ज्ञानवापी की तरह भोजशाला के सर्वे की मांग पर सुनवाई, इंदौर हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

काशी की ज्ञानवापी की तर्ज पर मध्य प्रदेश के धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला का सर्वे कराने वाली मांग पर सोमवार...

ज्ञानवापी की तरह भोजशाला के सर्वे की मांग पर सुनवाई, इंदौर हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

इंदौर। काशी की ज्ञानवापी की तर्ज पर मध्य प्रदेश के धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला का सर्वे कराने वाली मांग पर सोमवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में सुनवाई हुई। खंडपीठ के समक्ष 1902 में हुए सर्वे को लेकर बहस हुई। हिंदू पक्ष की ओर से मांग की गई है कि मंदिर परिसर का दोबारा सर्वे किया जाए। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।

भोजशाला विवाद को लेकर उच्च न्यायालय में अलग-अलग संगठनों ने सात जनहित याचिका दायर की हैं। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने भोजशाला में शुक्रवार को होने वाली नमाज पर रोक लगाने और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार देने की मांग की है। दावा किया गया कि यह विद्या की देवी सरस्वती का मंदिर है। वसंत पंचमी पर हर वर्ष यहां सरस्वती की आराधना होती है।

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प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार, भोजशाला राजा भोज ने बनवाई थी, जिसे मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया। कमाल मौलाना मस्जिद में मंदिर के अवशेष मौजूद हैं। हिंदू पक्ष का दावा है कि भोजशाला की जगह पहले यूनिवर्सिटी थी। जहां दूर-दूर से विद्यार्थी पढ़ने आते थे। यहां वाग्देवी देवी की प्रतिमा स्थापित थी, जो अब लंदन में म्यूजियम में रखी है। भोजशाला में मंगलवार को पूजा-अर्चना और शुक्रवार दोपहर एक से तीन बजे तक नमाज पढ़ी जाती है। इस दौरान दोनों पक्ष के लोगों को नि:शुल्क प्रवेश मिलता है। शेष समय एक रुपये का टिकट लगता है। वसंत पंचमी पर पूरे दिन सरस्वती पूजा के कार्यक्रम होते हैं। जिस वर्ष वसंत पंचमी शुक्रवार को होती है, तब विवाद की आशंका बढ़ जाती है, क्योंकि इसी दिन हिंदू पक्ष पूजा और मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज के लिए जुटते हैं। वर्ष 2006, 2012, 2016 में ऐसा ही संयोग था। अब 2026 में यह स्थिति बनेगी।

पुरातत्व विभाग ने करीब सवा सौ साल पहले धार भोजशाला का सर्वे किया था। इस आधार पर विभाग नए सर्वे को नकार रहा है। मुस्लिम पक्ष भी नए सर्वे का विरोध कर रहा है। दरअसल, 1902-03 के पुरातत्व विभाग के सर्वे के आधार पर ही यहां 2003 में मुस्लिमों को शुक्रवार को नमाज करने की मंजूरी दी गई है। अभी तक यह आदेश प्रभावी है।

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इंदौर उच्च न्यायालय में सोमवार को भोजशाला का सर्वे कराने की मांग की याचिका पर एक घंटे तक सुनवाई हुई। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच जोरदार बहस हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विनय जोशी ने 24 फोटोग्राफ पेश कर बताया कि भोजशाला में संस्कृत के श्लोक लिखे हैं। वाग्देवी का मंदिर है। मूर्ति लंदन के म्यूजियम में है। एएसआई की रिपोर्ट में भी मंदिर का उल्लेख है।

हिंदू पक्ष की मांग है कि आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से साइंटिफिक सर्वे कराया जाए, ताकि स्पष्ट हो सके कि भोजशाला का धार्मिक कैरेक्टर क्या है? बहस के दौरान कोर्ट ने इसे अयोध्या जैसा विवाद बताया है। अदालत ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।

हिन्दुस्थान समाचार

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