गायत्री को राहत, स्पेशल कोर्ट ने सरकार का पुनरीक्षण वाद किया खारिज
एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर और उनके पति वरिष्ठ आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को गाजियाबाद की एक महिला की सहायता से फर्जी दुष्कर्म केस सहित अन्य फर्जी मुकदमों में फंसाए जाने के मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को स्पेशल कोर्ट से राहत मिली है।
लखनऊ, (हि.स.)
थाना गोमतीनगर में दर्ज इस मुकदमे में नूतन ने उन्हें और उनके पति को महिला आयोग के सदस्यों की सहायता से फर्जी फंसाने के प्रयास का आरोप लगाया था, जिस पर पुलिस ने 13 जुलाई 2015 को अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी। सीजेएम ने अपने आदेश 22 दिसम्बर 2015 द्वारा खारिज करते हुए पुनार्विवेचना के आदेश दिए थे, जिसके बाद पुलिस ने श्री प्रजापति के खिलाफ धारा 467, 468, 471, 420, 203, 211 व 120बी आईपीसी में आरोपपत्र भेजा था।
यह भी पढ़ें : फिल्म सिटी को लेकर सीएम योगी के साथ बैठक में फिल्मी सितारों ने कही ये बातें...
सीजेएम लखनऊ ने 31 जुलाई 2017 को मामले का संज्ञान लेते हुए कहा था कि केस की पत्रावली और इस केस के समस्त केस डायरी से उनके विरुद्ध धारा 467, 468, 471, 420, 203 आईपीसी का अपराध साबित नहीं होता है। इसलिए कोर्ट ने मात्र धारा 211 व 120बी आईपीसी में आरोप पर संज्ञान लिया था। राज्य सरकार ने इस फैसले को सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी। विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए पवन कुमार राय ने सरकार के पुनरीक्षण वाद को खारिज कर दिया।
यह भी पढ़ें : फिल्म सिटी पर चर्चा के लिए योगी ने बुलाया इन अभिनेताओ को...
स्पेशल कोर्ट ने कहा कि पुनरीक्षण वाद में सरकार द्वारा दायर किये गए पुनरीक्षण वाद में बल नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सीजेएम द्वारा पारित आदेश एफआईआर में लगाये गए आरोपों तथा विवेचक द्वारा विवेचना में संकलित साक्ष्य के आधार पर पारित किया गया था और उस आदेश में कोई अशुद्धता या त्रुटि नहीं है।
इसलिए स्पेशल कोर्ट ने सीजेएम कोर्ट के आदेश में कोई हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होने के कारण पुनरीक्षण वाद को खारिज करते हुए सीजेएम के आदेश 31 जुलाई 2017 को सही करार दिया। इस प्रकार अब श्री प्रजापति के खिलाफ इस मामले में मात्र धारा 211 व 120बी आईपीसी में ही मुकदमा चलेगा।
यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में 25 घरेलू हवाई अड्डे, औद्योगिकीकरण से खुलेंगे रोजगार के द्वार