"यह कविता कुछ कहती है": कार्यशाला में झलकी प्रतिभा, शब्दों में उभरी संवेदना
"यह कविता कुछ कहती है"— इस भावपूर्ण शीर्षक के साथ हाल ही में संपन्न हुई रचनात्मक कार्यशाला कला एवं साहित्य के संगम...

बुंदेलखंड न्यूज़ मीडिया पार्टनर रहा
"यह कविता कुछ कहती है"— इस भावपूर्ण शीर्षक के साथ हाल ही में संपन्न हुई रचनात्मक कार्यशाला कला एवं साहित्य के संगम को साकार किया। कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज, संस्कृति, संवेदनाएं और बुंदेलखंड की मिट्टी की खुशबू को शब्दों में पिरोया। इस आयोजन में कुछ प्रतिभागी न केवल लेखन में अपनी पहचान छोड़ गए, बल्कि निर्णायकों द्वारा विजेता भी घोषित किए गए।
"बुंदेलखंड न्यूज़" इस आयोजन का मीडिया पार्टनर रहा, और अब हम विजेता कवियों की कुछ चुनी हुई कविताओं के अंश, उनके नाम और तस्वीरों के साथ आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं—
आनंद दीपा, कक्षा - 9, भागवत प्रसाद मेमोरियल एकेडमी
काश मैं इस जंग को रोक पाती
इससे हो रहे विनाश को समेत पाती
न जाने कितने शहीद हुए, कितने मर मिटे इस जंग में
पर अपनी जान की परवाह किए बिना
मातृभूमि के असली बेटे कहलाए
सोच के मन जलता है उस मां का
जिसने अपने बेटे की चिता को देखा
जिसे उसने 9 महीने पाला, आज उसे ही जलाना पड़ा
हो रही जंग में लाखों लोगों की जान गवाईं
पर किसी ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई
ना जाने लोग कब ये यह जंग बंद करेंगे
अपनी नहीं तो कम से कम अपने परिवार की चिंता करेंगे
काश मैं इस जंग को रोक पाती
इससे हो रहे विनाश को समेत पाती
शुभिता मिश्रा, कक्षा-5, इंटरनेशनल एमेटी स्कूल
जब आता बारिश का मौसम
खेतों का दिल खिल जाता है
चिड़िया गाना गाने लगती
कोयल का दिल इतराता है
जब आता बारिश का मौसम
बदरी घिर आती है
खेतों में भर जाता पानी
हरियाली छा जाती है
जब आता बारिश का मौसम
किसान खुश हो जाते हैं
धान के नन्हे पौधे भी
तब तक उग जाते हैं
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