ग्रीष्मकालीन कार्यशाला के तीसरे दिन विद्वानो ने रखे विचार, प्रस्तुत किए शोध पत्र
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ तथा जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय...

मानव जीवन को नई दृष्टि देते हैं बुद्ध के प्रेरक विचार: डा कमलेश
चित्रकूट। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ तथा जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय, के संयुक्त तत्वावधान में चल रही सप्त दिवसीय ग्रीष्मकालीन कार्यशाला के तृतीय दिवस में विभिन्न विद्वानों ने अपने भावपूर्ण उद्बोधन से बुद्ध के विचारों को वर्तमान जीवन दर्शन के संदर्भ में प्रकट किया।
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इस अवसर पर डॉ कमलेश जंगगिड कोरिया ने कहा कि भगवान बुद्ध की वाणी मानव जीवन को नई दृष्टि प्रदान करती है। जिसके माध्यम से समसामयिक समस्याओं को हल करके प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के विचार भारतीय संदर्भ में ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मैत्री संबंधों को मजबूत बनाने में भी अपना योगदान देते हैं। निश्चित रूप से आज भी बुद्ध के विचार प्रेरक हैं। समाजशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुनीता श्रीवास्तव ने कहा कि बौद्ध धर्म एवं योग की शिक्षा को यदि आधुनिक जीवन में प्रयुक्त किया जाए तो निश्चित रूप से मानसिक एवं भौतिक दोनों प्रकार के संतुलन को बनाया जा सकता है। उन्होंने एक सर्वेक्षण अध्ययन के माध्यम से अपने निष्कर्ष के आधार पर बताया कि योग और बौद्ध धर्म के सिद्धांतों के प्रयोग से व्यक्तियों के शारीरिक और मानसिक स्थिति में आश्चर्यजनक परिवर्तन होता है।
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हिंदी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ शांत कुमार चतुर्वेदी ने आप्त दीपो भाव की अवधारणा को समझाते हुए वर्तमान वैश्विक संदर्भ में इसकी उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्री दीपक कुमार मिश्र ने बौद्ध दर्शन की आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिकता और बौद्ध दर्शन के माध्यम से मानव व्यक्तित्व के उत्कृष्ट विकास पर प्रकाश डाला। इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के डॉ महेंद्र कुमार उपाध्याय ने बौद्ध दर्शन के सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक अनुशीलन के द्वारा बौद्ध की वाणी का मानवीय पक्ष पर प्रत्यक्ष प्रभाव तथा उसके द्वारा सामाजिक व राष्ट्रीय परिवेश में संतुलन के महत्व से अवगत कराया। कार्यक्रम का संचालन संगीत विभाग के अध्यक्ष डॉ गोपाल कुमार मिश्रा ने किया तथा कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला के संयोजक डा हरिकांत मिश्रा के द्वारा किया गया। इस मौके पर देश एवं विदेश से ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्रतिभागियों ने अपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये।
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