हमीरपुर में फालतू जमीन पर मेडिसन की खेती से किसानों ने बदली तकदीर
हमीरपुर जिले में फालतू जमीन पर मेडिसन की खेती से यहां किसानों ने अपनी तकदीर ही बदल डाली है। परम्परागत....
हर सीजन में मिल रहा मोटा मुनाफा
हमीरपुर जिले में फालतू जमीन पर मेडिसन की खेती से यहां किसानों ने अपनी तकदीर ही बदल डाली है। परम्परागत खेती में भारी नुकसान उठाने वाले किसान मेडिसन की खेती से हर सीजन में मोटा मुनाफा ले रहे है। कम लागत में आमदनी तीन गुनी होने के कारण अब किसान मेडिसन की खेती का दायरा भी बढ़ाया है।
हमीरपुर जिले में मेडिसन की खेती तमाम गांवों में किसान अर्से से कर रहे है। राठ ब्लॉक क्षेत्र के औड़ेरा और बिगुआ गांवों में तमाम किसानों ने परम्परागत खेती के साथ बागवानी में मेडिसन की खेती कुछ साल पहले शुरू की जिससे अब किसानों को हर सीजन में मोटी कमाई हो रही है। औड़ेरा गांव के कौशल किशोर ने अपने ही खेतों में सर्वगंधा, अश्वगंधा, सत्तावर, हल्दी, सफेद मूसली, तुलसी समेत अन्य मेडिसन की खेती कर अपनी तकदीर ही आज बदल डाली है। कौशल किशोर समेत तमाम किसानों ने बताया कि एक हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में बागवानी के साथ मेडिसन की खेती अर्से पहले शुरू की थी। अब इससे मोटा मुनाफा हर सीजन में मिल रहा है।
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बताया कि गांव के अन्य कई किसानों ने भी बागवानी में मेडिसन की खेती शुरू की है। किसान महिपाल लोधी ने बताया कि बुन्देलखंड क्षेत्र में दैवीय आपदा के कारण किसानों को खरीफ और रबी की फसलों में हर साल तगड़ा झटका लगता है। जिससे परम्परागत खेती से घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है। इसीलिए अब मेडिसन की खेती का दायरा बढ़ाया गया है। इस किसान ने बाजार में सत्तावर औैर अश्वगंधा तीन सौ से ज्यादा रुपये प्रति किलो में आसानी से बिकती है, जबकि इसकी खेती में लागत भी बहुत कम आती है।
जिला उद्यान अधिकारी रमेश चन्द्र पाठक ने बताया कि हमीरपुर जिले में तुलसी समेत अन्य मेडिसन की खेती सैकड़ों किसान कर रहे है। डिपार्टमेंट से खेती करने वाले किसानों को खाद्य बीज और दवाएं मुफ्त दी जाती है।
मेडिसन की खेती से किसानों ने अब बनाई बड़ी पूंजी
गांव के महिपाल सिंह व कौशल किशोर ने बताया कि अश्वगंधा की खेती में खर्चा कम आता है लेकिन मुनाफा अच्छा होता है। बताया कि कम पानी के बावजूद भी उपज अच्छी मिलती है। 170 दिनों में अश्वगंधा की फसल तैयार होती है। इसकी खेती में प्रति एकड़ तीन हजार रुपये की लागत आती है। सरीला, गोहांड क्षेत्र में सैकड़ों किसान मेडिसन में तुलसी की खेती से तकदीर बदली है। सुमेरपुर क्षेत्र के कई किसान रामा व श्यामा तुलसी समेत अन्य मेडिसन की खेती कर रहे हैं।
फालतू जमीन पर पेड़ों के बीच लगाए जाते हैं सत्तावर
मेडिसन की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि बागवानी में पेड़ों के बीच फालतू जमीन मेडिसन के पौधे लगाने में काम आती है। पेड़ों के बीच जमीन पर सत्तावर, ढाई फीट की दूरी पर रोपित कराए जाते हैं। इसकी बेल पेड़ों पर बहुत ही तेजी से चढ़ती है। डेढ़ साल के अंदर सत्तावर की फसल तैयार होती है। बताया कि ये मेडिसन प्लांट है जो शक्तिवर्धक होता है। ताकत बढ़ाने के साथ मवेशियों को भी दूध बढ़ाने के लिए खिलाया जाता है। पेट सम्बन्धी बीमारी में इसका प्रयोग होता है।
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