नीट-जेईई परीक्षा : अखिलेश बोले- जान के बदले परीक्षा नहीं चलेगी, लिखा खुला पत्र

नीट, जेईई परीक्षा को लेकर विपक्षी दलों का विरोध जारी है, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे लेकर एक बार फिर भाजपा पर निशाना साधा है..

नीट-जेईई परीक्षा : अखिलेश बोले- जान के बदले परीक्षा नहीं चलेगी, लिखा खुला पत्र

लखनऊ,
  • परीक्षा केंद्रों के बाहर अपने मंत्री, सांसद-विधायक की तैनाती करे भाजपा
नीट, जेईई परीक्षा को लेकर विपक्षी दलों का विरोध जारी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे लेकर एक बार फिर भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने गुरुवार को परीक्षार्थियों और अभिभावकों के समर्थन तथा परीक्षाओं व भाजपा के खिलाफ खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने जान के बदले परीक्षा नहीं चलने की बात कही है।
विद्यार्थियों के आने जाने, खाने-पीने व ठहरने का करे प्रबंध
अखिलेश ने इस पत्र में कहा कि अगर दंभी भाजपा को लगता है कि परीक्षार्थियों और अभिभावकों की लोकप्रिय मांग पर वह ऐसे जानलेवा परीक्षा करवा रही है, तो केंद्रों के बाहर व अपने कैबिनेट मंत्री, सांसद और विधायक तैनात करें, जहां पर कोई भी नियम कानून व एसओपी नहीं होगा। साथ ही विद्यार्थियों के आने जाने, खाने-पीने व ठहरने का प्रबंध वैसे ही करे जैसा वह विधायकों की खरीद-फरोख्त के समय करते हैं।
परीक्षार्थी-अभिभावक से घर के बुजुर्ग को संक्रमण होने पर कौन चुकाएगा कीमत
अखिलेश ने कहा कि भाजपा की तरफ से यह हास्यास्पद और तर्कहीन बात फैलाई जा रही है कि जब लोग दूसरे कामों के लिए घर से निकल रहे हैं तो परीक्षा क्यों नहीं दे सकते। भाजपा के लोग सत्ता के मद में यह भूल गए हैं कि लोग मजबूरी में निकल रहे हैं और जो लोग घर पर रहकर बचाव करना भी चाहते हैं, आपकी सरकार परीक्षा के नाम पर उन्हें भी बाहर निकलने पर बाध्य कर रही है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे में अगर किसी परीक्षार्थी, उनके संग आए अभिभावक या घर लौटने के बाद उनके सम्पर्क में आए घर के बुजुर्गों को संक्रमण हो गया तो उसकी कीमत क्या यह सरकार चुकाएगी।  
 
आपदा काल में परिवहन, खाने-ठहरने की सेवाएं अति सीमित
उन्होंने कि कोरोना व बाढ़ में जबकि बस, ट्रेन बाधित है, तो बच्चे दूर-दूर से कैसे आएंगे ना तो हर एक ही सामर्थ्य टैक्सी करने की है और ना ही हर शहर में इतनी टैक्सी हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के एक प्रवक्ता तो यह तर्क भी दे रहे हैं कि गरीब तो जैसे पहले प्रबंध करता था, वैसे अब भी करेगा। दुर्भाग्यपूर्ण अर्थव्यवस्था के ज्ञाता वह प्रवक्ता यह भूल गए कि संक्रमण के इस आपदा काल में परिवहन, खाने-ठहरने की सेवाएं अति सीमित हैं। मतलब मांग के अनुपात में आपूर्ति न होने पर सब सेवाएं बहुत अधिक दाम में मिलेंगी। ऐसे में गरीब ग्रामीण ही नहीं बल्कि वह मां-बाप भी पैसा कहां से लाएंगे, जिनका रोजगार कोरोना और बाढ़ ने छीन लिया है।
 
युवाओं और अभिभावकों के खिलाफ कर रही प्रतिशोधात्मक कार्रवाई
अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा यह समझ चुकी है कि बेरोजगारी से जूझ रहा युवा तथा कोरोना, बाढ़, व अर्थव्यवस्था की बदइंतजामी से त्रस्त गरीब, निम्न व मध्यम वर्ग अब कभी उसको वोट नहीं देगा। इसलिए वह युवाओं और अभिभावकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई कर रही है।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा को सिर्फ वोट देने वालों से मतलब है। नकारात्मक वाक्य में बदले की राजनीति करने वाली भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के खिलाफ देश में एक नई युवा क्रान्ति जन्म ले रही है, हम सब साथ हैं। आइए मिलकर कहें 'जान के बदले एग्जाम नहीं चलेगा नहीं चलेगा।'
 
अखिलेश ने इससे पहले बुधवार रात ट्वीट में कहा कि नीट, जेईई व अन्य परीक्षाएं रोकने के लिए हृदयहीन सरकार एक बार माता-पिता के दिल से सोचे। कोरोना व बाढ़ में केवल शहरी व अमीर ही केंद्रों तक पहुंचने व परीक्षा देने में समर्थ हैं। ये पैसों वालों की भाजपा सरकार का गरीब-ग्रामीण के खिलाफ षड्यंत्र है।
 
हिन्दुस्थान समाचार

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