कैसे बनायें स्मार्ट गोल
 
                                    @ हिमेश मदान
दोस्तों मैं आपको बताऊंगा, कुछ इम्पाॅर्टेन्ट करेक्टरस्टिक और कुछ इम्पाॅर्टेन्ट फीचर्स, जो आपके हर गोल में होना बहुत जरूरी है। ताकि आप अपने गोल को रियलटी में कनवर्ट कर पाओ। अपने सपनों को रियलटी में कनवर्ट कर पाओ इसलिए जरूरी है कि आप के गोल स्मार्ट होने चाहिए। अगर आपके गोल्स स्मार्ट हंै तो आप उन्हें बेहतर समझ पाओगे, उनमें ज्यादा प्राॅगे्रस कर पाओगे और अपने गोल्स को एचीव कर पाओगे।
स्मार्ट गोल्स में ‘एस’ का मतलब है, ‘स्पॅसिफिक’
आप के गोल्स स्पॅसिफिक होने चाहिए। यानि ये कनफ्यूज वाले गोल आपको सही डायरेक्शन नही देंगे, ये कमजोर गोल आपको प्लान आॅफ एक्शन नही देंगे, ये रफ गोल आपको मोटिवेट नही करेंगे। ये जनरल से गोल आपको आइडिया नहीं देंगे, और इन सबके लिये आपके गोल स्पॅसिफिक होने चाहिए, क्रिस्टल क्लियर होने चाहिए, क्रिस्प होने चाहिए। अगर मैं सोचूं कि मुझे घूमने जाना है और मैंने डेस्टिनेशन नहीं सोची डेट्स नहीं सोची तो मैं कुछ प्लान नहीं कर पाऊंगा। मुझे डायरेक्शन नहीं मिलेंगे, मंै छुट्टियाँ नहीं ले पाऊंगा। अगर मैं ये बोलंू कि मुझे अगले महिने की बारह तारीख को गोवा जाना है छः दिन के लिये, तो मंै बेहतर प्लानिंग कर पाऊंगा। मुझे बेस्ट डायरेक्शन मिलेंगे, उस हिसाब से मैं छुट्टियाँ ले पाऊंगा, अच्छे से ट्रैवेल अरेन्जमेेंट कर पाऊंगा और मैं उस हिसाब से सारी चीज अरेन्ज कर पाऊंगा, क्योंकि मेरा गोल स्पॅसिफिक है। इसी तरह से आपके बाकी के गोल जैसे, ‘मुझे बहुत अमीर बनना है’, ‘मुझे बहुत पैसे कमाने हैं’ तो ये बहुत वीक और रफ से गोल हैं। अमीर बनने कर और पैसे कमाने की डेफिनीशन सबके लिए अलग-अलग हो सकती है। आपको अपनी एक डेफिनीशन बनानी है, अपना एक गोल तैयार करना है कि आप क्या चाहते हंै और आपको क्या चाहिए?
एैसे ही अगर आप विद्यार्थी हैं और आपके गोल्स ये हैं कि आपको अच्छे माक्र्स लाने हैं, आपको स्टडी में एक्सीलेंट करना है, आपको पास होना है, वगैरह-वगैरह... तो ये वीक गोल हैं, ये रफ गोल हैं, ये आपको प्लान आॅफ एक्शन नहीं देंगे। ये आपको मोटिवेट नहीं करेंगे और ये आपको टाइम टेबल भी नही देंगे इसीलिए आपके स्टडी के गोल और आपके माक्र्स के गोल भी स्पॅसिफिक होने चाहिए। ‘मेक इट स्पॅसिफिक’ कि आपको क्या परसेंट चाहिए? 90, 85, 80, 70... बट इट्स मेक स्पॅसिफिक। अगर आप बिजनेसमैन हैं और आपको टर्नओवर बढ़ाना है, जैसे मुझे इस साल तीन करोड़ का टर्नओवर करना है, तो आपको स्पॅसिफिक सोचना होगा। खुद सोचो कि जब आपके गोल स्पॅसिफिक होते हंै, तो आपका मांइड उसके हिसाब से साॅल्यूशन ढूंढ़ता है। तो दोस्तांे, आपके गोल को कंक्रीट होना चाहिए, क्रिस्प और क्लियर भी होना चाहिए जिससे आप इमेजिन कर सको, मोटीवेट कर सको और आप उसको समझ सको।
स्मार्ट में ‘एम’ का मतलब है ‘मेज़रेबल’
