कानपुर-सागर नेशनल हाइवेपर बढ़ा हादसाें का ग्राॅफ नौ महीने में जा चुकी है सैकड़ों लोगों की जान

कानपुर-सागर नेशनल हाइवे पर अब एक्सीडेंट का लगातार बढ़ता ग्राॅफ चिंता का सबब बना हुआ है। हालत यह है कि अब तो राहगीर भी भारी वाहनों के नीचे दबकर मर रहे हैं। यातायात पुलिस व्यवस्था संभालने में फेल हो गई है।

Nov 3, 2024 - 09:11
Nov 4, 2024 - 02:32
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कानपुर-सागर नेशनल हाइवेपर बढ़ा हादसाें का ग्राॅफ  नौ महीने में जा चुकी है सैकड़ों लोगों की जान

हमीरपुर, 03 नवम्बर । कानपुर-सागर नेशनल हाइवे पर अब एक्सीडेंट का लगातार बढ़ता ग्राॅफ चिंता का सबब बना हुआ है। हालत यह है कि अब तो राहगीर भी भारी वाहनों के नीचे दबकर मर रहे हैं। यातायात पुलिस व्यवस्था संभालने में फेल हो गई है। भीड़-भाड़ वाले स्थानों और हाइवे पर सिर्फ यातायात पुलिस पिकेट प्वाइंट पर बैठी रहती है। इस मास के आखिरी सप्ताह में ही दर्जनों लोगों की मौत एक्सीडेंट में हुई है।

कानपुर-नेशनल हाइवे के आनूपुर मोड़, दुर्गा मंदिर, यमुना और बेतवा पुल के बीच रानी लक्ष्मीबाई तिराहा, कुछेछा, चंदौखी, सुमेरपुर, गहबरा चौकी और खन्ना क्षेत्र तक शायद ही काेई दिन ऐसा जाता हाे जब एक दो हादसे न होते हों। सर्वाधिक हादसे सुमेरपुर और सदर कोतवाली क्षेत्र में हो रहे हैं। कानपुर के नौबस्ता से लेकर हमीरपुर और महोबा तक यह नेशनल हाइवे टू लेन का है। इस हाइवे को फोरलेन में तब्दील करने की मांग भी अब ठंडी पड़ गई है। इस नेशनल हाइवे पर प्रतिदिन कम से कम पांच से दस हजार भारी वाहनों का आवागमन होता है।

दिन रात क्षमता से कई गुना अधिक वाहनों के हाइवे पर फर्राटा भरने से सड़कें जर्जर हो गई हैं। इससे एक्सीडेंट के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। नेशनल हाइवे पर पैंतीस किमी एरिया में चौदह व अन्य प्रमुख हाइवे पर ग्यारह ब्लैक स्पाॅट चिन्हित किए गए हैं, लेकिन ये ब्लैकस्पाॅट अंधेरे में डूबे रहते है। जिसके कारण आए दिन हादसे होते हैं। सागर हाईवे एनएच-34 पर लगे संकेतक और सड़क चिह्न ही वाहन चालकों को गुमराह कर रहे है। ब्लैक स्पॉट पर बने सड़क चिह्न जहां ओवरटेक का इशारा कर रहे हैं तो वहीं पर लगे संकेतक ओवरटेक करने से रोक रहे हैं। इसके अलावा पूरे हाइवे पर न तो हैजार्ड (खतरा बताने वाला चिन्ह) लगा है और न दिशा सूचक चिह्न बनाया गया है। इसे एनएचएआई के इंजीनियरों की लापरवाही कहें या फिर चिह्न व संकेतक बनाने वालों की गलती, लेकिन इसका खामियाजा आम आदमी कओ अपनी जान गंवाकर या फिर अपंग हाेकर भुगतना पड़ रहा है। एआरटीओ अमिताभ राय ने बताया कि हादसे रोकने के लिए जल्द ही रणनीति बनाई जाएगी।

इस साल रोड एक्सीडेंट में सैकड़ों लोगों का खत्म हो गया जीवन

हमीरपुर जिले में रोड एक्सीडेंट में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है वहीं बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए। इस वर्ष में 259 हादसे हुए जिनमें 142 लोगों की मौत हुई है। कोरोना संक्रमण काल में लाॅकडाउन के दौरान एक्सीडेंट का ग्राफी नीचे गिर गया था। लेकिन लाॅकडाउन खुलने के बाद वर्ष 2021 में यहां हादसे में 118 लोग मरे थे। उसके बाद तो हर साल रोड एक्सीडेंट में मरने वालों की संख्या बढ़ रही है।

ई-रिक्शा और ट्रैक्टर भी सड़क दुघर्टनाओं की बन रहे बड़ी वजह

हमीरपुर में आटो, ई-रिक्शा और भार ढोने वाले लोडर व ट्रैक्टर अब सड़क हादसे की बड़ी वजह बन रहे हैं। हमीरपुर शहर में ही लोनिवि के सामने हमीरपुर-कालपी स्टेट हाइवे पर ई-रिक्शा को बचाने के चक्कर में तेज रफ्तार डंपर ने बाइक सवार पिता और दो मासूम पुत्रों को रौंद डाला था जिससे दोनों की मौत हो गई थी। शहर में हजारों की संख्या में ई-रिक्शा यातायात नियमों को ठेंगा दिखाते हुए फर्राटा भरते हैं जिनसे हादसे होते है। इन पर कोई शिकंजा नहीं कसा जा रहा है।


प्रकाश व्यवस्था न होने से यमुना व बेतवा पुल अंधेरे में

कानपुर-सागर नेशनल हाइवे के बीच यहां यमुना और बेतवा पुल बने है जो लाइफ लाइन है। लेकिन ये दोनों पुल दशकों से अंधेरे में है। तत्कालीन डीएम पीके झा के कार्यकाल में दोनों पुलों पर सोडियम लाइटें लगी थी जिससे कभी कोई हादसे पुलों पर न हीं होते थे लेकिन अब अक्सर पुलों पर ही बड़े हादसे हो जाते है। दोनों पुलों पर लगी सोडियम लाइटें व विद्युत पोल भी उखाड़कर नगर पालिका ने अपने स्टोर में डंप कर दिया है। दशकों बाद दोबारा लाइटें नहीं लगाई गई हैं।

हिन्दुस्थान समाचार

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