'वोकल फॉर लोकल' का असर : इस दीवाली चाइनीज बाजार हुआ ठंडा, कुम्हारों के चेहरे पर लौटी मुस्कान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई 'स्वदेशी' और 'वोकल फॉर लोकल' की अपील का असर अब ज़मीनी स्तर पर दिखाई देने लगा...

बाँदा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई 'स्वदेशी' और 'वोकल फॉर लोकल' की अपील का असर अब ज़मीनी स्तर पर दिखाई देने लगा है। इस दीवाली, बाँदा सहित पूरे देश में लोग चीनी (चाइना निर्मित) वस्तुओं से परहेज करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिसके चलते चाइनीज मार्केट का दिवाला निकलता दिखाई दे रहा है।
मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी: दीवाली के पर्व को लेकर इस बार लोग मिट्टी से बने दीयों और अन्य सजावटी वस्तुओं की जमकर खरीदारी कर रहे हैं। मिट्टी और स्वदेशी वस्तुओं की इस बढ़ती मांग के कारण, बाँदा में मिट्टी की वस्तुओं का निर्माण करने वाले कुम्हारों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई है और उन्हें इस बार अच्छी दीवाली होने की उम्मीद है।
कुम्हारों ने जताया आभार: पीढ़ियों से मिट्टी से निर्मित वस्तुओं का व्यवसाय करने वाले कुम्हारों का कहना है कि विगत कई वर्षों से चाइना निर्मित सस्ती वस्तुओं ने बाजार पर कब्जा कर रखा था। इसके चलते उनके हाथ से बने मिट्टी के सामान की कोई पूछ नहीं थी और उनका व्यवसाय लगभग पूरी तरह से ठप्प हो गया था।
एक कुम्हार ने बताया, "प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लोगों से स्वदेशी अपनाने की अपील का जबरदस्त असर देखने को मिल रहा है। अब लोग विदेशी वस्तुओं को ठुकरा कर मिट्टी के दीये व वस्तुओं की जमकर खरीदारी कर रहे हैं, जिससे हमें काफी मुनाफा हो रहा है।"
स्वदेशी वस्तुओं के प्रति लोगों का यह रुझान न केवल देश के स्थानीय कारीगरों को आर्थिक संबल प्रदान कर रहा है, बल्कि पारंपरिक हस्तकला को भी एक नया जीवन दे रहा है।
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