अब पहली कक्षा से संस्कृत कक्षा 4-5 में वैदिक गणित का अध्ययन कराया जाएगा

बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अब पहली कक्षा से संस्कृत पढ़ाई जाएगी। वहीं, कक्षा 4-5 में वैदिक गणित का अध्ययन कराया जाएगा..

अब पहली कक्षा से संस्कृत कक्षा 4-5 में वैदिक गणित का अध्ययन कराया जाएगा
फाइल फोटो

बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अब पहली कक्षा से संस्कृत पढ़ाई जाएगी। वहीं, कक्षा 4-5 में वैदिक गणित का अध्ययन कराया जाएगा। देश के राजनीतिक मानचित्र में हुए बदलाव के जरिये जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए हटने के बाद की स्थिति की जानकारी दी जाएगी। यही नहीं, नौनिहालों को गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों का बलिदान भी पढ़ाया जाएगा। 

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कक्षा 6 की पुस्तक ‘पृथ्वी और हमारा जीवन’ में देश के मानचित्र के जरिए पढ़ाया जाएगा कि जिस अनुच्छेद 370 व 35ए के जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता मिली थी और उनके नागरिकों को विशेष अधिकार प्राप्त थे, उसके खत्म होने के बाद लद्दाख और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। लद्दाख की राजधानी लेह व जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर है। वैसे, ये अनुच्छेद 5 अगस्त 2019 को ही हटा लिए गए थे, लेकिन पाठ्यक्रम में अब शामिल किए गए हैं।

बच्चों में संस्कृत शिक्षा की नींव मजबूत करने के लिए परिषदीय स्कूलों में पहली कक्षा में शब्दबोध, फलानि (फलों के नाम), शाकानि (सब्जियों के नाम) पुष्पाणि (फूलों के नाम) और पक्षिण (पक्षियों के नाम) पढ़ाए जाएंगे। वहीं, दूसरी कक्षा में बालगीतम्, मम परिवार (मेरा परिवार), अस्माकं सहयोगिन (समाज में हमारे प्रमुख सहयोगी), पशवः (पशुओं के नाम) और संख्याबोध (संस्कृत में संख्या) पढ़ाई जाएगी।

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परिषदीय स्कूलों में कक्षा 4 और 5 में वैदिक गणित में जोड़ना व घटाना पढ़ाया जाएगा। देश की प्राचीन गणितीय पद्धति में से एक वैदिक गणित के सहारे गणित के जटिल से जटिल सवालों को भी सरल और सहज तरीकेसे कम समय में हल किया जा सकता है। जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने वैदिक गणित की खोज कर 16 मूलसूत्र और 13 उपसूत्र दिए। वैदिक गणित तार्किकता और सृजनात्मकता का समान रूप से विकास करती है।

कक्षा 8 में बच्चों को इस वर्ष से गुरु गोविंद सिंह के साथ मुगल शासक औरंगजेब से संघर्ष में शहीद हुए उनके चार साहिबजादों का बलिदान भी पढ़ाया जाएगा। उनके सबसे बड़े साहिबजादे अजीत सिंह की 17 वर्ष की आयु, दूसरे नंबर के बेटे जुझार सिंह की 14 वर्ष, तीसरे बेटे जोरावर सिंह की सात वर्ष और सबसे छोटे बेटे फतेह सिंह की 6 वर्ष की आयु में दिए गए बलिदान की गाथा को भी पढ़ाया।

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