रथ लेकर आए अयोध्या के संतो सहित 17 दिग्गज हुए थे गिरफ्तार
श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की शुरुआत में अयोध्या के संतो द्वारा जन जागरण किया जा रहा था। इसी दौरान 1990 में रथ लेकर आए संतो को बबेरू में गिरफ्तार किया गया था और उनके साथ भाजपा के 17 दिग्गज नेताओं को भी गिरफ्तार कर महोबा की जेल में रखा गया था...
श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए संतो द्वारा शुरू किए गए जन जागरण अभियान के अंतर्गत दो संत श्री राम रथ लेकर इलाहाबाद से होते हुए बांदा आ रहे थे। जिसकी अगवानी करने बांदा के कई दिग्गज नेता अतर्रा पहुंच गए थे। जहां पर शाम को एक सभा का आयोजन भी किया जाना था। लेकिन वहां पहले से पहुंची पुलिस ने भाजपा के नेताओं से कहा कि आप अतर्रा में सभा करने के बजाए बबेरू में करें।यहां सभा की अनुमति दी नही दी जाएगी।
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भाजपा के नेता संतोष कुमार गुप्ता बताते हैं कि जब हम रथ के साथ बबेरू पहुंचे तो पुलिस ने वहां भी सभा नहीं करने दी और दो संतो समेत 17 भाजपा नेताओं को हिरासत में लेकर सिंचाई भवन सिंचाई विभाग के डाक बंगले में रखा गया।
महोबा की जेल में ट्रांसफर किया गया
अगले दिन सवेरे हिरासत में लिए गए सभी भाजपा नेताओं की विभिन्न धाराओं में गिरफ्तारी दिखाते हैं महोबा की जेल स्थानांतरित किया गया। उस समय गिरफ्तार हुए नेताओं में जनसंघ के पूर्व सांसद स्वर्गीय राम रतन शर्मा, पूर्व विधायक जगन्नाथ सिंह परमार, श्रीधर शुक्ला, श्रीरामपुरवार, श्री राम ओमर, डॉ विजय सिंह चौहान संतोष कुमार गुप्ता और अर्जुन शुक्ला सहित17 नेता शामिल थे।
ढाई माह रहे जेल में
गिरफ्तार किए गए इन नेताओं को महोबा की जेल में ढाई माह तक रखा गया। इसी दौरान अयोध्या में कार सेवा भी हुई।
एनएसए भी लगाया गया
तत्कालीन मुलायम सरकार ने गिरफ्तार किए गए इन भाजपा नेताओं पर एनएसए भी लगा दिया था। जिससे इनकी जमानत नहीं हो पाई। इस मामले में प्रदेश के गृह सचिव से अपील की गई इसके बाद उन्हें रिहा कर दिया जबकि संतोष गुप्ता का कहना है कि मैंने बिना शर्त रिहाई की मांग की थी इसलिए मुझे कुछ दिन बाद रिहा किया गया ।
अध्यापकों की भी गिरफ्तारी
उस समय आदर्श बजरंग इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य चंद्रधर द्विवेदी और पंडित जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय के प्राध्यापक बाबूलाल शर्मा को केवल इसलिए गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था क्योंकि इनकी विचारधारा विश्व हिंदू परिषद व अन्य हिंदू संगठनों से मिलती-जुलती थी। हालांकि उपरोक्त अध्यापक किसी संगठन के सदस्य नहीं थे इसी तरह कुछ अन्य अध्यापकों को भी गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था।
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