बांदाःनदी की बीच धारा में स्थित ये खूनी चट्टान 15 बच्चों की  ले चुकी है जान 

जनपद के नरैनी तहसील अंतर्गत प्रसिद्ध गुढा के हनुमान मंदिर के ठीक पीछे बागें नदी व रंज नदी का संगम है। यहीं पर एक विशाल चट्टान है जिससे नदी में छलांग लगाने वाले मौत के मुंह में ...

बांदाःनदी की बीच धारा में स्थित ये खूनी चट्टान 15 बच्चों की  ले चुकी है जान 

 जनपद के नरैनी तहसील अंतर्गत प्रसिद्ध गुढा के हनुमान मंदिर के ठीक पीछे बागें नदी व रंज नदी का संगम है। यहीं पर एक विशाल चट्टान है जिससे नदी में छलांग लगाने वाले मौत के मुंह में समा जाते हैं। इसी चट्टान के पास नदी की धारा में एक ऐसी भंवर है जिसमें फंसकर अब तक 15 बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं । इसीलिए इस चट्टान को खूनी चट्टान के नाम से जाना जाता है। 

यह भी पढ़ें-बांदा में बडी दुर्घटनाः कजलियां खोंटने गए 7 बच्चे यमुना नदी में बहे

गुढा के हनुमान मंदिर के बगल से बागें नदी की जलधारा बहती है। मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु नदी में स्नान करते हैं। इसी नदी में वह खूनी चट्टान मौजूद है। जिस पर नहाने के लिए रोक है। कुछ दिन पहले यहां बैरिकेटिंग भी बनाई गई थी ताकि उस चट्टान तक कोई पहुंच न सके। इसके बाद भी जो बच्चे या युवा के उस चट्टान में पहुंचकर नदी में छलांग लगाने की कोशिश करते हैं उन्हें जान गंवानी पड़ती है। इस विशाल चट्टान को मूल दर्शन कहा जाता था और लोग पूजन-पाठ करते थे। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में भी इस चट्टान से कूदने पर लोग जान गंवा बैठे हैं। अब अतर्रा कस्बे के सुलक थोक निवासी नील कमल उर्फ गब्बर की बागै नदी स्थित खूनी चट्टान इलाके में डूबकर मौत होने पर पुरानी घटनाएं भी ताजा हो गईं। अब तक इस चट्टान से 15 लोगों की मौत हो चुकी है।

यह भी पढ़ें-बबेरू विधायक और सिटी मजिस्ट्रेट के बीच नोक झोंक,विधायक ने क्या कहा जानिये

यह खूनी चट्टान नदी के बीचोंबीच स्थित है। अक्सर बच्चे नहाते समय पानी की जलधारा में फंसकर भंवर में फंस जाते हैं। अभी तक खूनी चट्टान में 15 लोगों की मौत हो चुकी है। पूर्व में हुई मौतों पर शासन-प्रशासन ने इस मामले को संज्ञान में लिया था। तत्कालीन मंत्री स्व. विवेक सिंह की पहल पर इस खूनी चट्टान को तोड़े जाने का आदेश भी दिया गया था। मगर यह चट्टान टस से मस नहीं हुई थी। इसी तरह एक भाजपा नेता के नाती की मौत हो जाने पर चट्टान को जेसीबी मशीन से तोडने की कोशिश की गई थी। लेकिन सफलता नही मिली।इसके बाद शासन-प्रशासन की चुप्पी से इस खूनी चट्टान को तोड़ा नहीं जा सका है।

इन बच्चों की जान ले ली
वर्ष 1985 में मध्य प्रदेश के खोरा गांव निवासी मुन्ना (13),. वर्ष 1987 में रजिया पुरवा निवासी रामकिशोर (11) वर्ष 1991 में गुढ़ा कला निवासी मुन्ना प्रजापति (10). वर्ष 1995 में नौगवां गांव का पप्पू (11). वर्ष 2001 में सोनू (8) व रज्जन (9). वर्ष 2014 में नरैनी निवासी सुलोचन (15). वर्ष 2015 में नरैनी कस्बा निवासी विष्णु (18). वर्ष 2018 में मूड़ी गांव का वीर सिंह (10). वर्ष 2023 में अतर्रा कस्बा निवासी नीलकमल (26)
यह भी पढ़ें-बेटी के साथ दरिंदगी करने वाले बाप को ताउम्र जेल में रखने की सजा

What's Your Reaction?

like
0
dislike
0
love
0
funny
0
angry
0
sad
1
wow
0