भागवतचार्य ने सुनाई कृष्ण जन्मोत्सव की कथा, श्रोता हुए भाव विभोर
श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन भागवताचर्य नवलेश दीक्षित ने भगवान श्री कृष्ण की जन्म की लीला का वर्णन किया...
 
                                कहा कि व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व होता है महान
चित्रकूट। श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन भागवताचर्य नवलेश दीक्षित ने भगवान श्री कृष्ण की जन्म की लीला का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक नहीं जन्म कहां हुआ है लेकिन हमें यह देखना है कि हमारा धर्म एवं कर्म कैसा है। क्योंकि हमारे सनातन धर्म में कर्म की प्रधानता है। व्यक्ति नहीं उसका व्यक्तित्व महान होता है। हमारे यहां व्यक्तित्व एवं चित्र के पीछे जो चरित्र छिपा है उसकी पूजा होती है, इसलिए हम महापुरुषों के चित्रपट की पूजा करते हैं।
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 मानिकपुर मुख्यालय में चल रही भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर आचार्य नवलेश दीक्षित ने भगवान श्री कृष्ण की जन्मोत्सव की लीला का वर्णन करते हुए कहा कि हमने सूर, कबीर, नानक, तुलसी, मीरा, रहीम, रसखान यह धर्म एवं कर्म में अग्रगण्य थे। इसलिए समाज में आज भी आदर सम्मान के साथ हम इन्हें बंदन एवं अभिनंदन, जय जयकार करते हैं। आज भी इन महापुरुषों की जयंती मनाई जाती है। इसलिए ज्ञान, धान की भूसी की तरह सुलगना अच्छा नहीं। एक बार इस संसार में सूर्य की तरह प्रकाशित होकर अज्ञानता का अंधकार नष्ट कर दें। उसी का नाम जीवन है। भक्त प्रहलाद का पावन चरित्र श्रवण कर कर बताया कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा जैसे मां पल-पल अपने बच्चों की रक्षा, सुरक्षा एवं हर व्यवस्था पर ध्यान बनाए रहती है उसी प्रकार भक्ति जब अपना सर्वस्व श्री हरि को समर्पित कर देता है तब भगवान उसको पल-पल स्मरण करते करते हुए उसकी रक्षा, सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। जिस परिवार में भक्त बालक का जन्म हो जाता है उसे मां की कोख धन्य-धन्य हो जाती है, एवं अनेक पीढियों का उद्धार हो जाता है।
मानिकपुर मुख्यालय में चल रही भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर आचार्य नवलेश दीक्षित ने भगवान श्री कृष्ण की जन्मोत्सव की लीला का वर्णन करते हुए कहा कि हमने सूर, कबीर, नानक, तुलसी, मीरा, रहीम, रसखान यह धर्म एवं कर्म में अग्रगण्य थे। इसलिए समाज में आज भी आदर सम्मान के साथ हम इन्हें बंदन एवं अभिनंदन, जय जयकार करते हैं। आज भी इन महापुरुषों की जयंती मनाई जाती है। इसलिए ज्ञान, धान की भूसी की तरह सुलगना अच्छा नहीं। एक बार इस संसार में सूर्य की तरह प्रकाशित होकर अज्ञानता का अंधकार नष्ट कर दें। उसी का नाम जीवन है। भक्त प्रहलाद का पावन चरित्र श्रवण कर कर बताया कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा जैसे मां पल-पल अपने बच्चों की रक्षा, सुरक्षा एवं हर व्यवस्था पर ध्यान बनाए रहती है उसी प्रकार भक्ति जब अपना सर्वस्व श्री हरि को समर्पित कर देता है तब भगवान उसको पल-पल स्मरण करते करते हुए उसकी रक्षा, सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। जिस परिवार में भक्त बालक का जन्म हो जाता है उसे मां की कोख धन्य-धन्य हो जाती है, एवं अनेक पीढियों का उद्धार हो जाता है।
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भागवत कथा पितरों को सद्गति प्रदान करती है। जिसके परिवार में भागवत कथा का अनुष्ठान हो जाता है उस कुल के पितर तृप्त होकर अपने परिवार को सुख, शांति, वैभव कीर्ति प्रदान करते हुए आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पितृदोष का समन करती है श्रीमद् भागवत कथा। गृहस्थ धर्म का वर्णन करते हुए राम जन्म दर्शन करा कर बताया मुखिया को परिवार में बहुत कुछ त्यागना पड़ता है। श्री कृष्ण जन्मोत्सव झांकी के दर्शन कराकर आरती के बाद प्रसाद वितरित किया गया। यजमान फूलमती, डॉ विष्णुकांत कुशवाहा, विनोद कुमार द्विवेदी आदि मौजूद रहे।
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