"शहीद पत्रकार सुरेश चंद्र गुप्ता के अतुल्य बलिदानों को पत्रकारों का सहृदय नमन" : दिनेश निगम दद्दा जी

बांदा प्रेस क्लब के तत्वाधान में गुरुवार को बबेरू में पत्रकार स्व. सुरेश चंद्र गुप्ता का शहीद दिवस मनाया गया। इस मौके पर जिले भर से पहुंचे पत्रकारों ने...

"शहीद पत्रकार सुरेश चंद्र गुप्ता  के अतुल्य बलिदानों को पत्रकारों का सहृदय नमन" : दिनेश निगम दद्दा जी

बांदा प्रेस क्लब के तत्वाधान में गुरुवार को बबेरू में पत्रकार स्व. सुरेश चंद्र गुप्ता का शहीद दिवस मनाया गया। इस मौके पर जिले भर से पहुंचे पत्रकारों ने उनके स्मारक पर पहुंचकर प्रतिमा पर माल्यार्पण, हवन, पूजन इत्यादि कर उन्हें नमन करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इसके बाद हुई संगोष्ठी में शहीद पत्रकार सुरेश चंद गुप्ता की निर्भीक पत्रकारिता की चर्चा करते हुए उनके पद चिन्हों पर एकजुट होकर इस मिशन को और आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बांदा प्रेस क्लब के अध्यक्ष दिनेश निगम दद्दा थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार डॉ. बुद्धि प्रकाश अग्निहोत्री ने की।

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कार्यक्रम की शुरुआत शहीद पत्रकार स्व. सुरेश चंद गुप्ता की प्रतिमा पर माल्यार्पण और हवन पूजन के साथ हुई। इसके बाद बांदा प्रेस क्लब के वरिष्ठ सदस्य एवं स्व सुरेश चंद्र गुप्ता के साथी डॉ. बुद्धि प्रकाश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि व बांदा प्रेस क्लब के अध्यक्ष दिनेश निगम दद्दा ने स्व. सुरेश चन्द्र गुप्ता के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए जहां पत्रकारिता के मूल्यों का बखान किया तो वहीं उन्होने वर्तमान पत्रकारिता के गिर रहे मूल्यों पर चिन्ता भी व्यक्त की। उन्होनें कहा कि स्व. सुरेश चन्द्र गुप्ता के नाम को जिन लोगों ने भुनाया, उन लोगों ने उनके परिवार को दरकिनार कर सिर्फ मलाई खाने का कार्य किया है। जबकि बांदा प्रेस क्लब ने जब कुटुम्ब मिलन कार्यक्रम किया था, तब उसमें उनकी पत्नी श्रीमती राजेश्वरी देवी को आदर सहित बुलाकर उनका सम्मान किया। केवल नाम को भुनाकर अपना हित साधना कोई और करता होगा, पर बांदा प्रेस क्लब ने सदैव अपने पत्रकार साथियों के हित में कार्य किया है। हम पूरी जिन्दगी अपने वरिष्ठ पत्रकार स्व. सुरेश चन्द्र गुप्ता जी के कृतित्व को यूं ही बयां करते रहेंगे, क्योंकि उन्हीं को देखकर आने वाली पीढ़ियां पत्रकारिता के सच्चे मूल्यों को ग्रहण कर पायेंगी।

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बांदा प्रेस क्लब के महामंत्री सचिन चतुर्वेदी ने शहीद पत्रकार की निडरता की तारीफ करते हुए पत्रकार एकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जैसे 40 साल पहले स्व. सुरेश चन्द्र गुप्ता ने जो निर्भीक पत्रकारिता का उदाहरण प्रस्तुत किया, वो किसी से छिपा नहीं है। उनके बाद यहां के पत्रकारों ने जिस निर्भीकता से उनको न्याय दिलाने में जो साहस दिखाया। उसी का परिणाम है कि आज हम उनकी याद में उनकी निर्भीकता और साहस को याद कर पा रहे हैं। इससे उन भ्रष्टाचारियों को भी सीख मिल रही है, जो पत्रकारों को कुछ नहीं समझते थे। और ये सब सम्भव हुआ आपसी एकता से।

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इसी प्रकार प्रेस क्लब के संरक्षक कमल सिंह ने भी स्व. सुरेश चन्द्र गुप्ता के बलिदान के किस्से को फिर से ताजा किया और पत्रकारों के आपसी मनमुटाव को खत्म करने की वकालत की। विशिष्ट अतिथि रहे जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने ये विश्वास दिलाया कि पत्रकारों के हित में जो भी होगा, वो उसमें अवश्य मदद करेंगे, उन्होंने भ्रष्टाचार के मिटाने में पत्रकारिता की आवश्यकता पर जोर देते हुए बताया कि समाज के सजग प्रहरी के रूप में पत्रकारों के योगदान और बलिदान को कभी नहीं भूला जा सकता और न ही भुलाया जाना चाहिये। एक स्वस्थ समाज बनाने के लिए चौथा स्तम्भ जरूरी है। नगर पंचायत चेयरमैन सूर्यपाल सिंह यादव और पूर्व चेयरमैन विजय पाल सिंह ने भी स्व. सुरेश चन्द्र गुप्ता की निर्भीकता की प्रशंसा करते हुए भ्रष्टाचार व जुल्म के आगे घुटने न टेकने वाले वीर पत्रकार सुरेश चन्द्र गुप्ता की कई किस्सों को जनमानस से साझा किया।

