मोदी की नई शिक्षा नीति को समझना है तो इसे जरूर पढ़िये
केन्द्र सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस नई नीति पर मंजूरी की मोहर लगा दी गई।
 
                                    नई शिक्षा नीति यानि एनईपी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के 2014 के चुनाव घोषणापत्र का हिस्सा थी, अब यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 कहलायेगी।
उल्लेखनीय है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम शुरुआत से ही शिक्षा मंत्रालय ही था लेकिन 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय कर दिया गया था। वहीं 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति को वर्तमान से जोड़ा गया है। मौजूदा शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था। एनपीई 1986 के कार्यान्वयन के पश्चात तीन दशक से अधिक का समय बीत चुका है। नई शिक्षा नीति से स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर परिवर्तनकारी सुधार होंगे। यह 21 वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और शिक्षा पर 34 साल पुरानी राष्ट्रीय नीति, 1986 की जगह लेगी।
34 साल के बाद मोदी सरकार ने एक नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी, यह भारत की शैक्षिक प्रणाली को ज्ञान केंद्र के रूप में स्थापित करेगी।
इसमें समायोजन, समानता और गुणवत्ता के सिद्धांतों को समाहित किया गया है।
मुख्य विशेषताएं- https://t.co/jFXvPc1wg2 #NewEducationPolicy pic.twitter.com/n5OS67wKsy — BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) July 30, 2020
निशंक ने नई शिक्षा नीति को न्यू इंडिया के निर्माण में मील का पत्थर बताते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के लिए जनवरी 2015 में परामर्श की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसमें लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लाॅक, 6000 शहरी स्थानीय निकायों, 676 जिलों और 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में जनप्रतिनिधियों सहित शिक्षा क्षेत्र से जुड़े तमाम लोगों से सुझाव लिए गए।
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प्वाइंट्स में बात करें तो इसमें नया ये है-
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय कहलायेगा
- ये शिक्षा नीति 34 साल बाद आई है
- स्कूली शिक्षा में 10+2 समाप्त, अब होगा 5+3+3+4
- अब से जीडीपी का 6 फीसदी खर्च किया जायेगा, अब तक था 4.43 फीसदी
- देश की प्रमुख 8 भाषाओं में आनलाइन ई-कोर्स विकसित होगा, वर्चुअल लैब भी बनेगी
- विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में फंडिंग मिलेगी। तकनीक को शिक्षा में शामिल किया जायेगा
- वर्ष 2030 तक 3 से 18 आयुवर्ग के सभी बच्चों को अनिवार्य शिक्षा की ओर ले जायेंगे
स्कूली शिक्षा
- बुनियादी शिक्षा अब तीसरी क्लास तक मानी जायेगी
- पहली बार सरकारी स्तर पर पूर्व प्राथमिक शिक्षा लागू की जायेगी
- नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी पहले 5 वर्ष
- बुनियादी गणित (पढाई लिखाई सहित सामान्य गणना) पर जोर दिया जायेगा
- 8 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम व शैक्षिणिक ढांचा विकसित करने का कार्य एनसीईआरटी करेगा
- पांचवीं क्लाइस तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई होगी
- छठवीं क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किये जायेंगे, इंटर्नशिप भी होगी
- संगीत, कला व परफाॅर्मिंग आर्ट वाली चीजें अब मुख्य पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगी
- बालिका विद्यालयों को 12वीं तक बढ़ाया जाएगा। पाठ्यक्रम को जरूरी तक सीमित किया जाएगा। वोकेशनल 6 साल से शुरू होगा। इंटरनशिप भी शामिल होगी। पहले तीन वर्ष के लिए अभिभावकों को जानकारी दी जाएगी। बोर्ड परीक्षा का भार कम करने की कोशिश की जाएगी। रटने की बजाए शिक्षा के उपयोग पर ध्यान दिया जाएगा।
- पांचवी से आठवीं तक मातृ व क्षेत्रीय भाषा में शिक्षाा दी जाएगी।
- स्वयं, सहपाठी और शिक्षक के साथ रिपोर्ट कार्ड बनेगा और हर वर्ष रिपोर्ट कार्ड में योग्यता में विकास के सुझाव दिए जाएंगे।
- बच्चे को परखने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। किताबें पढ़ने पर जोर दिया जाएगा।
- विदेशी भाषाओं की पढ़ाई इस स्तर पर की जा सकेगी
- बोर्ड एग्जाम दो हिस्सों में होगा
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उच्च शिक्षा
- एमफिल को बंद किया जा रहा है। यानि 5 वर्षीय कोर्स के बाद अब एमफिल जरूरी नहीं होगा
- उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए होगी एक गाइडलाइन
- फीस को भी नियंत्रित किया जायेगा
- कुल 4 साल की डिग्री पढ़ाई के बाद सीधा रिसर्च में जा सकेंगे
- नेशनल रिसर्च फाउन्डेशन की स्थापना होगी, जो शोध की संस्कृति को सक्षम बनायेगा
- कई विधाओं में एक साथ शिक्षा प्राप्त की जा सकेगी
- काॅलेजों को ग्रेड के आधार पर मिलेगी वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता
