ब्राह्मणों को आखिर कब तक रिझाओगे और क्या पाओगे ?
राजनीति की लड़ाई में शब्दों का खेल समझाते हैं। जाति की लड़ाई मे शब्दों का झांसा समझाते हैं..
राजनीति की लड़ाई में शब्दों का खेल समझाते हैं। जाति की लड़ाई मे शब्दों का झांसा समझाते हैं। पर जाति के आंकड़ों की बाजीगरी का सबसे बड़ा बाजीगर कौन? जाति या सियासी दल ? अचानक से बसपा को फिर क्यों याद आने लगे ब्राह्मण?