बिना (ओबीसी) आरक्षण के नहीं होगा यूपी निकाय चुनाव, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई  HC के फैसले पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार यानी आज उत्तर प्रदेश सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के बिना शहरी निकाय चुनाव कराने...

बिना (ओबीसी) आरक्षण के नहीं होगा यूपी निकाय चुनाव, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई  HC के फैसले पर रोक


 सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार यानी आज उत्तर प्रदेश सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के बिना शहरी निकाय चुनाव कराने के निर्देश पर रोक लगा दी है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी। जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण के बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था।

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धान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर संज्ञान लिया। पीठ ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक आयोग को 31 मार्च, 2023 तक स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा। अब सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे पक्ष को नोटिस जारी कर तीन हफ्तों के अंदर उनसे जवाब मांगा है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्चतम न्यायालय के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई समय सीमा के अंतर्गत ओबीसी आरक्षण लागू करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार निकाय चुनाव संपन्न कराने में सहयोग करेगी। 27 दिसंबर को हाई कोर्ट के निर्णय के बाद मचे राजनीतिक हंगामे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बयान जारी किया था और मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाने की बात कही थी। वहीं, मामले पर पांच सदस्यीय आयोग का भी गठन किया गया था।  गठित किए गए आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह हैं। 

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इसकी एक बैठक बीते दिनों लखनऊ में भी हो चुकी है। आयोग के चार अन्य सदस्य सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी चौब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार, राज्य के पूर्व कानूनी सलाहकार संतोष कुमार विश्वकर्मा और ब्रजेश कुमार सोनी हैं। बैठक के बाद राम अवतार सिंह ने कहा था कि आयोग अपनी रिपोर्ट ढाई से तीन माह में सौंपेगा। हालांकि, उसके बाद होने वाली फॉलोअप की प्रक्रिया में दो-तीन माह का समय और लग सकता है। उन्होंने कहा कि आयोग कमोबेश हर दिन बैठक करेगा। प्रत्येक जिले में जाकर डीएम और राजस्व अधिकारियों की मदद से डाटा जुटाएगा। इस तरह से अपने सर्वे की प्रक्रिया को पूरा करेगा। उन्होंने कहा था कि  सर्वे के लिए क्या प्रणाली अपनाई जाए, क्योंकि इसके लिए अभी तक कोई निश्चित गाइडलाइन या प्रक्रिया तय नहीं है, ऐसे में इस बाबत विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। 

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