चित्रकूट मे श्रावण मास में अमावस्या कावड़ यात्रा रहेगी प्रतिबंधित

जिलाधिकारी  शेषमणि पांडे की अध्यक्षता में आगामी श्रावण मास की अमावस्या मेला को देखते हुए संत महात्माओं के साथ बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में संपन्न हुई। जिसमें निर्णय लिया गया कि आगामी सावन मास में कांवड़ यात्रा प्रतिबंधित रहेगी। बैठक के दौरान श्रद्धालुओं से अपील की गई है, गुरुओं की पूजा अपने घर पर ही रहकर करें।

Jun 30, 2020 - 20:16
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चित्रकूट मे श्रावण मास में अमावस्या कावड़ यात्रा रहेगी प्रतिबंधित
Chitrakoot DM Meeting

जिलाधिकारी ने संत महात्माओं से मेला के संबंध में विचार रखने के लिए कहा जिसमें कामदगिरि प्रमुख द्वार के  मदन गोपाल व भरत मंदिर के दिव्यजीवन दास तथा आदि संतों ने कहा कि जिस प्रकार से अभी व्यवस्था संचालित की जा रही है, उसी प्रकार से कराया जाए उन्होंने कहा कि हम लोगों ने गुरु पूर्णिमा को देखते हुए भी अपने शिष्यों से अपील की है कि वह लोग अपने घरों से ही गुरुओं की पूजा करें यहां पर आने की जरूरत नहीं है।

जिलाधिकारी ने संत महात्माओं से कहा कि श्रावण मास की अमावस्या व कांवड़ यात्रा को लेकर आप लोग अपने स्तर से ऑडियो वीडियो के माध्यम से श्रद्धालुओं से अपील करें की तीर्थ क्षेत्र में आने की जरूरत नहीं है, अपने-अपने घरों से पूजा अर्चन करें। जिलाधिकारी ने कहां की वैश्विक महामारी को देखते हुए मैं श्रद्धालुओं से अपील कर रहा हूं कि आगामी माह की कावड़ यात्रा तथा सोमवती अमावस्या पर आने जाने के लिए पूर्णतया प्रतिबंधित किया गया है कोई भी श्रद्धालु न आए अपने-अपने घरों से भगवान कामद नाथ जी की पूजा अर्चन करें इसी में हम आप सब की भलाई हैं। आप खुद बचे तथा औरों को बचाएं।आप लोग मानसिक पूजा करें मठ मंदिरों में जाने की जरूरत नहीं है उन्होंने साधु-संतों से  कहा कि रामघाट पर मंदाकिनी आरती एक जुलाई 2020 से जो आप शुरुआत कर रहे हैं, उसमें गोला बनाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य कराया जाए भीड़ भाड़ नहीं होना चाहिए।

अपर पुलिस अधीक्षक श्री प्रकाश स्वरूप पांडे ने साधु-संतों से कहा कि आप लोग पूर्ण सहयोग करें इस महामारी को देखते हुए  यह सब के हित के लिए है पुलिस का सहयोग रहेगा सुरक्षा व्यवस्था कायम रहेगी किसी को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी। बैठक में अपर जिलाधिकारी  जी पी सिंह, उप जिलाधिकारी कर्वी अश्विनी कुमार पांडे, पर्यटन अधिकारी  शक्ति सिंह सहित संबंधित अधिकारी व विभिन्न मठ मंदिरों के साधु संत मौजूद रहे।

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