- यूजीसी और एआईसीटीई समाप्त होंगे, इसके स्थान पर उच्च शिक्षा के लिए नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथाॅरिटी का गठन होगा
- लाॅ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर सभी के लिए सिंगल रेगुलेटर होगा
- 2035 तक 50 फीसदी एनराॅलमेंट का लक्ष्य रखा गया है, साढ़े 3 करोड़ नई सीटें जोड़ी जायेंगी
- मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम से उनको फायदा मिलेगा जिनकी पढ़ाई किसी कारणवश बीच में छूट जाती है, उन्हें एक साल में प्रमाणपत्र, दो साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा और तीन साल की पढ़ाई पर डिग्री मिल सकेगी।
- महाविद्यालयों की संबद्धता 15 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से समाप्त हो जाएगी
केंद्रीय सचिव (उच्च शिक्षा) अमित खरे ने कहा कि भारत का लक्ष्य 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) प्राप्त करना है। नई नीति एक व्यापक नियामक ढांचे के तहत फीस संरचना को भी नियंत्रित करती है।
इस अवसर पर स्कूल शिक्षा सचिव अनीता करवाल ने कहा कि बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा। स्कूली शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास कम से कम एक लाइफ स्किल होगी।
ऐसे बनी नई शिक्षा नीति
नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए समिति 31 अक्टूबर, 2015 को सरकार ने टी.एस.आर. सुब्रहमण्यन, भारत सरकार के पूर्व मंत्रिमंडल सचिव, की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति गठित की जिसने अपनी रिपोर्ट 27 मई 2016 को प्रस्तुत की थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए समिति 24 जून 2017 को, सरकार ने प्रख्यात वैज्ञानिक डाॅ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने 31 मई 2019 को अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी। इस प्रकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने से पहले मंत्रालय द्वारा प्रारूप एनईपी 2019 एवं उस पर प्राप्त सुझावों, विचारों और प्रतिक्रियाओं का गहन और व्यापक परीक्षण किया गया। उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली है, जिसमें 1028 विश्वविद्यालय, 45,000 स्टैंडअलोन काॅलेज, 33 करोड़ छात्र, 14,00,000 स्कूल हैं।
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स्कूली शिक्षा
एनईपी 2020 स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक सबके लिए एकसमान पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर देती है। स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने के लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी। कक्षा 3, 5 और 8 के लिए एनआईओएस और राज्य ओपन स्कूलों के माध्यम से ओपन लर्निंग, कक्षा 10 और 12 के समकक्ष माध्यमिक शिक्षा कार्यक्रम, व्यावसायिक पाठ्यक्रम, वयस्क साक्षरता और जीवन-संवर्धन कार्यक्रम जैसे कुछ प्रस्तावित उपाय हैं।
नई प्रणाली में तीन साल की आंगनवाड़ी व प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी। एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा। एक विस्तृत और मजबूत संस्थान प्रणाली के माध्यम से प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) मुहैया कराई जाएगी। इसमें आंगनवाडी और प्री-स्कूल भी शामिल होंगे जिसमें इसीसीई शिक्षाशास्त्र और पाठ्यक्रम में प्रशिक्षित शिक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता होंगे।
त्रिभाषा फाॅर्मूला और बोर्ड परीक्षा
नीति में कम से कम ग्रेड 5 तक, अच्छा हो कि ग्रेड 8 तक और उससे आगे भी मातृभाषा, स्थानीय भाषा अथवा क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है। त्रि-भाषा फाॅर्मूले में भी यह विकल्प शामिल होगा। किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी। 6-8 ग्रेड के दौरान किसी समय ‘भारत की भाषाओं’ पर एक आनंददायक परियोजना व गतिविधि में भाग लेना होगा। कई विदेशी भाषाओं को भी माध्यमिक शिक्षा स्तर पर एक विकल्प के रूप में चुना जा सकेगा।
‘एनईपी 2020’ में योगात्मक आकलन के बजाय नियमित एवं रचनात्मक आकलन को अपनाने की परिकल्पना की गई है। सभी विद्यार्थी ग्रेड 3, 5 और 8 में स्कूली परीक्षाएं देंगे। ग्रेड 10 एवं 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रखी जाएंगी, लेकिन समग्र विकास करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इन्हें नया स्वरूप दिया जाएगा। एक नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र ‘परख (समग्र विकास के लिए कार्य-प्रदर्शन आकलन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) एक मानक-निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा।
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नई शिक्षा नीति का हुआ स्वागत
