पिछले 12 दिनों से जारी है मंदाकिनी स्वच्छता अभियान

भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में माता अनुसुईया की घोर तपस्या के बाद प्रकट हुई मंदाकिनी अब कलयुग के...

Jun 5, 2025 - 10:25
Jun 5, 2025 - 10:25
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पिछले 12 दिनों से जारी है मंदाकिनी स्वच्छता अभियान

चित्रकूट। भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में माता अनुसुईया की घोर तपस्या के बाद प्रकट हुई मंदाकिनी अब कलयुग के प्रथम चरण में ही दूषित नजर आने लगी है। धर्मनगरी में लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी पतित पावनी जीवनदायिनी मां मंदाकिनी नदी को पुनर्जीवन प्रदान करने के लिए पिछले 24 मई से दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा चलाए जा रहे अभियान में समाजसेवी कार्यकर्ता पूरी तन्मयता से लगे हुए है। 

भारत में तीर्थ यात्रा हर एक हिंदू व्यक्ति की जिंदगी का अहम हिस्सा है। इस चार धाम की तीर्थ यात्रा में चित्रकूट एक अहम पड़ाव है। चित्रकूट की यात्रा में कामदगिरि परिक्रमा और मंदाकिनी दोनों का विशेष महत्व है। जाहिर है चित्रकूट की यात्रा हो और इन दोनों महत्वपूर्ण स्थानों का स्पर्श न हो तो यात्रा अधूरी मानी जाती है। इन दोनों ही ऐतिहासिक स्थलों की स्वच्छता व निर्मल मंदाकिनी और उसके संरक्षण को लेकर दीनदयाल शोध संस्थान पिछले कई वर्षों से प्रयासरत है। विगत 12 दिनों से दीनदयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ताओं द्वारा संगठन सचिव अभय महाजन के नेतृत्व में मां मंदाकिनी नदी की स्वच्छता के लिए श्रम कार्य किए जा रहे है। दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने योग्य है। प्रातः काल प्राकृतिक वातावरण में ऐसा श्रमदान स्वास्थ्यवर्धक भी है। सभी लोगों को व्यवहारिक दृष्टि से संकल्प लेना होगा कि मंदाकिनी के आसपास एक-एक वृक्ष लगाकर कम से कम तीन वर्ष तक उसके संरक्षण संवर्धन की चिंता करेंगे तो निश्चित रूप से साकार परिणाम आएंगे। मंदाकिनी महज एक नदी नहीं बल्कि आस्था का केंद्र है। प्रतिदिन अलग-अलग प्रकल्पों एवं चित्रकूट नगर से कार्यकर्ताओं की टीम सुबह 6ः30 बजे से सेवा कार्य में संलग्न रहती है। श्रम सेवा अभियान चलाकर मंदाकिनी की प्राकृतिक संुंदरता को बनाए रखने का प्रयास शुरू किया गया है। संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन अभियान को सशक्त बनाए रखने के लिए स्वयं श्रम कर रहे हैं।

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