मान लो, मैं आपको कहता हूँ कि ये रेसिंग ट्रैक है और आपको इसमे भागना है। इसमंे फिनिश लाईन नहीं है, कोई लैप भी नहीं है। मै कहता हूँ कि बस आपको भागना है और आप भागते रहो, तो आप कहोगे ऐसे कैसे भागते रहें? कोई फिनिश लाइन तो होनी चाहिए, कोई मीटर, कोई लैप होना चाहिए? तो इसी तरह से हमें अपने गोल्स में भी फिनिश लाइन बनानी चाहिए यानि अपने गोल्स को किसी नम्बर पर किसी क्वांटिटी में मेज़रेबल होना चाहिए।
काफी लोग कहते हंै कि मेरा गोल, ‘सेविंग’ करना है। अगर आपका गोल सिर्फ सेविंग करना है तो आपको कैसे पता चलेगा कि आप अपने गोल में सक्सेस हो या नहीं? इस तरह तो अगर आपने 10 रूपये भी सेव किये तो भी गोल पूरा हो गया। आपका गोल मेज़रेबल होना चाहिए कि कितनी सेविंग करनी है? जैसे कि 10 लाख या 10 हजार, इससे आपको पता चलेगा कि आप गोल से कितने दूर या कितने पास हैं? मैं ऐसे बहुत से लोगों से सुनता हूँ कि मुझे वेट लूज़ करना है। अगेन, आपका गोल मेज़रेबल होना चाहिए, जैसे कि मेरा वेट 90 किलो है और मुझे 90 से 80 में जाना है। जब आपके पास मेज़रेबल गोल होंगे तो आपको टाइम पता चलेगा कि आपको इतने दिन में 10 किलो वेट कम करना है इसके लिये इतनी मेहनत करनी है।
स्मार्ट में ‘ए’ का मतलब है ‘एचीवेबल’
एचीव से मेरा मतलब ये नहीं कि आपका गोल बहुत एचीवेबल हो, या बहुत आसान हो। आपका गोल थोड़ा चैलेंजिग होना चाहिए। आपका गोल मुश्किल हो, आपको वो नजर आ रहा हो, कहीं न कहीं आप को होप हो कि स्टेप बाई स्टेप आप उस तक पहुँच जाओगे, चाहे कितना भी बड़ा हो? ईज़ी गोल आपके टैलेन्ट को बाहर नहीं निकालेगा।
मान लीजिए, आपने एक बड़ी आईटी कम्पनी को एक इन्जीनियर के तौर पर ज्वाइन किया और आप कहो कि आपको एक साल में उस कम्पनी का सीईओ बनना है, तो आपका ये गोल एचीवेबल नहीं है। क्यांेकि उसके लिये एक लम्बा लर्निंग टाइम चाहिए। बहुत सालांे का टाइम चाहिए, क्यांेकि इसके कई लर्र्निंग पीरियड और कई प्राॅसेसिंग से होकर सीखकर, तब इस जगह पर आप पहुँच पायंेगे।
2, 3 या 5 साल में एक टाॅप आईटी कम्पनी का सीईओ बनना, ये एक एचीवेबल गोल नहीं है। ऐसा गोल आपको डिप्रेस कर देगा। आपका गोल बड़ा हो, चैलेंजिंग हो, लेकिन एचीवेबल होना चाहिए।
स्मार्ट में ‘आर’ का मतलब है ‘रिलेवेंट’
आपके गोल आपके जीवन के साथ आपके विज़न के साथ रिलेवेंट होना चाहिए। आपके कैरियर गोल, फाईनेन्शियल गोल और फैमिली गोल, सभी आपस में बैलेंस होना चाहिए। लेकिन यदि आपने अपने फाईनेन्शियल गोल को फैमिली गोल के साथ सेट कर रखा है तो आप फैमिली गोल को टाइम नहीं दे पाओगे तो कहीं न कहीं आपके गोल आपस में रिलेवेंट नहीं हंै। आपको भविष्य में ये बात कहीं न कहीं परेशान करेगी कि एक गोल को एचीव करके बाकी के साथ कम्प्रोमाइज़ करना गलत है। इसीलिए, आपके गोल्स पूरी लाइफ के साथ रिलेवेंट होने चाहिए यानि जब आप अपनी गोल लिस्ट को देखंे तो ये देखंे कि क्या आपके सारे गोल मैच करते हंै? क्या उनकी टाइमिंग सेट है? क्या वे आपस में रिलेवेंट हैं?
