रिमझिम फुहारों के बीच युवतियों ने किया सोलह श्रृंगार, मनाया सावन तीज
शहर में महिलाओं के एक ग्रुप द्वारा हरियाली तीज का आयोजन किया गया। जिसमें एक लंबे समय के बाद सभी युवतियों ने सोलह श्रृंगार करके..
शहर में महिलाओं के एक ग्रुप द्वारा हरियाली तीज का आयोजन किया गया। जिसमें एक लंबे समय के बाद सभी युवतियों ने सोलह श्रृंगार करके और झूला झूलकर सावन का आनंद लिया और एक दूसरे को सावन की बधाइयां दी।
सावन का पावन महीना आ चुका है जहां एक ओर भोलेनाथ की आराधना हो रही है वहीं दूसरी ओर हरियाली छटा छा गई है। सावन लगते ही प्रकृति का वातावरण भी खूबसूरत हो जाता है। सावन में सोलह श्रृंगार करने की भी प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है जब देवी पार्वती ने बड़े ही जप तप करके शंकर जी से विवाह किया था।
तब से युवतियां एवं कन्याओं के लिए सावन फलदाई माना जाता है। इसीलिए सावन में सुहागिन औरतें एवं युवतियां श्रृंगार करके हरी हरी मेहंदी रचा कर चूड़ी बिंदिया कंगना आलता लगाकर हरे परिधान पहनकर झूला झूल कर सावन के गीत ढोलक की थाप पर गाकर सावन तीज मनाती चली आ रही है।
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- झूला भी झूला और गाए सावन गीत
इसी क्रम में महिलाओं के एक ग्रुप द्वारा हरियाली तीज का आयोजन किया गया। जिसमें एक लंबे समय के बाद सभी ने सावन का आनंद लिया और एक दूसरे को सावन की बधाइयां दी।
रिमझिम फुहारों के बीच सावन के गीत भी गाए, डॉक्टर शबाना रफीक द्वारा सावन का महत्व एवं कविता सुनाई गई। वहीं दूसरी ओर युवतियों ने सावन के बहुत सारे खेल खेलें, जमकर नृत्य किया और झूला भी झूला। सभी ने श्रृंगार की थालियां सजा कर पूजा अर्चना कर सावन तीज मनाया।
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- कोरोना काल के बाद पहला कार्यक्रम
महिलाओं ने बताया कि कोरोना के बाद यह पहला ऐसा आयोजन था जिसमें युवतियां एकत्रित हुई। अभी तक जितने आयोजन हुए थे वह स्टूडियो द्वारा सारे ऑनलाइ कराए गए थे। निश्चय ही इस प्रकार के आयोजन से नीरसता दूर होती है।
एक दूसरे से मिलने से खुशी का माहौल होता है और साथ में परंपराओं को साथ जोड़ने में भक्ति का समावेश भी होता है।इस अवसर पर संतोष ओमर निहारिका ओमर, सौदामिनी गुप्ता, शिल्पी, अलका गुप्ता, स्नेहा नामदेव, नेहा सिंधवानी नेहा सराफ, रेनू, संगीता, ऐश्वर्या, समीक्षा, किरण, सुनीता, शुभा, अनीता, रेणुका आदि शामिल रही।
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