अतीक के वकील और पत्रकार जफर अहमद के बीच साले बहनोई का रिश्ता, बडा सवाल तीन करोड का मकान कैसे बनाया
बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल और दो सरकारी गनरों की हत्या के मामले में हत्या अभियुक्तों को...
बांदा, बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल और दो सरकारी गनरों की हत्या के मामले में हत्या अभियुक्तों को शरण देने के मामले में पुलिस ने जांच शुरु की तो इसमें बांदा के एक पत्रकार जफर अहमद का नाम भी जुड़ गया। जफर अहमद देश की प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी एएनआई से जुड़ा है। जफर अहमद और अतीक अहमद के वकील खान सौलत हनीफ के बीच साले बहनोई का रिश्ता है। पुलिस ने प्रयागराज स्थित चकिया में जिस मकान को ध्वस्त कर दिया था, दरअसल यह मकान अतीक अहमद की बेनामी संपत्ति नहीं, बल्कि पत्रकार जफर अहमद का था। और जफर अहमद प्रयागराज के इस मकान में नहीं बल्कि बांदा में अपनी बहन के यहां रहता था। बांदा पुलिस ने दोनों बहनों के घरों में छापा मारा लेकिन इन घरों में जफर नहीं मिला।
कौन है जफर अहमद
एक न्यूज़ एजेंसी एएनआई का रिपोर्टर जफर अहमद पिछले 8 वर्षों से अपनी बहन शहनाज परवीन के साथ गूलर नाका स्थित मोहल्ले में रह रहा था। उसका न्यू एरा कॉन्वेंट स्कूल भी इसी मोहल्ले में चलता है। यहीं पर उसने कुछ दिनों पहले पाव भाजी की दुकान भी खोली है। जबकि इसके पहले इसमें मीडिया हाउस चलता था। जफर अहमद ने अपने कुछ पत्रकार साथियों के साथ इस जगह पर मीडिया हाउस के नाम से एक ऑफिस बनाया था। फिलहाल मीडिया हाउस बन्द करके जफर वहां पर पाव भाजी की दुकान चलाता है। वहीं जफर की दूसरी बहन उजरा बेगम छावनी मोहल्ले में रहती है।
बुधवार को प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने प्रयागराज के चकिया मोहल्ले में अतीक अहमद की बेनामी संपत्ति के धोखे में जिस मकान को ढहा दिया, वह मकान बांदा में रहने वाले जफर अहमद का निकला। इस पर अतीक अहमद के वकील और जफर के बहनोई सौलत हनीफ ने एक वीडियो जारी करके इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही। इसके बाद बांदा पुलिस को जफर अहमद की कुंडली खंगालने के निर्देश मिले।
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बांदा पुलिस ने देर शाम शहर के छावनी और गूलर नाका मोहल्ले में जफर अहमद की दोनों बहनों के घरों में छापा मारा। एक बहन उजरा बेगम जो छावनी मोहल्ले में रहती हैं। बाल कल्याण विभाग में कर्मचारी थी और अब सेवानिवृत्त हैं। छापे के दौरान इस घर में ताला बंद मिला। इसके बाद पुलिस ने गूलर नाका मोहल्ले में स्थित दूसरी बहन शहनाज परवीन के घर पर दबिश थी। इसी घर में जफर बहन के साथ रहता है। मौके में मिली शहनाज परवीन बताया कि जफर घर पर नहीं है। इसके बाद भी पुलिस ने मकान के ऊपरी हिस्से में जाकर जफर की तलाश की। लेकिन घर पर जफर नहीं मिला। शहनाज परवीन रेउना गांव में प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका हैं जबकि इनके पति प्रयागराज में एक पैथालॉजी में काम करते हैं।
3 करोड़ कैसे आये जफर अहमद के पास
दोनों बहनों के घरों में जफर के न मिलने पर पुलिस ने उसके करीबियों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि अतीक अहमद के वकील और जफर के बहनोई खान सौलत हनीफ के कहने पर ही जफर अहमद ने मार्च 2021 में चकिया स्थित मकान को खरीदा था। जबकि वह बांदा में अपनी बहन के घर पर रहकर न्यूज़ एजेंसी के लिए रिपोर्टिंग करता था। अब बड़ा सवाल यह है कि मात्र रिपोर्टिंग करके तीन करोड़ कीमत का मकान जफर अहमद ने कैसे तैयार कर लिया। चूंकि उसके ध्वस्त किए गए मकान की कीमत तीन करोड़ बताई जा रही है।
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इस बारे में पुलिस अधीक्षक अभिनंदन का कहना है कि प्रयागराज में जिस मकान को पीडीए ने गिराया है। वह मकान पत्रकार जफर अहमद खान पुत्र मोहम्मद हबीब खान निवासी गूलर नाका बांदा के नाम अभिलेखों में दर्ज है। यह जानकारी मिलने पर तथ्यों की प्रमाणिकता हासिल करने के लिए जांच की जा रही है। पत्रकार का मोबाइल भी बंद आ रहा है। उसके बारे में सारी जानकारी हासिल की जा रही है। पत्रकार के घर से गायब होने के बारे में यह बताया जा रहा है कि उसके द्वारा न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी की जा रही है। जिसके तहत वह इस समय बांदा से बाहर है। पुलिस भी असलियत जानने के लिए करीबियों पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं।
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बताते चलें कि रविवार की रात पुलिस ने प्रयागराज हत्याकांड और चित्रकूट में अब्बास अंसारी की पत्नी निखत के जेल में गुपचुप तरीके से मिलने पर हुई गिरफ्तारी के बाद मुख्तार अंसारी के परिवार को शरण देने वाले और प्रयागराज हत्याकांड से जुड़े मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद के गुर्गों की तलाश में अलीगंज मोहल्ले मे एसटीएफ की टीम ने छापा मारकर से एक ठेकेदार के पुत्र और पत्नी को उठा लिया था। साथ ही इनके घर के आस-पास के चार मोबाइल फोन भी एसटीएफ अपने साथ ले गई। अब अतीक अहमद के परिजनों को शरण देने के मामले में पत्रकार जफर अहमद का नाम सामने आने से मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद के मददगारों के नाम बांदा से भी जुड़ते जा रहे हैं। पुलिस लगातार इनसे जुड़े गुर्गों की तलाश में छापा मारी कर रही है।
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बुन्देलखण्ड न्यूज ने भी जब जफर अहमद का पक्ष जानने के लिए उससे सम्पर्क करने का प्रयास किया तो जफर का मोबाइल स्विच ऑफ था। विगत दिनों जब सीएम योगी ने सदन में माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की बात कही थी, तभी से इस मामले में शासन और प्रशासन खासा चौकन्ना है। इसके अलावा बांदा सहित पूरे बुन्देलखण्ड की निगाहें और दिलचस्पी भी इस मामले में दिखाई दे रही है।