स्मार्ट के लास्ट अक्षर ‘टी’ का अर्थ है ‘टाइम बाउन्ड’
यानि कि, आपके गोेल की डेडलाइन होनी चाहिए, ये डेडलाइन ही आपको एलीगेंस देती है कि ‘उठो और करो’, इस टाइम के अन्दर ये काम आपको करना है। ये टाइम बहुत कम भी नहीं होना चाहिए। यदि आपने कोई गोल बनाया है और उसके लिये टाइम बहुत कम रखा है तो आप काफी स्ट्रेस होंगे, आप उसको लेकर परेशान होंगे कि इस टाइम में इसे कैसे पूरा करूँगा? इसीलिए ध्यान रखें कि आपके गोल का टाइम बहुत कम न हो।
और दूसरी बात, आपके गोल का टाइम बहुत ज़्यादा भी नहीं होना चाहिए। क्यांेकि अगर आपके गोल का टाइम बहुत ज़्यादा होगा तो कहीं न कहीं आप आलस महसूस करोगे, और आप की एनर्जी कहीं न कहीं वेन्टआउट हो जायेगी।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि मैंने एक बुक खरीदी और मुझे उसे 10 दिन में पढ़ना है। और जब मैं बुक खोलकर देखता हूँ तो उसमें मुझे 300 पेज दिखते हंै। अब मंै उसे 10 से डिवाइड करूँगा मतलब 30 पेज प्रतिदिन की टाइमलाइन रख ली तो मेरा गोल मेज़रेबल हो गया, मेरा एक एमाउंट भी सेट हो गया और जब मैंने 3 दिन में देखा तो 90 पेज हो गये। अगर नहीं हुए तो मंै सन्डे को बैकलाॅग कवर कर लूंगा। अब जैसे आप कहते हो कि मुझे एक गाड़ी लेनी है, दिसम्बर 2017 तक एक कार लेनी है तो आपने एक डेडलाइन तय कर ली। अब आप उसके हिसाब से प्लान कर पाओगे, सेविंग कर पाओगे।
तो दोस्तांे ! ये थे स्मार्ट गोल के उदाहरण, अब आपको अपनी गोल लिस्ट बनानी है और आज के स्मार्ट गोल में उसको जोड़ना है। हो सकता है कि इस क्रिया में आपको कई गोल नए बनाने होंगे, कई गोल हटाने हांेगे। इसीलिए आप अपने गोल को एक बार जरूर चेक करो, अगर वो स्पेसिफिक नहीं है तो बनाओ और नहीं बना सकते तो हटा दो। आप को एैसे गोल रखने हैं, जो मेज़रेबल हों। उनको मेज़रेबल रखो। अपनी लिस्ट देखो कि आपके सारे गोल आपस में रिलेवेंट हैं? अगर नहीं हैं तो क्या मैंने कुछ ज्यादा गोल लिख दिये जो आपस में काॅन्ट्रोवर्ट तो नहीं कर रहे हैं और फिर ‘टी’ यानी टाइम बम, अपने गोल की डेडलाइन सेट करो और यह रिलेवेंट होनी चाहिए कि किस गोल को मुझे कब एचीव करना है? इस पूरे प्राॅसेस के बाद आपके पास क्रिस्टल क्लियर, क्रिस्प, टाइम बम, स्मार्ट, मेज़रेबल, एचीवेबल और स्पेसिफिक गोल तैयार होगा।
एक बात और कहना चाहता हूँ कि आपकी लिस्ट में एक टाॅप गोल ज़रूर होना चाहिए, जिसे आप दिल के हर कोने-कोनेे से जीना चाहो। एक ऐसा गोल जो आपको बहुत प्यारा हो, एक ऐसा गोल जो आपके सुबह उठने की वज़ह हो, जिसके लिये आपको अलार्म की ज़रूरत न पड़े, जिसकी सोच ही आपको सुबह उठा दे। एक ऐसा गोल जिसके मिलते ही आपकी आँखें नम हो जायें जैसे कि वल्र्ड कप जीतने पर सचिन की हो गयी थीं, जैसे मिस वल्र्ड का खिताब जीतने पर कंटेस्टेंट की आँखंे नम हो जाती हैं। जैसे कि एक अच्छी पोस्ट, एक अच्छा घर, एक अच्छी कार का सपना, जिसे पाकर आपकी आँखंे नम हो जायंे, ऐसा एक प्यारा गोल आपकी गोल की लिस्ट में ज़रूर होना चाहिए।
तो दोस्तांे, आज हमने आप को स्मार्ट गोल के बारे में बताया कि कैसे आपके गोल स्मार्ट होने चाहिए दूसरा, आप को एक गोल लिस्ट बनानी है और उसमे स्मार्ट गोल को जोड़ना है। हो सकता है कि आपको कुछ गोल स्मार्ट न लगें तो उनको हटा देना है और नये स्मार्ट गोल को जोड़ना है। तीसरा, आपका एक टाॅप गोल ज़रूर होना चाहिए जो आपको मोटिवेट करता रहे, जो आपके लिये बहुत प्यारा हो।
(लेखक देश के सबसे युवा प्रेरक वक्ता हैं)                        
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