लोकसभा चुनाव : हमीरपुर-महोबा सीट पर 1962 के बाद से कोई प्रत्याशी नहीं लगा पाया हैट्रिक
उत्तर प्रदेश की हमीरपुर-महोबा लोकसभा सीट पर 62 साल में कोई भी प्रत्याशी हैट्रिक नहीं लगा पाया है...
हमीरपुर। उत्तर प्रदेश की हमीरपुर-महोबा लोकसभा सीट पर 62 साल में कोई भी प्रत्याशी हैट्रिक नहीं लगा पाया है। छह दशक में लोकसभा के चौदह बार चुनाव हुए लेकिन यहां की सीट पर राजनीतिक दलों के दो प्रत्याशी ही लगातार दो बार एमपी बन सके। मौजूदा भाजपा सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल लगातार दो बार जीते। अब ये हैट्रिक लगाने के लिए तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। अबकी बार विपक्षी दलों के गठबंधन आईएनडीआईए के प्रत्याशी उनके मजबूत गढ़ में साइकिल दौड़ाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।
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हमीरपुर सदर, राठ, महोबा, चरखारी और तिंदवारी आदि पांच विधानसभा क्षेत्रों वाली लोकसभा की इस सीट पर किसी भी प्रत्याशी की जीत के लिए निर्णायक मतों की बड़ी भूमिका मानी जाती है। संसदीय क्षेत्र के राठ, चरखारी क्षेत्र में सर्वाधक लोधी मतदाता हैं जो किसी भी प्रत्याशी की चुनावी गणित को बिगाड़ सकता है। पिछले ढाई दशक पहले यहां की सीट बसपा के कब्जे में रही है। बसपा की सोशल इंजीनियरिंग के कार्ड पर बसपा ने कांग्रेस और भाजपा के मजबूत गढ़ को ढहा दिया था। लगातार पार्टी का जनाधार बढ़ने और जातीय समीकरणों के खेल में इस संसदीय सीट पर दो बार बसपा ने कब्जा किया था लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव में मोदी मैजिक में भाजपा ने क्षेत्रीय दलों को क्षेत्र से ही बाहर कर दिया था। भाजपा का संसदीय सीट पर कब्जा पिछले दो आम चुनावों से लगातार बरकरार है।
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देश में 1952 के आम चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी एमएल द्विवेदी ने हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर कब्जा किया था। उन्हें 32.7 फीसदी मत मिले थे। एमएल द्विवेदी 1957 के लोकसभा चुनाव में दोबारा सांसद बने थे। उन्होंने बहुत ही कम वोटों के अंतर से जीत दर्ज कराई थी। उनके खाते में सिर्फ 28.6 फीसदी मत आए थे जबकि 28.2 फीसदी मत लेकर आरएसए के प्रत्याशी लक्ष्मीराम दूसरे स्थान पर रहे थे। एमएल द्विवेदी 1962 के आम चुनाव में तीसरी बार सांसद बने थे। उन्हें 47.9 फीसदी मत मिले थे। ईमानदार और सरल स्वाभाव के ये माननीय लगातार तीन बार यहां से सांसद रहे है।
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वर्ष 1967 में लोधी बिरादरी के स्वामी ब्रह्मनंद महाराज भारतीय जनसंघ पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में आए थे। ये पहली बार 54.1 फीसदी मत लेकर सांसद बने थे। और तो और 1971 कांग्रेस में आकर दोबारा चुनाव मैदान में आए और फिर सांसद बने लेकिन 1977 के आम चुनाव में हार गए थे। स्वामी ब्रह्मनंद यहां की सीट पर हैट्रिक नहीं लगा सके। इसी तरह से गंगाचरण राजपूत 1989 में पहली बार सांसद बने थे लेकिन 1991 में चुनाव हार गए थे। गंगाचरण ने 1996 में भाजपा का कमल खिलाया। जबकि 1998 के चुनाव में लगातार दोबारा सांसद बने लेकिन 1999 में तीसरे स्थान पर थे।
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हमीरपुर-महोबा के मौजूदा सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल लगातार दो बार बंपर वोटों से जीत दर्ज करा चुके हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में पहली बार सांसद बने थे और 2019 में दोबारा जनादेश पाकर लोकसभा पहुंचे थे। यहां की सीट पर तीसरी बार कब्जा बरकरार रखने के लिए ये फिर से चुनाव मैदान में हैं। इन्हें घेरने के लिए विपक्ष एकजुट है। पुष्पेन्द्र सिंह महोबा के रहने वाले हैं जबकि सपा ने इंडी गठबंधन से महोबा के ही अजेन्द्र सिंह राजपूत को प्रत्याशी बनाया है। ये दोनों ही एक दूसरे के मजबूत गढ़ में सेंधमारी कर रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार