पंचाली से बदतमीजी करने पर भीम ने यहीं पर किया था कीचक का वध 

 जिले में चौपेश्वर शिवमंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है, जो महाभारत काल का वैभव आज भी संजोए है। यह मंदिर महाराज विराट ने...

पंचाली से बदतमीजी करने पर भीम ने यहीं पर किया था कीचक का वध 

-महाभारत काल में 12 बरस के अज्ञातवास में जब भीम बने थे रसोइया
हमीरपुर,  जिले में चौपेश्वर शिवमंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है, जो महाभारत काल का वैभव आज भी संजोए है। यह मंदिर महाराज विराट ने अपनी बेटी राजकुमारी उत्तरा के लिए बनवाया था। सावन मास में यहां श्रद्धालुओं की जलाभिषेक के लिए भारी भीड़ उमड़ती है। कांवड़ियां भी इस एतिहासिक शिवमंदिर में आकर विधि विधान से पूजा करते हैं।

यह भी पढ़ें -गुरु पूर्णिमा के अवसर पर, झांसी से इस रूट पर चलाई गई स्पेशल ट्रेन

मीरपुर शहर से करीब 84 किमी दूर दक्षिण दिशा में स्थित राठ नगर, महाभारत काल में विराट नगर से जाना जाता था। महाराज विराट ने अपनी बेटी राजकुमारी उत्तरा के लिए यहां चौपेश्वर शिवमंदिर बनवाया था। राजकुमारी इस मंदिर में प्रतिदिन पूजा अर्चना करती थी। बताते है कि इस मंदिर में खाकी बाबा के नाम से एक संत ने किसी जमाने में डेरा डाला था। एक बार यज्ञ का आयोजन संत ने कराया था। यज्ञ के समापन पर भंडारे का आयोजन हुआ था, जिसमें रात में पूड़ी बनाने के लिए घी कम पड़ गया। संत ने अपने चेलों से चौपेश्वर मंदिर के तालाब से पानी भरकर कढ़ाई में डलवाया तो वह घी बन गया था। बाद में संत के कहने पर बाजार से एक टीन शुद्ध घी खरीदकर तालाब में डलवाया गया था।हमीरपुर जिले का राठ नगर एतिहासिक वैभव को समेटे है। महाभारत काल में महाराजा विराट की राजधानी राठ नगर थी। उन्हीं के नाम से यह नगर विराट नगर रखा गया था। बारह साल के अज्ञातवास में युधिष्ठर राजा विराट के सभासद व भीम रसोइया बने थे। नकुल घुड़साल की देखरेख करते थे, जबकि सहदेव महाराज की गायों की सेवा करते थे। अर्जुन बृहन्नला बनकर राजकुमारी उत्तरा को नृत्य सिखाते थे। बताते है अर्जुन समेत पांच पांडवों की मां द्रोपदी महारानी की दासी थी।

पांच पांडवों ने बिताया था अज्ञातवास
महाभारत काल में युधिष्ठर समेत पांच पांडवों ने यहां राठ नगर में 12 वर्ष तक अज्ञातवास बिताया था। यहीं पर पांडवों ने अपने सभी अलौकिक शस्त्र भी राठ नगर के बाहर एक विशाल वृक्ष पर छिपाए थे। चौपेश्वर मंदिर के पास ही महाराजा विराट की रानी की सेवा में लगी द्रोपदी को उनके साले कीचक ने गलत व्यवहार किया, तब भीम ने कीचक को तालाब के पास मार डाला था। राठ नगर के बुधौलियाना मुहाल में ही कीचक की समाधि दानू मामा के चबूतरा आज भी मौजूद है।
यह भी पढ़ें -बांदाःदो माह तक मीट मांस की दुकानें न खोलने की, विहिप ने इस वजह से दी चेतावनी

चौपेश्वर मंदिर से लगा एक प्राचीन तालाब चौपेश्वर के नाम से विख्यात है। जहां अज्ञातवास के दौैरान अर्जुन ने राजकुमारी उत्तरा को नृत्य की शिक्षा दी थी। राठ नगर के पश्चिम दिखा की ओर नर्सरी परिसर के अंदर और मझगवां रोड में बारह खंभों का एक-एक आयताकार बरामदे जैसे भवन स्थित है। बारह खंभों का एक और बरामदा बना है। इसे बारह खंभा चौराहा भी कहा जाता है। इन्हीं बरामदे में ही महाराजा विराट का दरबार लगता था। राठ बस स्टाप से करीब दो किमी दूर नगर से पूर्व दिशा की ओर एक ऐतिहासिक चौपेश्वर शिवमंदिर स्थित है। इसमें भगवान शिव का भव्य शिवलिंग स्थापित है जो किसी जमाने में चौपेश्वर महाराजा के नाम से विख्यात रहा है। इस प्राचीन मंदिर में ही बजरंगबली, रामलला और गणेश जी के भी मंदिर है। महाराजा विराट यहां नित्य पूजा अर्चना करने आते थे। वहीं उनकी बेटी उत्तरा भी प्रतिदिन शिवलिंग सहित अन्य देवी देवताओं की पूजा करती थी। बताते है कि यहां दर्शन मात्र से मुरादें पूरी होती है।

What's Your Reaction?

like
0
dislike
0
love
0
funny
0
angry
0
sad
0
wow
0