उज्बेकिस्तान में चित्रकूट के डा मलखान सिंह ने भारतीय संस्कृति के वैश्विक महत्व पर डाला प्रकाश
ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी, उज्बेकिस्तान द्वारा 18 व 19 सितम्बर को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में भारत से प्रोफेसर ख्वाजा इकरामुद्दीन...

चित्रकूट। ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी, उज्बेकिस्तान द्वारा 18 व 19 सितम्बर को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में भारत से प्रोफेसर ख्वाजा इकरामुद्दीन, चित्रकूट के बलदाऊ गंज निवासी डॉ. मलखान सिंह और डॉ. नसीब अली ने विशिष्ट वक्ता के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर तीनों विद्वानों ने भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हुए विश्व बंधुत्व, समरसता और सांस्कृतिक वैविध्य के महत्व को रेखांकित किया।
डॉ. मलखान सिंह ने अपने संबोधन में “सर्वे भवन्तु सुखिनः” और “वसुधैव कुटुम्बकम्” को भारतीय संस्कृति की मूल भावना बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति का आधार मानव कल्याण, सहअस्तित्व और विश्व बंधुत्व है। उन्होंने आचार-विचार और संस्कार को समरसता, समन्वय तथा समतामूलक समाज निर्माण का प्रमुख आधार बताया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी विद्वानों और प्रतिभागियों ने तीनों वक्ताओं के विचारों की सराहना की। यह सेमिनार भारत और उज्बेकिस्तान के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।
भारतीय भाषा केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की अध्यक्षा प्रो बन्दना झा ने कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि भारतीय भाषा केंद्र से डा मलखान सिंह को ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडी उज्बेकिस्तान में व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया गया है। उन्होंने अपने व्याख्यान से भारत का मान बढ़ाया है। जेएनयू और चित्रकूट के लिए गर्व की बात है।
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