यूपी टीईटी पास अभ्यर्थियों को राहत : यूपी टीईटी प्रमाणपत्र अब आजीवन मान्य

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी टीईटी) उत्तीर्ण 21 लाख से अधिक अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ..

Jun 16, 2021 - 09:26
Jun 16, 2021 - 09:26
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यूपी टीईटी पास अभ्यर्थियों को राहत : यूपी टीईटी प्रमाणपत्र अब आजीवन मान्य
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ / Chief Minister Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी टीईटी) उत्तीर्ण 21 लाख से अधिक अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र की तर्ज पर यूपी टीईटी के प्रमाणपत्र को भी आजीवन मान्य करने का आदेश दे दिया है। उन्होंने बुधवार को समीक्षा बैठक के दौरान निर्देश दिया कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार यूपी टीईटी का प्रमाणपत्र को आजीवन वैधता प्रदान की जाए।

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एक बार परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद दोबारा देने की आवश्यकता नहीं होगी। इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाए। डीएलएड पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए पूर्व प्रचलित व्यवस्था ही लागू रखी जाए।

दरअसल, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने तीन जून को ऐलान किया था कि टीईटी 2011 से जारी हो रहे प्रमाणपत्र आजीवन होंगे। इसके पहले प्रमाणपत्र सात साल और 2020 का ही आजीवन मान्य था। मंत्री के बयान के बाद यूपी में भी इसके आजीवन मान्य होने की संभावना बढ़ गई थी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश प्रयागराज ने इसका प्रस्ताव भी भेज दिया था।

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अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए नोटीफिकेशन जारी करने का आदेश दे दिया है। इस कदम से उन अभ्यर्थियों को विशेष राहत होगी, जो प्रमाणपत्र की अवधि पूरी होने से दोबारा परीक्षा देने की तैयारियों में जुटे थे। यूपी टीईटी का प्रमाणपत्र अभी तक पांच वर्ष तक ही मान्य रहा है।

टीईटी को लेकर केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के ऐलान के बाद नौ जून को एनसीटीई यानी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने इस संबंध में विज्ञप्ति जारी कर दी है। नेशनल काउंसिलिंग की 50वीं बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया है कि 2011 से अब तक टीईटी के प्रमाणपत्र आजीवन मान्य होंगे। राज्य सरकारें भी इस संबंध में निर्णय ले सकती हैं। केंद्र से आदेश जारी होने के बाद शासन ने भी परीक्षा संस्था से इस संबंध में प्रस्ताव मांगा था। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय उत्तर प्रदेश प्रयागराज ने शासन को भेज दिया था।

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