प्रभु श्री राम के बाल लीलाओं की कथा सुन आनंदित हो उठे श्रोतागण

परमहंस संत रणछोड़ दास जी महाराज के कर कमलो से जानकीकुंड में स्थापित श्री रघुवीर मंदिर ट्रस्ट बड़ी गुफा में...

प्रभु श्री राम के बाल लीलाओं की कथा सुन आनंदित हो उठे श्रोतागण

चित्रकूट,
परमहंस संत रणछोड़ दास जी महाराज के कर कमलो से जानकीकुंड में स्थापित श्री रघुवीर मंदिर ट्रस्ट बड़ी गुफा में अरविंद भाई मफत लाल की जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में  चल रही नौ दिवसीय कथा में मिथिला धाम से पधारे परम पूज्य श्री किशोरी शरण मधुकर जी महाराज (मुढिया बाबा सरकार) राम कथा का गान कर रहे है। 

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महाराज जी कथा के छठवें दिन अपनी अमृतमय वाणी से देश के विभिन्न प्रांतों  से आए कथा श्रोताओं को कथा प्रभु श्री राम की बाल लीलाओं को सुनाते हुए बताते है कि प्रभु श्री राम जन्म के समय सारे अयोध्या में बधाई और उत्सव मनाया जाता है, एक माह बीत गए प्रभु को जन्म लिए उनकी बाल लीलाएं देखने के लिए सारे देवी देवता नजर गड़ाए रहते थे। उधर भगवान शिव को प्रभु के दर्शन की मन में  लालसा जागृति होती है तो भोलेनाथ एक वृद्ध ब्राह्मण का भेष बनाते है और काग भुसुंड जी को अपना चेला बनाते है और अयोध्या पहुंच जाते है और अयोध्या वासियों की  हस्त रेखा देख कर उसके बारे में बताने लगते पूरे नगर में हो जाता है कि बहुत बड़े ब्राह्मण आए है हस्त रेखा देखकर सब कुछ बताते हैं।

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ये खबर राजा दशरथ के महलों में दास  दासियों के माध्यम से पहुंच जाती है, उनको बुलाया जाता तीनों रानियां चारों राजकुमारों को लेकर शिव जी के पास आती है शिव जी प्रभु के पैर छूना चाहते है, मगर पैर प्रभु छुपा लेते तब काग भुसुंड जी कहते है भोले नाथ से प्रभु आशीर्वाद दीजिए अन्यथा पोल खुल जाएगी। शिव जी प्रभु राम को मन ही मन प्रणाम करते है और गोद में लेकर जन्म से विवाह तक की बात मां कौशिल्या को बताते है और कहते है जब मुनि विश्वामित्र इनको लेने आए तब समझ लेना, इनके विवाह का समय आ गया विवाह तक की बात बताकर भोलेनाथ चले जाते है। 

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महाराज जी बताया कि मां कौशील्या प्रभु राम को सुलाकर पूजा घर जाती है तो वहां भी राम जी उनको दिखते है और जहां सो रहे थे। वहां भी इस तरह प्रभु मां कौशील्या को अपने विराट रूप का दर्शन कराते है। इसके बाद चारो भाइयों का नामकरण होता है। प्रभु परमात्मा का सारी दुनिया नाम जपती है। इस नाम को सभी नर नारी साधु संत जपने लगे वही कथा का रसपान कराते हुए महाराज जी ने भारत जी को  प्रभु का अनंत भक्त बताते हुए कहा कि भारत जी ऋषियों, साधु संत वैष्णव , मुनियों सबके आधार है। प्रभु श्रीराम अयोध्या में सरयू के किनारे बाल लीलाएं करते है। प्रभु श्री राम की बाल लीलाएं सुनकर सभी श्रोतागण आनंदित हो उठते है। कथा श्रोताओं में तमाम साधु संत, आम जनमानस, तमाम प्रांतों से पधारे गुरु भाई बहन एवं सदगुरू परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहे।

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