डॉ. हीरा लाल ने श्रीलंका के प्रशासनिक अधिकारियों से साझा किया सुशासन का अनुभव
उत्तर प्रदेश में स्टेट लेवल नोडल एजेंसी – वाटरशेड डेवलपमेंट कम्पोनेंट, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना...

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र, मसूरी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेष आमंत्रण
जनपद स्तर पर सुशासन और नवप्रयोगों से विश्व कल्याण की दिशा में अहम पहल
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्टेट लेवल नोडल एजेंसी – वाटरशेड डेवलपमेंट कम्पोनेंट, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) डॉ. हीरा लाल ने शनिवार को राष्ट्रीय सुशासन केंद्र, मसूरी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में उन्होंने श्रीलंका के 45 प्रशासनिक अधिकारियों को जनपद स्तर पर सुशासन, नवप्रयोगों और ग्रामीण विकास की प्रभावी योजनाओं के बारे में अपने अनुभव साझा किए।
यह अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के तत्वावधान में आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य जिला प्रशासन स्तर पर सुशासन को मजबूत करना और इसे वैश्विक स्तर पर ग्रामीण विकास से जोड़ना था।
कार्यक्रम में डॉ. हीरा लाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस तरह उन्होंने जिला प्रशासन स्तर पर जल, जंगल, जमीन और जीव के संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर नवाचार किए। उनके इन्हीं प्रभावी प्रयासों से प्रभावित होकर राष्ट्रीय सुशासन केंद्र, मसूरी के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रशासनिक प्रभारी डॉ. ए.पी. सिंह ने उन्हें इस कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित किया था।
गांवों के समग्र विकास पर विशेष जोर
डॉ. हीरा लाल ने ग्राम विकास और प्रशासनिक नवाचारों को लेकर अपने द्वारा किए गए प्रयोगों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जनभागीदारी, पारदर्शिता, जवाबदेही और नीतिगत सुधारों को अपनाकर ग्रामीण क्षेत्रों का समुचित विकास किया जा सकता है।
उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर बताया कि बांदा जिलाधिकारी रहते हुए किए गए नवाचारों ने कैसे सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने में मदद की। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सुशासन के लिए पारदर्शिता, नियम-कानूनों का पालन और नवप्रयोग आवश्यक हैं।
नवाचार और सुशासन से मिलेंगे समाधान
डॉ. हीरा लाल ने कहा कि वर्तमान में विश्व कई गंभीर समस्याओं जैसे जलवायु परिवर्तन, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहा है। उन्होंने कहा, "इन समस्याओं का समाधान पारंपरिक तरीकों से संभव नहीं है, बल्कि इनोवेशन और सुशासन को अपनाना अनिवार्य हो गया है।"
कार्यक्रम में उनके विचारों को श्रीलंका के प्रशासनिक अधिकारियों ने खुले दिल से सराहा और उनके प्रयासों की प्रशंसा की। इस कार्यक्रम को वैश्विक प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
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