जीवन रक्षा में पुलिस की नई पहचान, एसपी ने किया सीपीआर
वाराणसी के राजकीय चिकित्सा अधिकारी डा. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने पुलिस लाइन के कान्हा सभागार में पुलिस अधीक्षक...
‘कार्डियक अरेस्ट में सीपीआर देकर बचाई जा सकती है व्यक्ति की जान’
विशेषज्ञ डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने दिया प्रशिक्षण
चित्रकूट। वाराणसी के राजकीय चिकित्सा अधिकारी डा. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने पुलिस लाइन के कान्हा सभागार में पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह सहित समस्त पुलिस अधिकारियो एवं कर्मचारियों को सीपीआर पर लाइव प्रस्तुति दी। जिसमें एसपी ने खुद सीपीआर का डेमो दिया।
बताया गया कि कार्डियक अरेस्ट होने पर विशेष परिस्थिति में पीड़ित के जीवन की रक्षा विषय पर राजकीय चिकित्सा अधिकारी डा. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने बरती जाने वाली सावधानियों और सीपीआर से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। आज कल व्यायाम और नृत्य करते समय भी लोगों को दिल का दौरा पड़ रहा है। ऐसी घटनाओं में देश के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है। ऐसे समय में सीपीआर देने की जानकारी अधिक से अधिक लोगों को होनी चाहिए। बताया कि कार्डियक अरेस्ट के मरीज के लिए पहला तीन मिनट गोल्डन टाइम होता है। अगर नौ मिनट तक मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिले तो व्यक्ति ब्रेन डेथ का शिकार हो सकता है। इस समय मरीज को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। डा. द्विवेदी ने बताया कि सीपीआर एक मेडिकल थेरेपी की तरह है। इससे कार्डियक अरेस्ट आने पर मरीज को सीपीआर देते हुए अस्पताल पहुंचाया जाता है। सीपीआर तब तक देते रहना चाहिए जब तक एंबुलेंस न आ जाए या मरीज अस्पताल या विशेषज्ञ चिकित्सक के पास नहीं पहुंच जाए। ऐसा करने से मरीज के बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है तो ऑक्सीजन की कमी से शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगी है। इसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है। सही समय पर सीपीआर और इलाज शुरू नहीं होने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। इस विधि से व्यक्ति की सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को विशेष तरीके से दबाया जाता है।
प्रशिक्षण के दौरान डा. द्विवेदी ने मानव शरीर की डमी पर सीपीआर देने की लाइव प्रस्तुति दी। उन्होंने दिखाया कि सीपीआर के लिए सबसे पहले पीड़ित को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है और प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है। उसकी नाक और गला चेक कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं है। इसके बाद अपने दोनों हाथों की मदद से विशेष तरीके से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में तेजी से दबाना होता है। हर एक पुश के बाद छाती को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने देना चाहिए। इससे शरीर में पहले से मौजूद रक्त को हृदय पंप करने लगता है। 30 बार पुश करने के बाद मुंह पर साफ रूमाल रखकर दो बार सांसें दी जाती हैं। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह शुरू होता है और मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलने लगती है।
बताया कि कार्डियक अरेस्ट उस स्थिति में होता है जब कार्डियक कार्य प्रणाली अचानक रुक जाती है। यानी दिल धड़कना बंद कर देता है। इस दौरान फेफड़ों, दिमाग और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक खून पहुंचना रुक जाता है और प्रभावित व्यक्ति की तुरंत मृत्यु हो जाती है। कई बार हार्ट अटैक आने की वजह से भी अचानक कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। ऐसी इमरजेंसी में मरीज को कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन और डिफाइब्रिलेटर से बिजली के झटके दिए जाते हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया सीपीआर एक जीवन रक्षक प्रणाली है। इसलिये आम जनमानस को इसे सिखाना बहुत जरूरी है। इस अवसर पर एएसपी सत्यपाल सिंह, सीओ सिटी अरविन्द वर्मा, सीओ राजापुर राजकमल, सीओ लाइन्स यामीन अहमद, सीओ मऊ फहद अली, प्रतिसार निरीक्षक रामशीष यादव, पीआरओ प्रदीप पाल, सूबेदार राकेश समाधिया आदि मौजूद रहे।
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