क्यों आज भी कारगर है जल संरक्षण की परंपरागत विधियां, जानें
बुंदेलखंड हमेशा से पानी के भीषण संकट और किसानों की बदहाली के लिये जाना जाता रहा है लेकिन अब यह इलाक़ा बदल रहा है और जल...
चित्रकूट
बुंदेलखंड हमेशा से पानी के भीषण संकट और किसानों की बदहाली के लिये जाना जाता रहा है लेकिन अब यह इलाक़ा बदल रहा है और जल संरक्षण के लिए तेज़ी से प्रयासरत है । इसी प्रयास को अधिक मज़बूत बनाने हेतु योगी सरकार से लेकर मोदी सरकार तक विभिन्न कार्यक्रमो के माध्यम से लोगो के बीच जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रही है । इसी क्रम में मंगलवार सुबह मानिकपुर के आदर्श इंटर कॉलेज में उप्र राज्य पुरातत्व संस्कृति विभाग एवं परहित सेवा संस्थान द्वारा भूजल सप्ताह का उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित हुआ । संस्कृति विभाग द्वारा आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत भूजल सप्ताह के अन्तर्गत 18 जुलाई से 22 जुलाई तक निबंध ,चित्रकला और भाषण आदि प्रतियोगिताओं के माध्यम से छात्र छात्राओं को जागरूक किया जाएगा।
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भूजल सप्ताह की शुरुआत मंगलवार को आदर्श इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और वक्ता पद्म श्री से अलंकृत बुंदेलखंड के जलयोद्धा उमाशंकर पांडेय ने दीप प्रज्वलन के साथ की । उन्होंने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि जल ही जीवन है और हमे ज़रूरत है की हम अपनी दिनचर्या के अंतर्गत प्रयोग में आने वाला जल बचायें । उन्होंने यह भी बताया की वह जखनी गांव के रहने वाले हैं और उन्होंने अपने गाँव के साथियों के साथ खेतों पर मेड़ बनाकर पानी को संरक्षित करने की विशेष मुहिम चलाई थी, जिसके चलते कभी पानी की समस्या से जूझते गांव में अब मई-जून की भीषण गर्मी में भी पानी की कोई समस्या नहीं होती है। अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने बताया कि सभी किसानो को आवश्यकता है की अपने खेतों में मेड़ बनाकर वर्षा के पानी को खेतों पर ही रोकें और मेड़ों पर पेड़ भी लगाएं. इस अभियान का नाम भी उन्होंने ष्खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़ रखा है। उन्होंने छात्रों से कहा कि अब समय पानी बचाने का है और यह कार्य हम सबको मिलकर करना होगा । हमें खूब पौधे लगाने की ज़रूरत है।
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उमा शंकर पांडे ने बताया कि एक समय ऐसा आया कि जब मालगाड़ी से बुंदेलखंड में पानी लाया जाने लगा था, लेकिन बुंदेलखंड हमेशा से ऐसा नहीं था यहां भी पानी था, लेकिन हम पानी को संरक्षित नहीं कर पाए. उन्होंने कहा कि हमारी परंपरागत जल संरक्षण की विधियां आज भी कारगर हैं और हमने भी वही तरीका अपनाया. हमने खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़ लगाकर जल को संरक्षित करने का काम किया. उन्होंने कहा कि पुरस्कार मिलने से काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं और पुरस्कार मिलने के बाद मुझे अपने काम में और खरा उतरना पड़ेगा।इसी क्रम में क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ रामनरेश पाल ने अपने वक्तव्य के दौरान कहा की यह गर्व का विषय है की आज उद्घाटन कार्यक्रम में हमारे बीच पद्म श्री उमाशंकर पांडेय जी हैं। भूजल सप्ताह के अंतर्गत कॉलेज परिसर में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम मनाये जाएँगे और इसके बाद सप्ताह के आख़िरी दिन प्रतियोगिता में अव्वल आने वाले छात्र छात्राओं को सम्मानित भी किया जाएगा ।
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इसी क्रम में परहित सेवा संस्थान के प्रबंधक अनुज हनुमत ने कहा की यह गर्व की बात है की हमारे बीच बुंदेलखंड के जलयोद्धा हैं और उन्होंने एक मॉडल पेश किया है जिससे बुंदेलखंड जैसे इलाक़े को पानी संरक्षण का बड़ा केंद्र बनाया जा सकता है । उन्होंने बडेहार पुरवा के जलयोद्धा कृष्णा कोल को याद करते हुए कहा कि एक आदिवासी व्यक्ति की जल संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता ही थी की उन्होंने गाँव की प्यास बुझाने हेतु अकेले दम पर कुआँ खोद डाला । आख़िरी साँस तक कृष्णा कोल यही चाहते थे की गाँव हमेशा पानी से समृद्ध रहे और उसके लिए ज़्यादा से ज़्यादा कुएँ और तालाब खोदे जाने चाहिये । उन्होंने पद्म श्री उमाशंकर पांडेय जी को बताया कि दुखद विषय ये है की हम कृष्णा कोल जैसे व्यक्ति द्वारा किए गये छोटे से प्रयास को आज भी सहेज नहीं पाये हैं। ज़रूरत है की कृष्णा कोल द्वारा खोदे गये कुएँ को राष्ट्रीय पहचान मिले जिससे जल संरक्षण की दिशा में किया गया यह छोटा प्रयास भी बड़ा उदाहारण पेश कर सके ।
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इसके बाद कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों ने कॉलेज परिसर में पेड़ पौधे भी रोपित किए । इस मौक़े पर उपजिलाधिकारी प्रमेश श्रीवास्तव ,आदर्श इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य राकेश सिंह , परहित सेवा संस्थान के अध्यक्ष शंकर प्रसाद द्विवेदी , पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष विनोद द्विवेदी , शिवशंकर कंचनी , हरिओम त्रिपाठी , जुगेंद्र मिश्र, पंकज तिवारी , पुरुषोत्तम अग्रहरि , रविकान्त पांडेय , संग्राम सिंह ,डॉ नवल किशोर आचार्य और जखनी गाँव से आये जलयोद्धा सहित कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।