किसानों की समृद्धि के बिना नहीं आ सकती खुशहाली : योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है। किसान की समृद्धि के बिना खुशहाली नहीं ...

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया 'भारत में पशु नस्लों का विकास' कार्यशाला का शुभारंभ
कार्यशाला में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह 'ललन सिंह', अरुणाचल प्रदेश के पशुपालन मंत्री गेब्रियल डी वांगसु समेत अन्य लाेग हुए शामिल
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है। किसान की समृद्धि के बिना खुशहाली नहीं आ सकती। भारत में कृषि व पशुधन एक-दूसरे से जुड़े रहे हैं। अन्नदाता किसान के घर में पशुधन होगा और पशुपालक भी खेतीबाड़ी से अवश्य जुड़ा होगा। इनके आपसी संबंध को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्ष में किसानों की खुशहाली व समृद्धि के लिए बढ़ाए गए कदम अत्यंत महत्वपूर्ण व सराहनीय हैं। पीएम मोदी की प्रेरणा से यूपी में भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए गए हैं। डबल इंजन सरकार की ऊर्जा का लाभ यूपी ने लिया है। यूपी दुग्ध उत्पादन में देश में नंबर एक पर है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 'भारत में पशु नस्लों का विकास' कार्यशाला का शुभारंभ किया। उन्होंने गोरखपुर के कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थान तथा पशुपालन अवसंरचना विकास निधि के तहत यूपी में तीन प्रोजेक्ट (अमेठी, बरेली व मथुरा) का बटन दबाकर उद्घाटन किया। अतिथियों ने पुस्तिका का भी विमोचन किया।
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मुख्यमंत्री योगी ने एफएमडी बीमारी (खुरपका-मुंहपका) की चुनौतियों का जिक्र किया। बोले कि एफएमडी के वैक्सीनेशन कार्यक्रम प्रारंभ हुए, फिर बीच में उसे रोका गया, लेकिन केंद्रीय मंत्री ने सेचुरेशन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आज आश्वासन दिया है। उन्हाेंने आश्वस्त किया कि पशुधन को एफएमडी मुक्त बनाकर पशुपालकों के जीवन में खुशहाली लाने में योगदान देंगे।
योगी ने कहा कि पशुधन का असर वहां के क्लाइमेटिक जोन, उसके पालन, रखरखाव, नस्ल पर भी प्रभाव पड़ता है। यूपी के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग गोवंश दिखेंगे। स्थानीय स्तर पर देसी पद्धतियों से जिन्होंने नस्ल को सुधारने के लिए प्रयास किए, उन्होंने अच्छी नस्ल को बढ़ाने में सफलता प्राप्त कर ली।
भारत सरकार का धन्यवाद देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने यूपी में मिल्क प्रोड्यूसर को प्रोत्साहित किया है। झांसी के बलिनी, गोरखपुर, आगरा, काशी समेत यूपी में पांच मिल्क प्रोड्यूसर कार्यरत हैं। इससे लाखों महिलाएं जुड़ी हैं, जो समितियों के माध्यम से दुग्ध कलेक्शन, आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करती हैं और पशुपालन की अच्छी नस्ल की भी चिंता करती हैं
14 लाख से अधिक गोवंश की हो रही देखभाल
योगी ने कहा कि आज 14 लाख से अधिक गोवंशों की देखभाल सरकार की गोशालाओं या सरकार द्वारा सहायता प्राप्त पशुपालकों द्वारा की जा रही है। गोशालाओं में 12 लाख पशुधन हैं। इसके साथ ही गोवंशों की देखभाल के लिए हर महीने 1500 रुपये प्रति गोवंश देते हैं। इसमें लगभग दो लाख से अधिक पशुधन 1.25 लाख किसानों के पास हैं। तीसरी स्कीम-कुपोषित परिवारों को निराश्रित गोआश्रय स्थल से दुधारू गाय देते हैं। 10 हजार से अधिक परिवारों को एक-एक गाय दे रखी है। 1500 रुपये हर महीने गाय की सेवा के लिए उपलब्ध कराते हैं। इससे गोवंश के संरक्षण व संवर्धन को बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने बीमारियों को लेकर जताई चिंता
सीएम ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में केमिकल, पेस्टिसाइड, फर्टिलाइजर का अत्यधिक उपयोग नई बीमारियों को जन्म दे रहा है। कैंसर, खराब किडनी, लीवर के दुष्परिणाम बताते हैं कि केमिकल, पेस्टिसाइड व फर्टिलाइजर का उपयोग अत्यधिक मात्रा में किया है। हमें इस समस्या के समाधान का रास्ता निकालना होगा। प्राकृतिक जीवन जीने के लिए प्राकृतिक खेती महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक खेती गो आधारित खेती ही है, भारतीय नस्ल का गोवंश उसमें बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकता है।
कार्यशाला में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह 'ललन सिंह', अरुणाचल प्रदेश के पशुपालन मंत्री गेब्रियल डी वांगसु, प्रदेश सरकार के मंत्री धर्मपाल सिंह, गोसेवा आयोग के अध्य़क्ष श्याम बिहारी गुप्ता, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव अमित कुमार घोष, भारत सरकार की सचिव (पशुपालन व डेयरी) अलका उपाध्याय आदि की मौजूदगी रही।
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किसानों ने रखे अपने अनुभव
किसान रामप्रकाश दुबे (वाराणसी), विनीता देवी (वाराणसी), लखपति दीदी कौशल्या देवी (गोरखपुर), सोनम कुमारी (एटा), पन्नेलाल यादव (गोरखपुर) ने सफलता की कहानी और सरकार से मिले सहयोग की कहानी साझा की।
हिन्दुस्थान समाचार
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