बांदा जिलाधिकारी के कर्मचारी का कोविड मरीज से बातचीत का ऑडियो वायरल, कर्मचारी पर गिर गयी गाज

कल एक ऑडियो वायरल हुआ... वायरल आडियो के मुताबिक बांदा के कोविड कंट्रोल रूम से एक कर्मचारी ने कोरोना मरीज के हालचाल...

बांदा जिलाधिकारी के कर्मचारी का कोविड मरीज से बातचीत का ऑडियो वायरल, कर्मचारी पर गिर गयी गाज

कल एक ऑडियो वायरल हुआ...

वायरल आडियो के मुताबिक बांदा के कोविड कंट्रोल रूम से एक कर्मचारी ने कोरोना मरीज के हालचाल लेने के लिए फोन लगाया और जब मरीज के परिजन द्वारा प्रशासन की नाकामियों की बात की तो कंट्रोल रूम के उस कर्मचारी ने अपने अधिकारियों और जिलाधिकारी को इस बावत दोषी ठहराया। पूरे जनपद और आसपास के जनपदों में जंगल में आग की तरह यह ऑडियो वायरल हुआ और देखते ही देखते जिलाधिकारी के पास फोन पहुंचने लग गये। सोशल मीडिया के प्लेटफाॅर्म फेसबुक और व्हाट्सएप्प में इसे हजारों लोगों ने शेयर किया। इसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर कर्मचारी आचरण को दोषी ठहराते हुए कर्मचारी विमल कुमार को निलंबित कर दिया गया, व इस बावत जांच भी बिठाई गयी है।

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दरअसल ये पूरा मामला था बाबूलाल चैराहे स्थित श्री काली देवी मन्दिर के पुजारी तुलसीदास पुष्पक की पत्नी गीता पुष्पक के कोरोना इलाज का हालचाल लेने का। गीता पुष्पक को जब घर में तकलीफ बढ़ी तो परिजन उन्हें लेकर जिला अस्पताल गये।

इस बारे में पूरी जानकारी दी उनके पुत्र राहुल ने, राहुल ने बुन्देलखण्ड न्यूज को बताया कि उनकी मां को 27 अप्रैल को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां पर 2 दिनों तक इलाज के नाम पर कुछ नहीं मिला। उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी, पर डाॅक्टर थे कि ध्यान नहीं दे रहे थे। आॅक्सीजन लेवल 80 और 75 तक पहुंच गया था। किसी प्रकार बड़ी रिक्वेस्ट के बाद उनकी मां को आक्सीजन नसीब हुई पर इलाज तब भी नहीं।

राहुल ये बताते हुए जरा भी नहीं हिचकते कि 27 और 28 अप्रैल इन दो दिनों में उन्होंने 15-20 लोगों को अपनी आंखों के सामने मरते देखा। कहीं न कहीं उन्हें उचित इलाज नहीं मिल रहा था। अब राहुल और उनके परिजन चिंतित थे। एक बारगी उन्हें लगा कि उनकी मां की मौत निश्चित है, अगर यही हाल रहा तो न तो उनकी मां को उचित इलाज मिलेगा और न ही उनकी बात कोई सुनने वाला है। अब वो सोच रहे थे कि कहां पर जायें जिससे उनकी मां बच सके। उनके बहनोई जोकि भोपाल में रहते हैं, वहीं जाकर उन्होंने इलाज कराना उचित लगा। वहां उन्हें बेड भी मिल रहा था, और उचित इलाज का भरोसा भी। हालांकि बेड तो उन्हें झांसी में भी मिल रहा था, पर राहुल और उनके परिजन यूपी की बजाये एमपी पर ज्यादा भरोसा कर पा रहे थे।

गीता पुष्पक को 28 अप्रैल की रात में भोपाल के लिए ले जाया गया। 29 अप्रैल को वो लोग भोपाल पहुंच गये, तत्काल उन्हें हमीदिया हाॅस्पिटल में भर्ती कराया गया। मात्र 25 रुपये जमा कराकर गीता पुष्पक का इलाज शुरू हुआ। इस इलाज में उन्हें जो भी दवायें दी गयीं, या फिर जीवनरक्षक कही जाने वाली प्रमुख दवा रेमडिसिविर इंजेक्शन भी यहां उन्हें लगाया गया। रेमडिसिविर की कुल 8 डोज गीता पुष्पक को दी गयीं।

लेकिन राहुल के अनुसार, जो भी इलाज हुआ सब पूरी तरह से मुफ्त। यहां तक कि मरीज के लिए पास के 3 स्टार होटल से नाश्ता व खाना इत्यादि पैक होकर आता था। इस के लिए भी परिजनों से कोई भी पैसा नहीं लिया जाता था। अगर परिजनों को भी रहना और खाना होता तो उसके लिए भी भोपाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जैसी कई संस्थायें काम कर रही थीं, जो परिजनों के लिए ये सारी सेवायें मुफ्त में उपलब्ध करा रही थीं। कुल मिलाकर राहुल और उनके परिजन एमपी सरकार और जिस हाॅस्पिटल में उनके मरीज का इलाज हुआ, उसके प्रति पूरी तरह कृतज्ञता व्यक्त करते नहीं थक रहे। उन्होंने बुन्देलखण्ड न्यूज से कहा कि हमने दोनों सरकार के कामकाज का तरीका देखा पर जो सुविधायें और गम्भीरता एमपी में है वो यहां नहीं।

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लगभग 12-13 इलाज कराकर आज यानि 11 मई को राहुल अपनी मां को लेकर बांदा आये हैं। अब उनकी मां पूरी तरह से स्वस्थ हैं। हमसे बात करते हुए राहुल जिला अस्पताल का एक वाकया और बताते हैं कि जब उनके पिताजी जोकि काली देवी मंदिर के पुजारी हैं, वो जब अस्पताल में अपने मरीज के पास बैठे थे, और हम लोग लगातार प्रयास कर रहे थे कि उनके मरीज को उचित इलाज मिले, तभी वहां डाॅ. विनीत सचान ने उनके साथ अभद्रता की, डाॅ. विनीत सचान ने कहा, ”बाबा ! यहां से बाहर चला जा, मैं डंडा रखता भी हूं और मारता भी हूं“। इस बात ने भी तुलसीदास पुष्पक को काफी हताहत किया, तभी उन्होंने ठाना कि यहां पर इलाज नहीं मिल पायेगा। और अगर यहीं के भरोसे रहे तो उनकी पत्नी शायद ही बच पायें।

कैसे हुआ ऑडियो वायरल

राहुल बताते हैं कि शायद 30 अप्रैल या 1 मई का दिन था, जब वो अपनी मां को लेकर भोपाल में थे, वहीं इलाज करा रहे थे। तभी यहां जिलाधिकारी के यहां से फोन आया था। तब जो भी बात हुई थी, वो तो अब सार्वजनिक हो गयी है। अब कैसे हुई, ये उन्हें भी नहीं पता।

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