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने देश की आकांक्षाओं के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत को गढ़ने में महत्वपूर्ण बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के कदम का स्वागत किया है। राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने बुधवार को कहा कि भारतीय मूल्यों के अनुरूप तथा वैश्विक मानकों पर खरा उतरने योग्य शिक्षा नीति की आवश्यकता देश को लंबे समय से थी, जिन बड़े सुधारों की आवश्यकता भारत की जनता लंबे समय से कर रही थी, उन सुधारों पर सरकार ने ध्यान दिया है।
केरल के राज्यपाल और प्रसिद्ध चिंतक आरिफ मोहम्मद खान का मानना है कि 34 साल बाद ही सही एक बड़ी भूल को सुधार लिया गया। यह बात उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने के संदर्भ में कही। उन्होंने कहा कि यह बेहद जरूरी था और मोदी सरकार ने ऐसा करके बहुत प्रशंसनीय कार्य किया है। उन्होंने बताया कि 1986 में जिस कैबिनेट की बैठक में शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलने का प्रस्ताव आया था, तब मैं बतौर केन्द्रीय मंत्री उसमें मौजूद था।
प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अध्यक्षता में हो रही उस बैठक में जब शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय करने की प्रस्ताव पेश किया गया, तब मैंने इसका पुरजोर विरोध किया। इसे एक निर्रथक शब्द और बेकार की कवायद बताया था। मैंने शिक्षा शब्द के महत्व को भी बताया और मानव संसाधन से उसकी तुलना भी की। मेरा दुर्भाग्य कि उस समय मेरे किसी भी मंत्रिमंडलीय सहयोगी ने मेरा साथ नहीं दिया। राजीव गांधी के सलाहकारों ने जो सुझाया, मंत्रियों ने उस पर मुहर लगा दी।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नई शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए इसे भारतीय शिक्षा व्यवस्था के इतिहास में एक असाधारण दिन बताया। नई शिक्षा नीति की घोषणा के बाद गृहमंत्री ने एक के बाद एक पांच ट्वीट कर अपनी प्रसन्नता जाहिर की। अमित शाह ने कहा कि अपनी संस्कृति और मूल्यों को छोड़कर दुनिया में कोई भी देश उत्कृष्ट नहीं बन सकता। ‘नई शिक्षा नीति 2020’ का उद्देश्य सभी को भारतीय लोकाचार पर आधारित उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर ऐसी प्रणाली बनाना है जो भारत को फिर से वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बना सके।
A truly remarkable day in the history of Indian education system!
Under the visionary leadership of PM @narendramodi ji, Union Cabinet today approved 'New Education Policy 2020' for the 21st century. This brings in much needed historic reforms in both School & Higher Education. — Amit Shah (@AmitShah) July 29, 2020
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नई शिक्षा नीति -2020 को मंजूरी दिए जाने का स्वागत किया है। नड्डा ने एक ट्वीट में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 बहुप्रतीक्षित सुधार और विनियामक ढांचा लेकर आई है जो 21वीं सदी के ‘न्यू इंडिया’ की आवश्यकता को पूरा करती है।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देश में 28 साल बाद नई शिक्षा नीति लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक को बधाई दी है।
नई शिक्षा नीति पर भी हुआ विपक्ष का हमला
प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस परिवर्तन पर सवाल उठाए हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पूछा है कि इस नई शिक्षा नीति में सम्पूर्ण राजनीति विज्ञान के लिए स्थान है कि नहीं?
उधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमलावर हैं। इस क्रम में उन्होंने एक बार फिर मोदी सरकार पर आरोप लगाए हैं। राहुल ने रोजगार, अर्थव्यवस्था और जीएसटी का जिक्र करते हुए कहा है कि पीएम मोदी देश को बर्बाद कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने गुरुवार को ट्वीट कर प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ‘मोदी देश को बर्बाद कर रहे हैं’ ट्वीट के जरिये राहुल ने केंद्र सरकार से चार सवाल भी किये हैं। उन्होंने पूछा है कि नोटबंदी, जीएसटी, कोरोना महामारी में दुर्व्यवस्था और अर्थव्यवस्था व रोजगार का सत्यानाश करने के बाद अब सरकार की क्या मंशा है। राहुल ने यह भी कहा कि मोदी सरकार की पूँजीवादी मीडिया ने एक मायाजाल रचा है, देशवासियों में भ्रम फैलाने का काम कर रही है। जबकि आज जरूरत लोगों को सच बताने की है। उम्मीद है कि जल्द ही ये भ्रम टूटेगा।
मोदी देश को बर्बाद कर रहे हैं।
1. नोटबंदी
2. GST
3. कोरोना महामारी में दुर्व्यवस्था
4. अर्थव्यवस्था और रोज़गार का सत्यानाश
उनके पूँजीवादी मीडिया ने एक मायाजाल रचा है। ये भ्रम जल्द ही टूटेगा।https://t.co/8JWoOY1jGK — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 30, 2020
पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा है आँकड़ों की बाजीगरी से सच्चाई छिपाई नहीं जा सकती। अब सरकार स्वयं मान रही है कि कोरोना के चलते 10 करोड़ नौकरियाँ बर्बाद हुई। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इससे पहले ही मोदी सरकार ने बेरोजगारी का 45 वर्षों का रिकाॅर्ड तोड़ दिया था।
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