स्वच्छ भारत अभियान को डिस्टिक फाॅरेस्ट विभाग दिखा रहा है ठेंगा
मामला नगर में बने इकलौते पार्क सिटी फारेस्ट का है, जिसका अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है, मगर विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है कि इस पार्क का सुंदरीकरण कराकर पर्यटक स्थल का रूप दिया जा सके।
नगर का इकलौता पार्क सिटी फारेस्ट मे कुछ वर्ष पूर्व बड़ा ही अच्छा व शांतमय वातावरण रहता था, पार्क में फव्वारा, स्ट्रीट लाइट, झूला, बैठने की उत्तम व्यवस्था व आर्टीफीशियल जानवरों के चित्र बड़े ही मनोहारी लगते थे।
लोग सुबह शाम टहलने अपने परिवार के साथ जाते थे। मगर आज की स्थिति बड़ी ही दयनीय है, जहां प्रकाश के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है, स्ट्रीट लाइटें टूटी पड़ी हुई हैं, जानवरों के चित्र क्षतिग्रस्त हो गये हैं। घड़ियाल पालन के लिए बने जलगृह में घड़ियाल तो नहीं हैं, मगर उसमें एक बूंद पानी भी नहीं है। झूले व छतरी भी क्षतिग्रस्त हैं, फव्वारा व वाटरकूलर शो पीस बने हैं। लोगों को वहां पानी पीने की कोई व्यवस्था नहीं है। कैंटीन के पास लगा एक हैंडपंप ही लोगों के लिए एक सहारा है।
पूर्व सांसद गंगाचरण राजपूत द्वारा इस पार्क का सुंदरीकरण कराया गया था। जो आज पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। लोग वहां टहलने तो नहीं जाते हैं, मगर शराबियों व जुआंड़ियों का अडडा जरूर बन गया है। लोग सिटी फारेस्ट के अंदर निडर होकर दिन भर ताश फेटते हैं। जो पुलिस को भनक तक नहीं लगती। सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर चैकीदार तो लगा दिये गये हैं, मगर वहां किसी प्रकार की कोई देखरेख नहीं होता। सिटी फारेस्ट के अंदर लगा नलकूप का कई सालो से खराब पड़ा हुआ है, जिसे आज तक नहीं सही किया गया।
जिससे न तो वहां पेड़ पौधों की सिंचाई हो पाती है और न ही लोगों को पानी मिल पाता है। इस पार्क की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है और न ही विभाग कोई ठोस कदम उठा रहा है, कि इसका सुंदरीकरण कराया जाये।