बाल विवाह के खात्मे को वैश्विक अंर्तधार्मिक सप्ताह का हुआ आयोजन
बाल विवाह मुक्त विश्व की ओर 12 से 14 सितंबर को वैश्विक अंतरधार्मिक सप्ताह आयोजित किया गया...

‘समुदाय के लोगों को बाल विवाह करने से रोकें धर्माचार्य’
चित्रकूट। बाल विवाह मुक्त विश्व की ओर 12 से 14 सितंबर को वैश्विक अंतरधार्मिक सप्ताह आयोजित किया गया। जिसके क्रम में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन की सहयोगी संस्थाये कार्य कर रही है। जनपद में जन कल्याण शिक्षण प्रसार समिति द्वारा एक्सेस टू जस्टिस प्रोग्राम के अंतर्गत बाल विवाह के खिलाफ धर्मगुरु अभियान’ का आयोजन किया। इस अभियान का उद्देश्य बाल विवाह कुरीति के विरुद्ध समाज के विभिन्न वर्गों, विशेषकर धर्माचार्यो को जोड़कर समाज में जागरूकता फैलाना है। जिसमे विभिन्न समुदाय के धर्माचार्यो से मिलकर अपने समुदाय के लोगों को बाल विवाह न करने की अपील की गई।
तीन दिवसीय अभियान के अंतर्गत समिति की टीम ने विभिन्न धर्मस्थलों पर जाकर धर्माचार्यों से भेंट की और उन्हें बाल विवाह विरोधी मुहिम में सक्रिय सहयोग के लिए प्रेरित किया। कामतानाथ के प्रथम मुखारविन्द के स्वामी मदनगोपाल दास महाराज ने अपने संदेश में कहा कि शिक्षा ही वह साधन है जो बच्चों को जीवन में प्रगति का अवसर प्रदान करती है। बाल विवाह बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बना देता है। इसलिए समाज को इस बुराई से मुक्त करना सबका दायित्व है। यज्ञ वेदी निर्वाणी मंदिर के स्वामी सत्यप्रकाश दास महाराज ने कहा कि धर्मग्रंथों में भी बाल विवाह को उचित नहीं माना गया है। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से अपील की है कि बच्चों को समय से पहले विवाह के बंधन में न बांधा जाए, बल्कि उन्हें शिक्षा और संस्कार देकर सशक्त बनाया जाए। नूरानी मस्जिद के मुफ्ती सलाउद्दीन साहब ने जुमे की नमाज के अवसर पर नमाजियों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में बताया और बाल विवाह न करने की सामूहिक शपथ दिलाई। इसी क्रम में लैना बाबा सरकार सहित अन्य धर्माचार्यों ने भी अभियान का समर्थन किया और अपने-अपने अनुयायियों से यह अपील की है कि 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों तथा 21 वर्ष से कम आयु के बच्चों का विवाह न करें। पहले बच्चों को पढ़ाएं। उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने का मौका दें। इस अवसर पर संस्थान के प्रमुख शंकर दयाल पयासी द्वारा बताया गया कि जनगणना 2011 भारत में हर मिनट तीन लड़कियों की शादी हो जाती है। वही एनसीआरबी के आंकडे के अनुसार 2022 में केवल प्रतिदिन तीन मामले ही दर्ज हुए और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार 20-24 वर्ष आयु वर्ग की 23.3 प्रतिशत महिलाएं 18 वर्ष से पहले ही शादी हो जाती है वा 20 वर्ष से कम आयु की माताओं में शिशु मृत्यु दर 45 प्रति 1000, जबकि 20-29 वर्ष की माताओं में 33 प्रति 1000, इसका मतलब है कि बाल विवाह बच्चों की जान तक ले लेता है। जन कल्याण शिक्षण प्रसार समिति का यह अभियान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक न्याय और बाल अधिकारों की रक्षा की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। समिति आने वाले समय में भी इसी तरह के अभियान चलाकर अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करेगी।
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