रामलला के विराजमान के साथ यूपी में आया उजियारा
साल 2024 की पहली तिमाही उत्तर प्रदेश में उल्लास, उत्साह, उत्सव और उम्मीद से भरी रही...
मिट्टी में मिल गये माफिया, मुख्तार के साथ ही माफिया मुक्त हुआ उत्तर प्रदेश
लखनऊ। साल 2024 की पहली तिमाही उत्तर प्रदेश में उल्लास, उत्साह, उत्सव और उम्मीद से भरी रही। जनवरी माह में जहां 500 साल के इंतजार के बाद भगवान श्रीरामलला अपने नव्य, भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हुए, तो वहीं फरवरी माह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने यूपी में विकास को रफ्तार देने के लिए अबतक का सबसे बड़ा बजट (7.36 लाख करोड़ रुपए) पास कर इतिहास रच दिया। यही नहीं, फरवरी में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में आयोजित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के जरिए पहली बार 10 लाख 25 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक ही दिन में धरातल पर उतारकर नया कीर्तिमान स्थापित किया गया। साल 2024 की पहली तिमाही खत्म होते होते बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही यूपी खासकर पूर्वांचल से माफिया युग का अंत हो गया है।
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रामलला हुए विराजमान, यूपी में आया उजियारा
2024 की यात्रा उत्तर प्रदेश की विकास गाथा में नये अध्यायों के साथ जारी है। हालांकि, इसकी शुरुआत 2023 के अंत से ही हो गई थी, जब 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या सहित पूरे प्रदेश को 15 हजार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं की सौगात दी। इसमें महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा भी शामिल है। वहीं 22 जनवरी को प्रदेश ही नही बल्कि पूरे देश के लिए वह गौरवमयी पल भी आया जब 500 साल के इंतजार के बाद भगवान श्रीरामलला अपने नव्य, भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हुए। प्रधानमंत्री मोदी, सरसंघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में भगवान राम के सुंदर बालस्वरूप विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हुई तो पूरा देश और दुनियाभर में फैले सनातनी रोमांचित हो उठे। इसके बाद प्रतिदिन राममंदिर में दर्शन-पूजन के लिए औसतन एक से सवा लाख रामभक्त दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। अबतक तकरीबन डेढ़ करोड़ रामभक्तों ने श्रीराममंदिर में दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर लिया है। आगामी 17 अप्रैल को रामनवमी पर अयोध्या में भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
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मिट्टी में माफिया साम्राज्य
साल की पहली तिमाही खत्म होते होते 28 मार्च की रात मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही प्रदेश में माफिया युग का भी अंत हो गया। बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की तबियत बिगड़ने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। इसके साथ ही दशकों से आतंक का पर्याय रहे मुख्तार और उसके साम्राज्य का भी सफाया हो गया। मुख्तार पर गंभीर किस्म के अपराधों में संलिप्त होने के तकरीबन 65 मुकदमे दर्ज थे। योगी सरकार में प्रबल पैरवी और अभियोजन की तत्परता से माफिया को उसके गुनाहों की सजा मिलने लगी। मात्र डेढ़ साल में ही मुख्तार अंसारी को 8 गंभीर मामलों में सजा सुनाई गई। इनमें दो मामलों में उसे आजीवन कारावास की सजा मिली। मुख्तार के अलावा, विजय मिश्रा, अतीक अहमद (मृत), योगेश भदौड़ा, मुनीर, सलीम, रुस्तम, सोहराब, अजीत सिंह उर्फ हप्पू, आकाश जाट, सिंहराज भाटी, सुंदर भाटी, मुलायम यादव, ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू सिंह, अमि कसाना, एजाज, अनिल दुजाना, याकूब कुरैशी, बच्चू यादव, धर्मेन्द्र कीर्ठल, रणदीप भाटी, संजय सिंह सिंघला, अनुपम दुबे तथा उधम सिंह जैसे माफिया तत्वों का साम्राज्य पहले ही ध्वस्त कर दिया गया है। मुख्तार की मौत के बाद यूपी से माफिया युग का भी आखिरकार अंत हो गया।
हिन्दुस्थान समाचार
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