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पूर्व विधायक चन्द्रपाल कुशवाहा ने आंखों देखा हाल सुनाया कि कैसे वो उस वक्त वहां मौजूद थे। कैसे उन्हें लाठी डंडों द्वारा बेरहमी से मारा गया था। ये पूरा घटनाक्रम उन्होंने ऐसा बयां किया कि जैसे कोई फिल्म चल रही हो। पर उस समय पुलिस और प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी, इसीलिए लोग भी तमाशाई बनकर उन्हें देखते रहे। उन्होंने बताया कि आज वो वक्त नहीं है, आज यदि कहीं भी किसी के साथ भी गलत होता है, तो उसे न्याय दिलाने का कार्य तत्परता से होता है। 

स्व. सुरेश चन्द्र गुप्ता की धर्मपत्नी श्रीमती राजेश्वरी देवी ने भी अपने उद्बोधन में ज्यादा कुछ न कहते हुए भावुकता के साथ अपना आशीर्वाद उपस्थित लोगों को दिया। और इसी प्रकार उनके शहीद पति को प्रतिवर्ष याद करने वाले पत्रकार बन्धुओं के प्रति अपना आभार भी जताया। भाषणों की इसी श्रंखला में बबेरू के पत्रकार साथियों ने भी अपने अपने तरीके से स्व. सुरेश चन्द्र गुप्ता के संस्मरण या सुने हुए किस्से सुनाकर पत्रकारों की एकता पर बल दिया।  

अन्त में अध्यक्षता कर रहे डॉ. बुद्धि प्रकाश अग्निहोत्री ने फिर से एक बार उन संस्मरणों को सुनाया जो उनके और उनके साथी स्व. सुरेश चन्द्र गुप्ता के बीच घटित हुए। उनके ऊपर जो जुल्म हुआ, उसकी लड़ाई कैसे उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर लड़ी और कैसे अपने साथी को वो न्याय दिला पाये, वो सारे घटनाक्रम उन्होंने बयान किये। उन्होने सुरेश चंद गुप्ता की निडरता के साथ की गई पत्रकारिता की सराहना की और कहा कि उन्होंने पुलिसिया जुल्म के आगे घुटने टेकने के बजाय सच्चाई की राह पर चलते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। स्व सुरेशचंद्र गुप्ता को निर्भीक एवं निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाना जाता था। बदमाश एवं गुंडों ने पुलिस अधिकारियों की मिली भगत से 13 जुलाई 1983 को उनकी सरेआम हत्या कर दी थी, जिसके परिणामस्वरूप ऐतिहासिक जनांदोलन हुआ था। निर्भीक निष्पक्षता एवं ईमानदारी के लिए उनका जीवन प्रेरणा स्रोत है। सभी पत्रकारों को उनके बताए हुए रास्ते पर चलना चाहिए और सभी को एकजुट रहना चाहिए, यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। डॉ. अग्निहोत्री ने उन लोगों को भी चेताया जो उनके दिवंगत साथी के नाम का बेजा इस्तेमाल करते हुए अपनी अपनी रोटियां सेंकते हैं। उन्हें भी समझना चाहिये कि सुरेश चन्द्र गुप्ता ने लोभ लालच की परवाह किए बगैर सत्य का साथ दिया और आज तमाम लोग अपने हित के लिए ऐसे सत्य पुरूष के नाम को बेंच रहे हैं।

कार्यक्रम में बांदा प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष अनिल आवारा, सुनील सक्सेना, मंजुल मयंक शुक्ला, राजेंद्र खत्री, श्रीश पांडेय, रामजी यादव, संजय मिश्रा, शिवविलाश शर्मा, उमेश श्रीवास्तव, सुधीर अग्रहरि, जितेंद्र श्रीवास जीतू, कमलेश चौरसिया, कासिम खान, नत्थू पटेल, अरविंद श्रीवास्तव, सुरेश साहू, सरोज त्रिपाठी, प्रवीण कुमार द्विवेदी, मुफीद आलम खान, नन्दूराम चतुर्वेदी, योगेन्द्र सेठी, राजेन्द्र गुप्ता, सुभाष शर्मा, ब्रजेश गुप्ता, शैलेन्द्र त्रिपाठी, प्रभंजन कुमार, वेद प्रकाश शर्मा आदि पत्रकार साथियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर याद किया।

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