बेजुबान गब्बर ने अपनी जान पर खेलकर, अजगर से लड़कर मालिक की बचाई जान

आपने एक फिल्म देखी होगी "तेरी मेहरबानियां" इस फिल्म में वफादार कुत्ता फिल्म के नायक की हत्या करने वाले सभी...

बेजुबान गब्बर ने अपनी जान पर खेलकर, अजगर से लड़कर मालिक की बचाई जान

आपने एक फिल्म देखी होगी "तेरी मेहरबानियां" इस फिल्म में वफादार कुत्ता फिल्म के नायक की हत्या करने वाले सभी हत्यारों से चुन चुन कर बदला लेता है। यह तो हुई  फिल्म की बात, क्या कभी आपने सोचा है कि हकीकत में भी कुत्ते अपने मालिक के इतने वफादार होते हैं कि मालिक जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं करते हैं। ऐसी ही एक घटना बुंदेलखंड के झांसी से सटे मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के ओरछा तहसील में देखने को मिली। जहां एक वफादार कुत्ते ने मालिक पर हमला करने जा रहे अजगर को मारकर मालिक की जान बचा ली। लेकिन खुद इस लड़ाई में अपनी जान गंवा दी।

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कुत्तों की वफादारियो के चर्चे सदियों से चलते आ रहे है। आज के युग में इंसानियत बची ही नही। जमीन जायदाद को लेकर भाई- भाई का दुश्मन बना बैठा है। लेकिन बेजुबान जानवर ने अपनी जान पर खेल कर मालिक की जान बचाई। कुत्ते की वफादारी पर मालिक ही नही जिसने भी सुना उसकी आंखो से आंसू निकल आए। मामला बुंदेलखंड के झांसी से सटे मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के ओरछा तहसील का है। यहां रहने वाले रसूखदार अमित राय जिजोरा ने आज से पांच वर्ष पूर्व एक छोटा का कुत्ता पाला था। जिसका नाम उन्होंने गब्बर रखा था। बताते है की अमित गब्बर का इतना ध्यान रखते थे की उसे जानवर होने का एहसास नहीं होने दिया। 

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मालिक के इस प्यार- दुलार को देख गब्बर भी उनके प्रति इतना वफादार था की किसी को उनके पास भटकने नही देता था। बताया जा रहा है की पिछले रोज अमित अपने कुत्ते गब्बर के साथ फार्म हाउस पर टहल रहे थे। इसी दौरान वहां अचानक विशालकाय अजगर निकल आया जो अमित की तरफ ही जा रहा था । अमित इस बात से बेखबर थे। लेकिन मालिक के प्रति वफादार गब्बर की नजर अमित के आस पास ही थी। उसकी नजर अजगर पर पड़ गई, ओर गब्बर बिना सोचे समझे अजगर से उलझ गया। काफी देर तक चली दोनो के बीच जंग में अजगर जंग हार गया। गब्बर ने अजगर के दो टुकड़े जरूर कर दिए लेकिन उस विशालकाय अजगर का जहर गब्बर के शरीर में फैल गया और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई।

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जब अमित और परिजनों की नजर कुत्ते पर पड़ी और उसके बाद दो भागों में कट चुके अजगर पर पड़ी तो सभी की आंखों से आंसू बहने लगे। लोगों का कहना है की आखिरकार एक जानवर ने अपनी जान पर खेल कर अपने मालिक के प्रति वफादारी निभाई।अमित बताते हैं कि दो दिन पहले 15 नवंबर की सुबह वह अपने फॉर्म हाउस में टहल रहे थे। गब्बर भी उनके आगे-पीछे उछलता-खेलता चल रहा था। तभी अजगर जैसा दिखने वाला एक रसेल वाइपर सांप उनकी तरफ बढ़ा। वह उस सांप को देख नहीं पाए लेकिन गब्बर की नजर सांप पर पड़ गई।

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गब्बर उस पर बुरी तरह से टुट पड़ा। सुबह का समय था, इसलिए कोई कुछ समझ पाता इससे पहले ही गब्बर ने उसे नोंच-नोंच कर उसके टुकड़े कर डाले। लेकिन इस दौरान सांप ने भी गब्बर को डस लिया। अमित बताते हैं कि सांप तो मर गया लेकिन वह गब्बर को लेकर अस्पताल भागते, तब तक उसकी सांसे थम चुकी थीं। घरवालों ने सांप के टुकड़े और गब्बर को मृत देखा तो सभी समझ गए कि उनकी जान बचाने के लिए गब्बर अपनी जान पर खेल गया।


अमित राय बताते हैं कि वह जिला पंचायत सदस्य हैं और उनकी मां सरोज प्रेमचंद्र राय जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। इसलिए घर में सभी व्यस्त रहते हैं। उन्हें जानवरों से बहुत प्यार है। इसलिए उन्होंने घर में ग्रेटडेन और साइबेरियन हस्की डॉग के अलावा, गाय, तोते और घोड़ा भी पाल रखा है। अमित बताते हैं कि उन्हें छोटा सा डॉग बहुत पसंद था इसलिए तकरीबन पौने तीन साल पहले अमृतसर से एक अमेरिकन बुली डॉग खरीदा था। इसका नाम उन्होंने गब्बर रखा था। कुछ ही दिनों में गब्बर उनका सबसे प्यारा डॉग बन गया। गब्बर मुझे बेड पर सोता देख दौड़कर आता था। बताते हैं कि मैं घर से बाहर निकलता था तो भागकर फट से कार के ऊपर चढ़ जाता था। जिद करता था कि मैं उसे गोद में उठा लूं और खूब प्यार करूं।

अमित बताते हैं कि जिस दिन गब्बर की मौत हुई, उनसे खाना नहीं खाया गया। उन्होंने गब्बर को अपने ही फॉर्म हाउस में जिस जगह दफनाया है, वहां रोज दीपक जला रहे हैं। गब्बर की आत्मा की शांति के लिए वह कन्याओं को भोज व पूजन करवाएंगे। बताते है कि रसेल वाइपर एक बार काटने पर 12-250 मिलीग्राम जहर छोड़ता है। इसकी स्पीड इतनी अधिक होती है कि पांच फीट दूर खड़े शिकार पर भी कुछ सेकंड में फुर्ती से हमला कर देता है। 45 मिनट में ही व्यक्ति की मौत हो सकती है।

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