धुंध समाज को संदेश देती है , लड़कियों को सजग करती है

नीलम शर्मा जी की पहली उपन्यास है धुंध। लेखन की दुनिया मे दो कहानियां लिखने के बाद तीसरी कहानी की शुरूआत कर उन्होंने..

धुंध समाज को संदेश देती है , लड़कियों को सजग करती है
धुंध / नीलम शर्मा

नीलम शर्मा जी की पहली उपन्यास है धुंध। लेखन की दुनिया मे दो कहानियां लिखने के बाद तीसरी कहानी की शुरूआत कर उन्होंने उपन्यास लिखकर अंत किया। इसे ही कहते हैं किसी किताब का जन्म हो जाना।

कहते हैं किताब का अगर जन्म हो जाए तो वह नैसर्गिक जन्म माना जाता है , ऐसा ही कुछ पहले लाकडाऊन के समय लेखिका नीलम शर्मा जी ने कर दिखाया जो स्वयं ही घटित हुआ। यही सृजन की दुनिया है। 

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धुंध स्वयं मे आकर्षण उत्पन्न करने वाला नाम है। आखिर कौन होगा जिसके जीवन मे धुंध ना हो ? किताब की मुख्य पात्र अनु अंत मे धुंध का छंट जाना महसूस करती है और वो आज की दुनिया मे अकेले जिंदगी जीने का जो निर्णय लेती है वह सचमुच लड़कियों के लिए कितना जरूरी हो जाता है पर इस समाज मे एक अकेली जिंदगी जीना क्या सरल है ? क्या लोग उसे जीने देंगे ? यही इस उपन्यास की खूबसूरती है। 

कौन है जिसे जिंदगी मे प्रेम ना हो ? कौन है जो जीवन मे बिन प्रेम के रह ले ? यही तो वह विषय वस्तु जिसे सभी समझना चाहते हैं , महसूस करना चाहते हैं। और जिस दुनिया मे प्रेम छुप छुप कर करना पड़े जबकि यह कहें कि जीवन मे यहाँ प्रेम एक तरह से प्रतिबंधित ही है चूंकि समाज ने एक व्यवस्था दी है और आपको उस व्यवस्था के साथ जीना पड़ता है।

लेकिन मेरा व्यक्तिगत तौर मानना है कि बहुत से लोग इस व्यवस्था मे घुट घुट कर जीते हैं। बाई चांस बाई लक की बात है कि व्यवस्था मे प्रेम पनप जाए अन्यथा एक उथले स्तर पर जीवन जिया जाता है। इन्हीं सब अहसास के करीब धुंध हमे लेकर पहुंचती है।

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कालेज लाइफ हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है और लड़कियों के लिए घर से बाहर रहना व पढ़ना लड़कों की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। यहीं कालेज मे आकर्षण और प्रेम के बीच बहुत से लड़के - लड़कियां जिंदगी जी रहे होते हैं।

उपन्यास मे ऐसे ही दिवाकर का एक पात्र है जो अनु के बेहद करीब आ जाता है और करीब आने का कारण पढ़ाई बन जाती है। यह प्रेम त्रिकोण पर आधारित उपन्यास है जिसे नीलम शर्मा ने बेहद संजीदगी से पन्नों पर उकेरा है। 

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उनकी पहली ही उपन्यास परिपक्वता का खूब अहसास कराती है। समाज को एक बड़ा संदेश देती है , लड़कियों को सजग करती है। और धोखे से उबरने के लिए संदेश देती है। वाकई मे पढ़कर बहुत कुछ सीखा जा सकता है और समाज को एक स्तर उठने के लिए जीवन से संबंधित किताबें अवश्य पढ़नी चाहिए।

प्रेम जैसे प्रतिबंधित विषय पर पढ़ने लिखने और समझने की जरूरत है कि जीवन मे प्रेम किया जाए और प्रेम से जिंदगी जी जाए। युवा साहित्य प्रकाशन से प्रकाशित यह किताब अमेजन पर उपलब्ध है व किंडल वर्जन भी है जिसका दूसरा संस्करण आ चुका है , तो एक बार अवश्य पढ़िए।

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