बांदा वासियों की कब खबर लोगे मेरे राम !
जनपद बांदा और चित्रकूट के लोगों ने आपको (राम कृपाल सिंह जी) 2019 में एक बार फिर संसद सदस्य चुनकर पार्लियामेंट में भेजा था और सोचा था इस बार आप अपने इस क्षेत्र के विकास और आम जनता के दुख दर्द में भागीदार बनेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करने में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ेंगे, लेकिन मुझे लगता है आपने इस क्षेत्र की जनता को भुला दिया है।
बांदा के लोग रात-रात भर बिना बिजली के जागकर बिताते हैं, दिन में भी कई कई घंटे बिजली गुल रहती है लेकिन कोई सुनता नहीं है,ऐसे में आपसे उम्मीद थी लेकिन आपको सिर्फ चित्रकूट का लो वोल्टेज नजर आया। यहां बिजली समस्या पर आपका ध्यान नहीं गया। लोग किस तरह उमस भरी गर्मी में सरकार को कोसते हुए रात बिताते हैं,दिन में पानी पी पीकर गरीयाते है?आप सुनते तो शायद जनता का दर्द समझ में आता भी।
तत्कालीन सांसद श्यामाचरण गुप्ता की तरह आपने भी एक आवास की व्यवस्था करके जनता में यह संदेश दे दे दिया कि मेरा बांदा में भी आवास. है। जिस मकान की व्यवस्था की है अगर वहां रहकर गुजारते तो सुनिश्चित बांदा के लोगों का दर्द समझ में आता।अपनों का दर्द अपनों के बीच में ही रहकर समझ में आता है।लॉकडाउन के दौरान भी कभी कभार सदर विधायक के साथ आपके दर्शन हुए और इसके बाद आप नदारद हो जाते हैं।भला हो, इस जनपद की जनता का जो अन्य जनपदों की तरह 'लापता' सांसद के बैनर पोस्टर नहीं लगाती।
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बांदा में बिजली की समस्या नई नहीं है यह समस्या तो वर्षों से चली आ रही है, यह अलग बात है कि सरकार और सरकार के नुमाइंदे सरकार की उपलब्धियां गिना गिना कर जनता का पेट भरने की कोशिश करते हैं।जमीनी हकीकत क्या है यह तो उस क्षेत्र में रहकर ही जान सकते हैं।जब कोई भी व्यक्ति अपनों से दूर रहेगा उनके दुख दर्द के बारे में पूछेगा नहीं तो फिर कैसे उनकी समस्या का समाधान होगा? इधर पूरी गर्मी में जनता ने बिजली की समास्या का सामना किया।
पीने के पानी के लिए जनता तरसती रही।क्या कभी आपने उनके बीच जाकर यह आश्वासन दिया है कि समस्या का समाधान हो जाएगा या फिर बिजली जैसी मूलभूत समस्या का समाधान करने के लिए आपने कोई त्वरित कदम उठाया है।हमें तो नहीं लगता कि आपने ऐसा कोई काम किया है, हां इधर चित्रकूट की लो वोल्टेज की समस्या को लेकर एक पत्र नजर आया। जिससे हमें भी अपने गिला शिकवा का मौका मिल गया। संभवत है आप बांदा की जनता का दर्द समझ गए होंगे।
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अच्छा होगा कि आप अपने आधे संसदीय क्षेत्र बांदा का भी दीदार करें और जनमानस की समस्याओं को दूर करने के लिए कदम उठाएं तो शायद उनके गिले-शिकवे दूर हो जाएंगे।