संगठन ही समस्त समस्याओं का समाधान : अभय महाजन
चुनौतियां हमारी परीक्षा लेने के लिए सामने खड़ी हैं। मात्र सता परिवर्तन से देश का भला नहीं हो सकता...

डीआरआई के राष्ट्रीय संगठन सचिव ने आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री स्मृति व्याख्यान माला में रखे विचार
चित्रकूट। चुनौतियां हमारी परीक्षा लेने के लिए सामने खड़ी हैं। मात्र सता परिवर्तन से देश का भला नहीं हो सकता। व्यक्ति परिवर्तन से ही समाज परिवर्तन संभव है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्वत्व का जागरण, पर्यावरण, सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन एवं नागरिक कर्तव्य प्रभृति ऐसे पंच परिवर्तन हैैं जिन्हें अपने जीवन में चरितार्थ कर समाज और राष्ट्र को उन्नत बना सकते है।
ये विचार दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने कोलकाता में भारतीय भाषा परिषद सभागार में रविवार को आयोजित आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री स्मृति व्याख्यान माला के 20वें आयोजन के अंतर्गत बदलते राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में पंच परिवर्तन की प्रासंगिकता विषय पर बतौर प्रधान वक्ता व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि स्वजागरण से अपने पुरुषार्थ को जाग्रत करना चाहिए, स्वदेशी से जीवन में आत्मगौरव का आभास होगा। सामाजिक समरसता प्रायोजित कार्यक्रमों से नहीं बल्कि सहभागिता से आयेगी। उन्होंने आगे कहा कि पर्यावरण की अनुकूलता से जीवन में शांति आयेगी और अधिकार नहीं कर्तव्य के पालन से समाज विकसित होगा। अतः इन पंच परिवर्तनों को जीवन में अपनाने से ही न केवल राष्ट्र समृद्ध होगा बल्कि विशगुरु का सम्मान पुनः प्राप्त कर सकेगा। कार्यक्रम के आरंभ में आचार्य विष्णुकांत शास्त्री द्वारा रचित गीत की सांगीतिक प्रस्तुति सुप्रसिद्ध गायक ओम प्रकाश मिश्र ने दी। वागत भाषण दिया पुस्तकालय की साहित्य मंत्री डॉ. तारा दूगड़ तथा धन्यवाद ज्ञापन पुस्तकालय मंत्री श्रीधर शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन कुमारसभा के अध्यक्ष महावीर बजाज ने किया।
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