथ ही किसानों को उनकी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लघु और मध्यम अवधि के ऋण प्रदान करती हैं।
यह भी पढ़ें - चुनाव देख राम राम कर रहे हैं श्रीराम का अस्तित्व नकारने वाले लोग : सुरेश खन्ना
केंद्र सरकार की योजना के अनुसार देश में सक्रिय 97 हजार 961 पैक्स में से लाभ वाली 65 हजार पैक्स का सबसे पहले डिजिटलीकरण किया जाएगा। करीब 35 हजार पैक्स निष्क्रिय हैं और कर्ज में डूबी हैं। यूपी में भी ऐसी ही निष्क्रिय समितियां हैं। इसी वजह से इन समितियों को बैंकों से न लोन मिल पा रहा है और न ही उनमें किसी तरह का कामकाज हो पा रहा है। सहकारी क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि इन समितियों के रहते उन ग्राम पंचायतों में दूसरी समितियों का गठन नहीं हो पा रहा है।
इससे वहां के लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पैक्स की आर्थिक तंगी की जानकारी होने पर सरकार ने पैक्स की संख्या को बढ़ाने को बढ़ाने की योजना तैयार की। इसके तहत प्राथमिक समितियों का कंप्यूटरीकरण करने के साथ ही गांव स्तर पर पैक्स का गठन करने की योजना पर कार्य किया जाना तय हुआ है। अभी राज्य में न्याय पंचायत के स्तर पर पैक्स का गठन किया जाता है।
राज्य में सक्रिय 7479 पैक्स का कंप्यूटरीकरण किए जाने पर करीब 210 करोड़ रुपये का खर्च होगा। एक पैक्स का कंप्यूटरीकरण करने में करीब तीन लाख रुपये खर्च होंगे जबकि एक माइक्रो पैक्स की स्थापना पर करीब 25 हजार रुपये खर्च होंगे। सरकार का मत है कि प्राथमिक समितियों के कंप्यूटरीकरण से पारदर्शिता बढ़ेगी। इससे गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं के बराबर रहेगी।
यह भी पढ़ें - उप्र : नौ आईपीएस और 29 पीपीएस अफसरों का तबादला
- प्राथमिक समितियों के कंप्यूटरीकरण में खर्च होंगे 210 करोड़ रुपये
सहकारिता विभाग के अधिकारियों के अनुसार प्राथमिक समितियों का कंप्यूटरीकरण से कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव होगा। पैक्स का कंप्यूटरीकरण होने से हर गांव के सभी किसानों का डाटा पैक्स के पास होगा। पैक्स के कम्प्यूटर में किसान की भूमि और बैंक अकाउंट का विवरण का ब्यौरा होगा, जो जिला सहकारी बैंक से लिंक होगा।
जिन गांव के किसानों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा, उनके जमीन का नक्शा भी डिजिटाइज्ड किया जाएगा। पैक्स के जरिए किसानों के कल्याण की योजनाओं को लिंक करने के साथ उनको समय-समय पर एडवाइजरी भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही किसानों की ओर से तैयार किये जा रहे उत्पादों के लिए उचित विपणन की भी व्यवस्था करेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में खेती और किसानों को लाभ पहुँचाने वाला यह बड़ा बदलाव हो रहा है। पैक्स का कंप्यूटरीकरण करने की योजना से किसानों का जो डाटाबेस तैयार होगा, उससे इसकी भी जानकारी मिल सकेगी कि किसानों को किस प्रकार का अनुदान किन-किन योजनाओं से प्राप्त हुआ है। सरकार का मानना है कि उक्त योजना से सूबे के एक करोड़ से अधिक किसानों को लाभ होगा। उन्हें खाद, बीज और कृषि ऋण प्राप्त करने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
यह भी पढ़ें - अक्षय और कैट की सूर्यवंशी का गाना 'मेरे यारा' रिलीज, दिखी जबरदस्त रोमांटिक कमेस्ट्री
हि.स